यदि आपके जीवन में अशांति है तो करिये राहू स्तोत्र का पाठ मिलेंगी आपके मन को शांति |

राहु स्तोत्र/Rahu Stotra

राहुर्दानवमंत्री च सिंहिकाचित्तनन्दन:। अर्धकाय: सदा क्रोधी चन्द्रादित्य विमर्दन: ।।1।।

रौद्रो रूद्रप्रियो दैत्य: स्वर्भानु र्भानुभीतिद:। ग्रहराज सुधापायी राकातिथ्यभिलाषुक: ।।2।।

कालदृष्टि: कालरूप: श्री कण्ठह्रदयाश्रय:। बिधुंतुद: सैंहिकेयो घोररूपो महाबल: ।।3।।

ग्रहपीड़ाकरो दंष्टो रक्तनेत्रो महोदर:। पंचविंशति नामानि स्म्रत्वा राहुं सदानर: ।।4।।

य: पठेन्महती पीड़ा तस्य नश्यति केवलम्। आरोग्यं पुत्रमतुलां श्रियं धान्यं पशूंस्तथा ।।5।।

ददाति राहुस्तस्मै य: पठेत स्तोत्र मुत्तमम्। सततं पठेत यस्तु जीवेद्वर्षशतं नर: ।।6।।

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