श्री शिवमहिम्न स्तोत्र | shri shivmahimna stotra
श्री शिवमहिम्न स्तोत्र | shri shivmahimna stotra पुष्पदंत उवाचमहिम्नः पारन्ते परमविदुषो यद्यसदृशी।स्तुतिर्ब्रह्मादीनामपि तदवसन्नास्त्वयि गिरः॥अथावाच्यः सर्वः स्वमतिपरिमाणावधि गृणन्।ममाप्येष स्तोत्रे हर निरपवादः परिकरः॥1॥ अर्थ:श्री पुष्पदंत जी कहते हैं कि हे प्रभु ! बड़े बड़े विद्वान और योगीजन आपके महिमा को नहीं जान पाए तो मैं तो एक साधारण बालक हूं, मेरी क्या गिनती ?लेकिन क्या आपके महिमा…