जानिए आपकी कुंडली में शुक्र ग्रह 12 भाव में क्या फल देते है ?
1. लग्न में शुक्र का प्रभाव
स्वभाव
लग्न मे स्थित शुक्र के प्रभाव से जातक सुखी,महत्वाकांक्षी , प्रेम संबंधि , काव्य , नाट्य , संगीत प्रेमी और मनोरंजन प्रिय होता है | जातक प्रसन्नचित रहने वाला , शिष्ट ,सुसंस्कृत और विलासी होता है | जातक सत्संगी , सर्वप्रिय और निति युक्त होता है |
स्वरुप : –
लग्न में शुक्र के प्रभाव से जातक अत्यंत सुंदर एव आकर्षक होता है | जातक का चेहरा गोल होता है | एव आखे सुंदर होती है तथा मधुर वाणी होती है |
स्वास्थ्य : –
शुक्र के प्रभाव से जातक में अति प्रबल काम भावना हो जाती है | जातक दीर्घायु होता है |
व्यवसाय : –
लग्नस्थ शुक्र के प्रभाव से जातक नाट्यकार , कलाकार अभिनय एव विज्ञापन के क्षेत्र में सफल होता है |
पूर्ण दृष्टी : –
शुक्र की पूर्ण दृष्टी सप्तम भाव पर पड़ती है जिसके प्रभाव से जातक की पत्नी सुंदर होती है | जातक कामी एव विपरीत लिंग के प्रति आकर्षित रहता है |
मित्र / शत्रु राशी : –
मित्र , स्व एव उच्च राशी में शुक्र अति शुभ होता है | जातक को वैभव विलासिता के सारे सुख उपलब्ध होते है | शत्रु व नीच राशी का होने पर विवाह देर से होता है | जातक विलासी, कामी एव अपव्ययी होता है | जातक तड़क भड़क एव दिखावे में धन और समय व्यर्थ करता है |
भाव विशेष : –
लग्न में शुक्र की स्थिति से जातक प्राय: उत्तम कोटि के कपडे पहनना पसंद करता है एव रहन सहन में नजाकत पसंद होता है | जातक अपने सौंदर्य का विशेष ध्यान रखता है एव सौंदर्य प्रसाधनो का शौकीन होता है | स्त्रियों की जन्म पत्रिका में लग्नस्थ शुक्र के प्रभाव से वे अति सुंदर होती है |
2 . द्वितीय स्थान में शुक्र का प्रभाव
स्वभाव
द्वितीय स्थान में स्थित शुक्र के प्रभाव से जातक मिष्ठान प्रिय, यशस्वी सुखी, कलाप्रिय एवं भाग्यशाली होता है। वह कर्त्तव्य परायण, चतुर और अच्छा वक्ता भी होता है।
पूर्ण दृष्टि
द्वितीयस्थ शुक्र की पूर्ण दृष्टि अष्टम भाव पर पड़ती है। जिससे जातक गुप्त रोगी हो सकता है। जातक कफ व वात रोगों से भी प्रभावित होता है। शुक्र की अष्टम स्थान पर दृष्टि से जातक पर्यटन करने वाला एवं विदेशवासी होता है ।
मित्र / शत्रु राशि
शुक्र के स्व, उच्च या मित्र राशियों में होने से जातक उत्तम सुख प्राप्त करता है। मित्र राशियों में होने से जातक को धन, यश, लोकप्रियता व बड़े कुटुंब की प्राप्ति होती है। शत्रु व नीच राशि में शुक्र के होने पर शुभ फल में न्यूनता आती हैं शत्रु राशि का शुक्र होने पर जातक का धन संचय नहीं होता हैं । जातक को पैतृक संपत्ति की प्राप्ति में भी अनेक बाधाएं आती है। जातक के पारिवारिक सुख में भी न्यूनता आती है।
भाव विशेष
द्वितीयस्थ शुक्र के प्रभाव से जातक धन का अर्जन व बचत करता है। जातक मित्रों के लिए हितेषी होता है। शुक्र के प्रभाव से जातक पारिवारिक व्यवसाय को आगे बढ़ाता है। कला के क्षेत्र में जातक प्रसिद्धी प्राप्त करता है। प्रतिकूल प्रभाव से मित्रों की संगति में बर्बाद होता है। जातक धैर्य नहीं होता है जिससे वह बिना सोचे समझें निर्णय लेता है एवं अनेक कष्ट उठाता है।
3. तृतीय स्थान में शुक्र का प्रभाव
स्वभाव
तृतीय स्थान में स्थित शुक्र के प्रभाव से जातक मनोरंजन प्रिय, सुखी धनी, यात्रा प्रिय, विद्वान और कला प्रिय होता है। जातक मिलनसार और विपरित लिंग के व्यक्ति के प्रति सहज रूप से आकर्षित होता है। जातक को बहनों का विशेष सहयोग मिलता है।
पूर्ण दृष्टि
