सम्पूटित श्रीसूक्त

सम्पूटित श्रीसूक्त

श्री कमला प्रयोग – लक्ष्मी मंत्र ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमःदुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो: स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासिहिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्ण रजतस्त्रजाम  चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जात वेदो म आवहदारिद्र्यदु:खभयहारिणी क त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ताॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।।१।।…

rahu yantra ke sampurn labh

rahu yantra ke sampurn labh

राहू यंत्र के उपयोग से क्या फायदा होता है जानिए (adhikmas mahatmay) अध्याय २१ – धर्म शर्माची कथा राहु यंत्र राहु वायु तत्व एवं मध्यम कद वाला ग्रह है। यह शरीर में मस्तिष्क त्वचा, रक्त तथा बात को प्रभावित करता है। इसके कुंडली में अशुभ होने पर कृमि रोग, मिरगी, उदर रोग, जहरीले जंतुओं का…

kundali janm kundali

Sukra Yantra शुक्र यंत्र

शुक्र यंत्र शुक्र जल तत्व, मध्यम कद का जलीय ग्रह है। शरीर में यह वीयं, शुक्राणु जननेन्द्रिय, स्वर, गर्भाशय, नेत्र एवं संवेग शक्ति को प्रभावित करता है इसके निर्बल एवं अशुभ होने पर वीर्य संबंधी रोग, गुप्त रोग, मूत्र विकार, स्त्री संसर्ग जन्य रोग, नशीले द्रव्यों के सेवन से उत्पन्न रोग, मधुमेह, उपदंश, प्रदर रोग,…

मंगल यंत्र

मंगल यंत्र

मंगल ग्रह के अशुभ होने से रक्तचाप, रक्त विकार, खुजली, फोड़ा-फुसी, रक्तसाव कुष्ठ रोग, आकस्मिक दुर्घटना जन्य रोग, अग्नि भय, गुप्त रोग, सूजन, वात, पित्त संबंधी रोग होते हैं

चंद्र यंत्र

चंद्र यंत्र

चंद्र जल तत्व, दीर्घ कद का ग्रह है। इसके अशुभ प्रभाव से मनोविकार, मूत्र विकार, पीलिया, नाक से संबंधित रोग, कफ, रक्तचाप, चेहरे से संबंधित रोग, जठर अग्नि का मंद होना स्त्रियों के संसर्ग से उत्पन्न रोग, अतिसार, क्षय रोग आदि होते हैं

सूर्य यंत्र

सूर्य यंत्र

सूर्य यंत्र Surya yantra सूर्य यंत्र ब्रह्माड में सूर्य ही सर्वोपरि ग्रह है जिसके इर्द गिर्द सभी सितारे ग्रह और नक्षत्र घूमते हैं। पृथ्वी के सभी जड़ और चेतन पदार्थों पर इसकी रश्मियों का प्रभाव पड़ता है मौसम, वनस्पति, मानव सभी सूर्य किरणों से प्रभावित होते हैं डॉक्टरों और वैज्ञानिकों की मान्यता है कि उगते…

जेष्ठा नक्षत्र मे जन्मा व्यक्ति Jeyshtha nakshtra
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जेष्ठा नक्षत्र मे जन्मा व्यक्ति Jeyshtha nakshtra

jeyshtha-nakshtra-vyaktika-vivah क्या ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्मे जातकों का विवाह नहीं होता है? नक्षत्र जन्मा जातक शारीरिक और भावनात्मक रूप से जल्दी परिपक्व हो जाते हैं। वे समाज के अग्रदूत हैं और दूसरों से सम्मान और ध्यान आकर्षित करते हैं। वे अन्य लोगों को उनकी प्रशंसा करना पसंद करते हैं और इस प्रकार अक्सर बेकार और तुच्छ गतिविधियों में लिप्त रहते हैं। कई बार ये नक्षत्र जातक बहुत आक्रामक, स्वार्थी, उदास और जिद्दी स्वभाव के होते हैं। इस प्रकार, विवाह और रिश्ते के मामले में बहुत अनुकूलता रखने के लिए,