जानिए आपकी कुंडली में अष्टम भाव में सूर्य का प्रभाव कैसे होता है |
स्वभाव
अष्टम स्थान में सूर्य के प्रभाव से जातक अपव्ययी एवं झगड़ालू स्वभाव का होता है। वह रहस्यात्मक विद्याओं में रूचि रखने वाला होता है। जातक कामी, अस्थिर विचारों वाला एवं बातूनी होता है।
पूर्ण दृष्टि
द्वितीय भाव पर सूर्य की पूर्ण दृष्टि के प्रभाव से जातक को पैतृक संपत्ति मिलने में बाधाएँ आती है। जातक के पारिवारिक सुख में भी न्यूनता आती है ।

मित्र / शत्रु राशि
मित्र, स्व व उच्च राशि में होने पर सूर्य जातक को सुखी बनाता है एवं अष्टम स्थान पर होने वाले अशुभ प्रभाव को खत्म करता है। शत्रु व नीच राशि में स्थित सूर्य जातक को चिंतायुक्त बनाता है। जातक में धैर्य की कमी होती है एवं बहुत जल्दी अपना धैर्य खोकर क्रोधित हो उठता है ।
भाव विशेष
जातक को अष्टमस्थ सूर्य के प्रभाव से कमर की पीड़ा विशेषकर दाँये भाग में होने की संभावना होती है। हृदय संबंधी रोग भी हो सकते है। अष्टम स्थान पर स्थित सूर्य के प्रभाव से जातक रोगी रहता है विशेषकर जातक को पित्त संबंधी कष्ट रहता है। अष्टमस्थ सूर्य जातक को एक तरफ जहाँ लंबी आयु प्रदान करता है। वहीं जातक को यह धनी भी बनाता है। जातक बुद्धिमान होता है।











