pornima | Paurnima | पौष पूर्णिमा 2024

Satya Narayan Satynarayan Vrat Katha
सत्यनारायण कथा Satynarayan Vrat Katha

पूर्णिमा हर माह में समायोजित रूप से आती है और इस दिन आकाश में चंद्रमा अपने पूरे रूप में दिखाई देता है। यह चंद्रमा की पूर्णता हमें शुभ फल का संकेत देती है और पूर्णिमा का दिन पूजा और महत्वपूर्ण आयोजनों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। पंचांग के अनुसार यह दिन अत्यंत शुभ होता है और लोग इसे धार्मिक अवसर के रूप में मनाते हैं। इस दिन को भक्ति और पूजा में समर्पित करने से उच्च स्तर की आनंद और सुख की प्राप्ति होती है।

पूर्णिमा के दिन हमें घर में भगवान की पूजा या श्री सत्यनारायण की पूजा करने से हमारे सभी प्रकार के दुख हरण हो जाते हैं और हमें हमेशा सुख शांति और समाधान प्राप्त होता है इस प्रकार से हमें पूर्णिमा के दिन श्री सत्यनारायण की पूजा करनी चाहिए|

किस लिए श्री सत्यनारायण पूजा पूर्णिमा के दिन की जाती है?

पूर्णिमा के दिन आकाश में चंद्रमा पूरी तरह से दिखाई देता है और ऐसा दिन श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा अपने घर में या अपने व्यवहार स्थान में करने से हमें सुख समृद्धि और धनलक्ष्मी की प्राप्ति होती है और हमारा परिवार सभी दुखों से निवारण होता है|
यदि आपके घर में किसी भी प्रकार की परेशानी प्रॉब्लम्स चल रहे हो तो हर पूर्णिमा के दिन आप यदि श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा करते हो तो आपको जो फल मिलेगा वह अत्यंत शुभकारी और जो आपका दुख है वह निवारण करने के लिए भगवान श्री सत्यनारायण आपको हमेशा सुख शांति और समृद्धि के साथ आपके परिवार में सभी का कल्याण करने वाले हैं तो आप हर पूर्णिमा के दिन और संक्रांति के दिन यदि श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा अपने घर में करते हो और श्री सत्यनारायण भगवान कथा आप पढ़ते हो या श्रवण करते हो तो आपको अत्यंत शुभकारी फल मिलेगा|

श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा और कथा करने से हमें अत्यंत शुभकारी फल मिलता है। इस पूजा से हमारे घर में होने वाली परेशानियों का निवारण होता है और हमें सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। श्री सत्यनारायण भगवान हमारे परिवार में हमेशा सुख, शांति और कल्याण लाते हैं। हर पूर्णिमा और संक्रांति के दिन अपने घर में भगवान की पूजा करने से हमारी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और हमें अपार आनंद और संतुष्टि का अनुभव होता है। इसलिए, हमें हर पूर्णिमा और संक्रांति के दिन श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा और कथा करनी चाहिए ताकि हमें अत्यंत शुभकारी फल मिल सके।

Paush Purnima 2024: पौष पूर्णिमा के दिन shubh muhurta and information anout the पूर्णिमा.

Paush Purnima 2024: पौष पूर्णिमा के दिन व्रत, गंगा स्नान एवं दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान के बाद दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और मोक्ष मिलता है।

पौष पूर्णिमा 2024
हिंदू पंचांग के के अनुसार 24 जनवरी 2024 की रात 9 बजकर 24 मिनट से पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि शुरू हो रही है। अगले दिन यानी 25 जनवरी 2024 को रात 11 बजकर 23 मिनट पर इसका समापन होगा। ऐसे में इस साल 25 जनवरी 2024 को पौष पूर्णिमा मनाई जाएगी।

पौष पूर्णिमा 2024 शुभ मुहूर्त
पौष पूर्णिमा के दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:12 बजे से 12:55 बजे तक है। साथ ही इस दिन पुनर्वसु नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और गुरु पुष्य योग का अद्भुत संयोग भी बन रहा है। शास्त्रों के अनुसार इस शुभ योग में पुण्य और धार्मिक काम करने से ज्यादा फल मिलता है।  

चंद्रोदय का समय  
25 जनवरी को चंद्रोदय शाम करीब 5 बजकर 29 पर होगा। इसके बाद आप चंद्रमा को अर्घ्य इसी समय दे सकते हैं। वहीं पूर्णिमा तिथि पर रात्रि के समय मां लक्ष्मी की पूजा करें। इससे घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होगी और सुख-समृद्धि बनी रहेगी।

व्रत विधि

  • पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें और स्नान से पूर्व वरुण देव को प्रणाम करें।
  • आप घर पर भी पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
  • स्नान के पश्चात सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • स्नान से निवृत्त होकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें। उन्हें नैवेद्य अर्पित करें।
  • फिर ब्राह्मणों और गरीबों में दान-दक्षिणा दें।


पौष पूर्णिमा पर इन वस्तुओं का करें दान
पौष पूर्णिमा के दिन तिल, गुड़, कंबल और ऊनी वस्त्रों का दान करना चाहिए। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। इस बात का ध्यान जरूर रखें कि दान केवल जरूरतमंद लोगों तक पहुंचना चाहिए।

पौष पूर्णिमा तिथि का महत्व
ज्योतिष में चंद्रमा का मन एवं द्रव्य पदार्थों का कारक माना जाता है। मान्यता है कि पौष पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपने संपूर्ण रूप में होता है, जिसका प्रभाव व्यक्ति के मन मस्तिष्क में पड़ता है। पौष पूर्णिमा के बाद से ही माघ माह की शुरुआत हो जाती है और इस दिन से ही प्रयाग राज में संगम तट पर माघ मेला शुरू हो जाता है, जिसमें देश-विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालु संगम तट पर डुबकी लगाते हैं।

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