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सूर्य भगवान आपकी कुंडली में किस भाव मे है देखिये अपनी कुंडली !!

स्वभाव

सूर्य के लग्न (प्रथम भाव) में से जातक क्रोधी,,स्थित होने स्वाभिमानी, स्थिर एवं दृढ़इच्छा शक्ति वाला होता है।स्वरूप जातक का ललाट विशाल होता है व बड़ी नाक भी होती है। जातक का शरीर हालांकि दुबला-पतला रहता है।

स्वास्थ्य

लग्नस्थ सूर्य सिर रोग का कारण हो सकता है। व्यवसाय जातक यदि स्वतंत्र व्यवसाय करने वाला या उसे उच्चपद की प्राप्ति अवश्य होती है वह संपत्तिवान भी होता है ।

सप्तम दृष्टि

सूर्य के लग्न में स्थित होने से उसकी सप्तम दृष्टि सप्तम भाव पर पड़ती है जिससे जातक का दाम्पत्य जीवन दुखी होता है।

मित्र / शत्रु

राशि मित्र, स्व या उच्च राशि में सूर्य के प्रथम भाव के प्रभाव सकारात्मक होते है। जातक अतिमहत्त्वपूर्ण व्यक्ति बनता है व उसका यश बहुत अधिक फैलता है। सूर्य के शत्रु राशि में उपस्थिति अपयश भी प्रदान कर सकती है या यश को कम कर सकती है।

प्रथम भाव विशेष

प्रथम भाव पर सूर्य के प्रभाव से जातक यशस्वी, ज्ञानी व राज सम्मान को प्राप्त करता है। उसमें महत्वाकांक्षा भी रहती हैं। उसका व्यक्तित्व साहस और वीरता से भी परिपूर्ण होता है।

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