यदि सूर्य मेष राशी का है तो वह उसकी उच्च राशी होगी क्योकि सूर्य मेष राशी के 10 अंश तक उच्च का होता है | मेष राशी का सूर्य जातक को साहसी, पराक्रमी एव युद्धप्रिय बनता है | जातक तेजस्वी,बुद्धिमान एव चतुर होता है | उच्च का सूर्य जातक को धनवान बनाता है | जातक में स्वय का आत्म्बल होता है एव गंभीर होता है | जातक महत्वाकांक्षी होता है एव निरंतर प्रगति के लिए प्रयासरत रहता है | स्वभाव से जातक उदार भी होता है | सूर्य ग्रहों मे राजा माना जाता है | अत: जिस जातक की पत्रिका में सूर्य की स्थिति मजबूत हो वह पूर्ण फल प्रदान करती है | मेष राशी में सूर्य के होने पर जातक कठिन परिश्रमी होता तथा उदर रोग व पित्त विकार से पीड़ित होता है |
सूर्य वृषभ राशी में स्थित हो तो जातक पशु,वाहन,धन-धान्य, आभूषण,भोजन-सुगंध, पुष्पमाला आदि से सुखी तथा सरकारी नौकरी से लाभ प्राप्त करने वाला होता है | वृषभ राशी में स्थित सूर्य वाले जातक स्त्री से शत्रुता रखने वाला तथा उनसे अनादर पाने वाला होता है | जातक व्यवहार कुशल एव शांत स्वभाव का होता है | उसे मुख संबंंधी रोग हो सकते है | जातक अत्यधिक स्वाभिमानी होता है |
मिथुन राशी के सूर्य से जातक का व्यक्तित्व प्रभावशाली होता है क्युकी मिथुन राशी का स्वामी बुध है इसलिए बुध के प्रभाव से जातक में विवेक ,बुद्धिमता व विद्वता प्रचूर मात्रा में होती है | जातक मधुरभाषी एव नम्र होता है | जातक सबसे स्नेह करने वाला होता है | जातक धनवान होता है | जातक की रूचि इतिहास व ज्योतिष जैसे विषयों में रहती है | कफ जैसे रोगों से जातक त्रस्त रहता है |
सूर्य कर्क राशी में स्थित हो तो यह भी एक शुभ स्थित है क्योंकि कर्क राशी का स्वामी चन्द्रमा सूर्य का मित्र है | सूर्य के कर्क राशी में स्थित होने से जातक कार्य कुशलता से करता है एव कीर्ति पाता है | जातक कर्क राशी के प्रभाव से चंचल व कफ रोगों से पीड़ित रहता है | जातक कार्यो को बड़ी शीघ्रता से करता है | जातक दुसरो का कार्य भी सहज करता है एव परोपकारी होता है |
सूर्य सिंह राशी में स्थित हो तो यह भी एक शुभ स्थित है क्योंकि सिंह राशी सूर्य की स्वराशी है | इसके प्रभाव से जातक धैर्यशील पुरुषार्थ करने वाला तेजस्वी व गंभीर होता है | जातक को क्रोध बहुत आता है एव वह उत्साही भी बहुत रहता है | जातक नियमित योग अभ्यास भी करता है | ऐसे जातक को एकांत में रहना प्रिय होता है जातक को वन व पर्वत अत्यंत प्रिय लगते है | जातक पराक्रमी व साहसी भी होता है |
कन्या राशी का स्वामी भी बुध है इसलिए कन्या राशी में सूर्य के स्थित होने से जातक लेखन व पठन-पाठन में कुशल होता है किन्तु जातक बहुत अधिक व व्यर्थ का बोलने वाला होता है | जातक पेट संबंंधी विकार से ग्रस्त होता है इसलिए वह दुबला-पतला,शक्तिहीन व दुर्बल होता है | जातक गणित व खेल में निपुण होता है |
