वैदिक संस्कृति का कर्मकाण्ड प्रधान अंग है। यह मनुष्य की अनेकों भौतिक और आध्यात्मिक इच्छाओं को पूर्ण करता है। कई प्राचीन ऋषि-महर्षिय जो कर्मकाण्डी थे, वे शास्त्रों के अनुसार ही अपना जीवन व्यतीत किया करते थे और कर्मकाण्ड के द्वारा अपना और जगत का कल्याण किया करते थे।
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