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जानिए आपकी कुंडली मे सूर्य भगवान का स्थान किस भाव मे है |

सूर्य आपके कुंडली मे स्थित हो कर कैसे फल देता है ?

स्वभाव

तृतीय भाव में स्थित सूर्य के प्रभाव से जातक यशस्वी, रचनात्मक मनोवृत्ति वाला, सूर्य प्रतापी और पराक्रमी होता है। वह सदैव दूसरों की सहायता के लिए तत्पर रहता है। जातक बुद्धिमान और ज्ञानी होता है।

पुर्ण दृष्टि

तृतीय भाव में स्थित सूर्य की पूर्ण दृष्टि नवम भाव पर पड़ती है जिसके प्रभाव से जातक भाग्यशाली, धार्मिक, आस्तिक एवं कार्यकुशल होता है । उसे उच्च पद की प्राप्ति होती है।

मित्र / शत्रु राशि

मित्र राशि, स्वराशि अथवा उच्च राशि में तृतीय भाव में सूर्य के होने पर जातक भाइयों के लिए भाग्यशाली होता है। वह अपने पराक्रम देशों की यात्रा करना से धनार्जन करने वाला होता है। जातक को दूर पसंद होता हैं। शत्रु व नीच राशि में सूर्य तृतीय भाव स्थित होने पर जातक को चर्म रोग, विष और अग्नि से भय होता है। जातक को जीवन में कई बार मानहानि का भय होता है। वह अति उग्र प्रवृति का होता है। जातक को भाईयों से सुख एवं सहयोग नहीं मिलता है |

भाव विशेष

तृतीय स्थान में सूर्य से जातक के पारिवारिक संबंध सुदृढ़ होते हैं । सुख दुःख में जातक परिवारजनों का पूरा ध्यान रखता है। शत्रुओं पर जातक की विजय प्राप्त होती हैं जातक राजा के समान सर्व सुखों से युक्त जीवन व्यतीत करता है। जातक को यात्राओं में सफलता और आनंद दोनों ही प्राप्त होते है। जातक राज कार्यों में सफल होता है। जातक बलवान होता है।

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