janm kundali janmkundali
| | |

श्री पांडुरंगाष्टकम्

 श्री पांडुरंगाष्टकम्   महज्ञायोगपीठे तटे भीमरथ्या। वरं पुंडरीकाय दातुं मुनिद्रैः ।। समागत्य तिष्ठतमानंदकंदं । परब्रम्हलिंगं भजे पांडुरंगम् ।।१।। तडिद्वससं नीलमेघवभासं। रमामंदिरं सुंदर चित्प्रकाशम् ।। वरं त्विष्टिकायां समन्यस्तपादं। परब्रम्हलिंगं भजे पांडुरंगम् ।।२।। प्रमाणं भवाब्धेरिंद मामकानां। नितंब: कराभ्यां धृतो येन तस्मात् ।। विधातुर्वसत्यै धृतो नाभिकोशः। परब्रम्हलिंगं भजे पांडुरंगम् ।।३।। स्फुरत्कौस्तुभालंकृतं कंठदेशे। श्रिया जुष्टकेयूरकं श्रीनिवासम् ।। चिवं शान्तमीड्यं…