जानिया मूंगा यानि Coral रत्न की प्राप्ति और धारण करने के लाभ.
Moonga | Coral मूंगा रत्न भाषा भेद के अनुसार
मूंगे को संस्कृत में प्रवाल, विद्रुम, लतामणि, अंगारकमणि, रक्तांग हिन्दी में मूंगा, उर्दू एवं फारसी में भिरजान और इंग्लिश भाषा में कोरल कहा जाता है। मूंगा मंगल ग्रह का प्रतिनिधि रत्न है। इसे विभिन्न नामों से पुकारा जाता है तथा- मूंगा,
भौम-रत्न, प्रवाल, मिरजान, पोला होता है। मूंगा मुख्यतः लाल रंग का होता है। इसके अतिरिक्त मूंगा सिंदूरी, गेरुआ, सफेद तथा काले रंग का भी होता है। मूंगा एक जैविक रत्न होता है। मूंगा के प्राप्ति स्थान मूंगा समुद्र के गर्भ में लगभग छ:-सात सौ फीट नीचे गहरी चट्टानों पर विशेष प्रकार के कीड़े, जिन्हें आईसिस नोबाइल्स कहा जाता है, इनके द्वारा स्वयं के लिए बनाया गया घर होता है। उनके इन्हीं घरों को मूंगे की बेल अथवा मूंगे का पौधा भी कहा जाता है। बिना पत्तों का केवल शाखाओं से युक्त यह पौधा लगभग एक या दो फुट ऊंचा और एक इंच मोटाई का होता है। कभी-कभी इसकी ऊंचाई इससे अधिक भी हो जाती है। परिपक्व हो जाने पर इसे समुद्र से निकालकर मशीनों से इसकी कटिंग आदि करके मनचाहे आकारों का बनाया जाता है।
मूंगे के विषय में कुछ लोगों की धारणा है कि मूंगे का पेड़ होता है किंतु वास्तविकता यह है कि मूंगे का पेड़ नहीं होता और नही यह वनस्पति है। बल्कि इसकी आकृति पौधे जैसी होने के कारण ही इसे पौधा कहा जाता है। वास्तव में यह जैविक रत्न होता है। मूंगा समुद्र में जितनी गहराई पर प्राप्त होता है, इसका रंग उतना ही हल्का होता है। इसकी अपेक्षा कम गहराई पर प्राप्त मंगे का रंग गहरा होता है। अपनी रासायनिक संरचना के रूप में मूंगा कैल्शियम कार्बोनेट का रूप होता है।
मूंगा भूमध्य सागर के तटवर्ती देश अल्जीरिया, सिगली के कोरल सागर, ईरान की खाड़ी, हिंद महासागर इटली तथा जापान में प्राप्त होता है। इटली से प्राप्त मूंगे को इटैलियन मूंगा कहा जाता है। यह गहरे लाल सुर्ख रंग का होता है तथा सर्वोत्तम मूंगा जापान का होता है। सामान्यत: मूंगा नारंगी रंग का पाया जाता है। लाल, गुलाबी, सफेद, काले तथा सर्वश्रेष्ठ मूंगे नारंगी अथवा लाल रंग के ही होते हैं।
तत्व एवं संरचना
मुंगा, कैल्शियम, मैग्नीशियम कार्बोनेट, लौह तथा कुछ अन्य जैविक पदार्थों का भी खनिज नहीं है। लाल, गुलाबी, सफेद, काले तथा धूम्र रंग के मूंगे भी प्राप्त होते हैं। -जैविक पदार्थों का संगठन है। मोती की भाँति ही यह भी होता है |
विशेषता एवं धारण करने से लाभ
मूंगे की प्रमुख विशेषता इसका चित्ताकर्षक सुंदर रंग व आकार ही होता है। यद्यपि मूंगा अधिक मूल्यवान रत्न नहीं होता किंतु इसके इसी सुंदर व आकर्षक रंग के कारण इसे नवरत्नों में शामिल किया गया है। मूंगा धारण करने से मंगल ग्रह जनित समस्त दोष शांत हो जाते हैं। मूंगा धारण करने से रक्त साफ रक्त की वृद्धि होती है। हृदय रोगों में भी मूंगा धारण करने से लाभ होता है। मूंगा धारण करने से व्यक्ति पाप (नजर लगाना) तथा भूत-प्रेतादि का भय नहीं रहता। इसीलिए प्रायः छोटे बच्चों के गले में मूंगा धारण करने से व्यक्ति को नजर गों के गले में मुंगे के दाने डाले जाते हैं।
तान्त्रिक प्रयोगों में मूंगे का अपना विशेष स्थान है। मूंगे के अतिरिक्त किसी अन्य रत्नीय पत्थर का उपयोग तांत्रिक प्रयोगों में कम होता है। तंत्र में प्रयोग की जाने वाली मूर्तियाँ यदि मूंगे की बनायी जायें तो श्रेष्ठ होता है। विशेष रूप से गणेश-सिद्धि तथा लक्ष्मी-साधना के लिए प्रयोग की जाने वाली मूर्तियां तो मूंगे की ही सर्वश्रेष्ठ होती हैं।