तृतीय भाव में स्थित शुक्र की पूर्ण दृष्टि नवम स्थान पर होती है जो जातक के लिए शुभ फलदायक होती है। नवम स्थान पर शुक्र की दृष्टि से जातक सरपंच, ग्रामाधिपति व अपने कुल व समाज में उच्च पद व प्रतिठा प्राप्त करता हैं जातक की धर्म के प्रति अत्यंत आस्था होती है । जातक की रंगमंच, होटल व्यवसाय व कीर्ति दूर-दूर तक फैलती है। मनोरंजन के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
मित्र / शत्रु राशि
मित्र, स्व व उच्च राशि में स्थित शुक्र के प्रभाव से जातक का व्यक्तित्व आकर्षक होता है व उसे भाई-बहनों का सहयोग प्राप्त होता है। वह पराक्रमी एवं अपने पुरूषार्थ से सफलता प्राप्त करता है । स्वराशि में जातक लंबी यात्राएं अपने आनंद के लिए करता है। प्राप्त होता है। जातक को भाईयों व बहनों से सहयोग नहीं मिलता है। उसमें साहस की कमी होती है।
भाव विशेष
तृतीय भाव भाई-बहन व पराक्रम से संबंध रखता की स्थिति से जातक को इसलिए तृतीय भाव में शुक्र भाइयों विशेषकर बहनों का सुख व सहयोग प्राप्त होता है। जातक पराक्रमी होता है एवं अपने स्वयं के पराक्रम प्रगति करता है। तृतीय स्थान पर शुक्र की स्थिति जातक को भाग्यशाली भी बनाती है। जातक चित्रकारी में विशेष रूचि रखता है। जातक को पर्यटन में विशेष आनंद आता है।
4 . चतुर्थ स्थान में शुक्र का प्रभाव
स्वभाव
चतुर्थ स्थान में स्थित शुक्र के प्रभाव से जातक सुखी, दीर्घायु, कन्या संतती से युक्त साहित्य प्रेमी, धनी, यशस्वी, पुत्रवान, अपने मकान की साज सज्जा में विशेष रूचि रखने वाला और प्रसन्नचित्त होता है। जातक को उत्तम वाहन सुख प्राप्त होता है।
पूर्ण दृष्टि
जातक की जन्म पत्रिका में स्थित चतुर्थ शुक्र की सप्तम दृष्टि दसवें भाव पर होती है। जिसके प्रभाव से जातक कला, रंगमंच, मदिरालय (बियर – बार), जुआघर (कैसिनों), सौन्दर्य प्रसाधन व स्त्री वस्तुओं संबंधी व्यापार व व्यवसाय में सफल होता है व स्थिति के अनुसार लाभ प्राप्त करता है।
मित्र / शत्रु राशि
मित्र, स्व और उच्च राशि में चतुर्थस्थ शुक्र शुभ फलदायक होता है। जमीन-जायदाद, पिता, माता और वाहन का सुख जातक को उत्तम प्रकार से प्राप्त होता है। शत्रु व नीच राशि में व्यर्थ की विलासिता पूर्ण वस्तुओं में जातक अपना अजित धन व्यय करता है। माता से विशेष प्रेम होने के बाद भी अनबन व वैचारिक मतभेद होने से माता को अपने आप बिना विचार के कष्ट होता रहता है।
भाव विशेष
चतुर्थस्थ शुक्र के प्रभाव से जातक के माता से अच्छे संबंध होते है एवं उसे उनका सहयोग सदैव मिलता रहता है। चतुर्थ स्थान में शुक्र की स्थिति से जातक परोपकारी व व्यवहार दक्ष होता है। जातक पुत्रवान, सुंदर, सुखी एवं दीर्घायु होता है। जातक को समस्त प्रकार के सुख, उच्च कोटि का मकान, श्रेष्ठ वाहन सुख एवं जमीन-जायदाद का सुख चतुर्थ स्थान में शुक्र की स्थिति से प्राप्त होता है।
5 . पंचम भाव में शुक्र का प्रभाव
स्वभाव
पंचम स्थान में स्थित शुक्र के प्रभाव से जातक उदार, कला प्रेमी एवं अनेक संतानों से युक्त होता है। वह चतुर, दयालु विद्वान, संगीत प्रेमी, स्नेही स्वभाव वाला और मधुर भाषी होता है।
पूर्ण दृष्टि
पंचम स्थान स्थित शुक्र की सप्तम दृष्टि एकादश स्थान पर होती है। जिसके प्रभाव से जातक की आय में वृद्धि होती है। जातक को स्त्रियों की सहायता से धनार्जन होता है।
मित्र / शत्रु राशि
मित्र, स्व व उच्च राशि का शुक्र होने पर जातक को उच्च शिक्षा प्राप्त होती है। उसे कला संबंधी क्षेत्रों में प्रसिद्धि मिलती है। जातक को संतान का सुख प्राप्त होता है। जातक विद्वान होता है। यद्यपि बहुत पढ़ा लिखा नहीं होता पर उसे विद्वानों से आदर प्राप्त होता है। जातक सहज और सरल होता है। शत्रु व नीच राशि का शुक्र होने पर जातक की शिक्षा दीक्षा में बाधाएं आती है। उसे कार्यक्षेत्र में असफलता मिलती है।