तुला राशी का स्वामी शुक्र सूर्य का नैसर्गिक शत्रु है | सूर्य तुला राशी 10 अंश तक नीच का होता है | जिस प्रकार मेष राशी में उच्च का सूर्य होने पर जातक में आत्मबल होता है | उसी प्रकार तुला राशी में नीच का सूर्य होने पर ठीक इसके विपरीत जातक मे आत्मबल की कमी होती है | जातक मलिन व व्यभिचारी होता है | जातक को नीच कार्य जैसे-शराब,तम्बाकू इत्यादि के कार्य में लाभ हो सकता है | ऐसे व्यक्ति में उत्साह की कमी होती है | जातक को धन संग्रह में भी परेशानिया आती है | जातक पेट संबंंधी रोगों से परेशान रहता है | जातक को घुमने का शौक होता है | जातक कलह प्रिय , पापी , लोक उपकारी , धन धान्य विहीन , मलिन, विरोधी तथा मद्यपान करने वाला होता है |
वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल है जो की सूर्य का मित्र है इसलिए सूर्य वृश्चिक राशि में स्थित हो तो जातक लोकमान्य होता है सूर्य व मंगल दोनों का तत्व अग्नि है जिसके प्रभाव से जातक अति क्रोधी, साहसी व पेट संबंधी रोगों से पीड़ित रहता है। जातक चिकित्सा या विष संबंधी चिकित्सा या गुप्त रूप से उद्योग जैसे विष विक्रय में लाभ प्राप्त करता है। जातक केवल प्रेम से ही झुकने वाला होता है।
धनु राशि का स्वामी गुरु है जो कि सूर्य का मित्र है। इसलिए सूर्य के लिए धनु राशि मित्र की राशि हुई। सूर्य के धनु राशि में होने से जातक बुद्धिमान, दयालू, शांत स्वभाव का एवं विवेक रखने वाला होता है। जातक व्यवहार में कुशल सूर्य होता है। जातक धार्मिक होता है। जातक अन्य मनुष्यों द्वारा पूज्यनीय होता है। जातक धनवान होता है।
मकर राशि का स्वामी शनि है जो कि सूर्य का पुत्र तो है परन्तु परम शत्रु भी है इसलिए मकर राशि में सूर्य शत्रु राशि का होगा जिसके प्रभाव से जातक धनहीन सुखहीन एवं निराश होता है । सूर्य जातक व्यर्थ के प्रपंचों में पड़ता है। जातक दूराचारी व चंचल होता है । जातक लोभी होता है। जातक अनेक भाषाओं का ज्ञान रखता है व बोलता है। सूर्य मकर राशि में हो तो जातक उत्सवहीन, स्वजनों का अहित करने वाला एवं अपमानित होता है।
कुंभ राशि का स्वामी भी शनि है जो कि सूर्य का परम शत्रु है। अतः कुंभ राशि भी सूर्य कीशत्रु राशि होगी। कुंभ राशि में सूर्य सूर्य हो तो जातक दयाहीन, मलिन हृदय, एवं चिंताग्रस्त होता है। ऐसे जातक के मित्र स्वार्थी होते है। जातक नीच कर्म में रत रहता है। जातक असत्यभाषी तथा स्त्री व पुत्र से कष्ट पाने वाला होता है। जातक का स्थिर चित्त होता है एवं वह कार्यदक्ष होता है। जातक को क्रोध भी बहुत आता है ।
मीन राशि का स्वामी गुरु है जो कि सूर्य का मित्र है अतः मीन राशि का सूर्य होने पर यह सूर्य मित्र राशि में होगा । सूर्य मीन राशि 12 में स्थित हो तो जातक बुद्धिमान, चतुर, गम्भीर व शांत प्रवृत्ति का होता है | जातक धैर्यवान व संतोषी होता है । जातक यशस्वी, विवेकी व ज्ञानी होता है। सूर्य अपने मित्र राशि में होने पर अपने पूर्ण फल की सिद्धि देता है। जातक क्रय-विक्रय व व्यापार द्वारा धन राशि प्राप्ति करता है। जातक सज्जनों का प्रिय होता है। जातक परम ज्ञानी व योगी होता है। ऐसे जातक को ससुराल पक्ष से विशेष लाभ होता है।
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