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श्री हनुमानजी की आरती
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके॥अंजनि पुत्र महा बलदाई। सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥आरती कीजै हनुमान लला की। दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारि सिया सुधि लाए॥लंका सो कोट समुद्र-सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई॥आरती कीजै हनुमान लला की। लंका…