भाव विशेष
पंचमस्थ शुक्र के प्रभाव से जातक को परिवार से लाभ होता है। जातक कला के क्षेत्रों में जैसे संगीत, वादन, इत्यादि में प्रसिद्ध होता है । जातक सुखी, भोगी एवं लालची होता है। जातक दूसरों का विशेष ख्याल रखता है। जातक न्यायवान, दानी, उदार एवं सद्गुणी होता है। जातक व्यवसायी एवं प्रतिभाशाली होता है।
6. छठे भाव में शुक्र का प्रभाव
स्वभाव
षष्ठ स्थान में शुक्र के प्रभाव से जातक संकीण मनोवृत्ति वाला होता है। वह गुप्त रोगों से ग्रसित, स्त्री सुख से हीन और फिजूल खर्चीला होता है।
पूर्ण दृष्टि
षष्ठ स्थान पर स्थित शुक्र की पूर्ण दृष्टि द्वादश स्थान पर पड़ती हैं। जिसके प्रभाव से जातक विवादास्पद कार्यों में व्यय करने वाला होता है। जातक का बीमारियों में अधिक व्यय होता हैं।
मित्र / शत्रु राशि
के मित्र, स्व व उच्च राशि में होने पर जातक को शुक्र मध्यम फल प्राप्त होते है एवं शत्रु व नीच राशि में होने से अशुभ फल की प्राप्ति होती है। मित्र राशि में शुक्र के होने पर जातक को मामा के पक्ष से लाभ होता है। जातक के अनेक मित्र होते है। शत्रु राशि के शुक्र के होने से जातक को लाभ नहीं होता है। जातक दुःखी एवं अस्वस्थ रहता है। जातक को गुप्तरोग, मूत्ररोग व वीर्य संबंधी रोग हो सकते है।
भाव विशेष
षष्ठ भाव में स्थित शुक्र के प्रभाव से जातक वैभवहीन व दुखी होता है। जातक के शत्रु नहीं होते है और यदि होते है तो जातक पराजित होता है। जातक स्त्री के प्रति आकर्षित होता है। किंतु उसे उसकी पत्नी का सुख पूर्ण प्राप्त नहीं होता है। जातक दूराचारी भी होता है एवं अनैतिक कार्यों संलग्न रहता है। स्त्रियों में गर्भाशय संबंधी कष्ट होते है।
7. सप्तम भाव में शुक्र का प्रभाव
स्वभाव
सप्तम भाव में स्थित शुक्र के प्रभाव से जातक स्नेही, धनी, सौंदर्य प्रेमी और सुखी वैवाहिक जीवन वाला, साहित्य प्रेमी, जीवन के सभी सुखों का आनंद उठाने वाला होता है। जातक के अनेक मित्र होते हैं और वह मिलनसार होता है। सप्तम भाव में शुक्र के प्रभाव से जातक बुद्धिमान, चंचल और स्त्री प्रेमी भी होता है ।
पूर्ण दृष्टि
शुक्र की पूर्ण दृष्टि लग्न पर होती हैं जिसके प्रभाव से जातक सुन्दर, भाग्यवान, चतुर, भोग-विलास में रूचि रखने वाला और स्त्रीपक्ष की ओर विशेष आकर्षण रखता है।
मित्र / शत्रु राशि
मित्र, स्व व उच्च राशि में स्थित शुक्र के प्रभाव से जातक का स्वतंत्र व्यवसाय होता है । स्त्री राशि का होने पर स्त्री जातक अति सुंदर होती है । जातक को व्यापार व व्यवसाय दोनों में लाभ होता है, परंतु साझेदारी में प्रायः हानि उठानी पड़ती है । शत्रु व नीच राशि का शुक्र होने पर जातक चरित्रहीन होता है और उसे शत्रुओं से कष्ट उठाने पड़ते है । जातक को स्त्री से सुख में भी कमी आती है।
भाव विशेष
सप्तम स्थान के शुक्र की स्थिति से जातक का स्वतंत्र व्यवहार और किसी के दबाव में न रहने का स्वभाव होता है। जातक सुंदर, आकर्षक व्यक्तित्व और कामुक कार्य मे अधिक रूचि रखता है। जातक बुद्धिमान, सहज, धैर्यवान और दूसरों को सहज ही मोहित कर लेता है। जातक उदार और लोकप्रिय होता है । जातक का भाग्योदय विवाह के बाद होता है तथा भाग्यवान, विलासी और चंचल होता है।
8 . अष्टम भाव में शुक्र का प्रभाव
स्वभाव
अष्टम भाव में स्थित शुक्र के प्रभाव से जातक कामी स्वभाव का और गुप्त कार्यों में रत रहने वाला होता है। जातक आलसी होता है पर प्रसिद्धि प्राप्त करता है। प्रेम संबंधों में जातक को प्रायः असफलता प्राप्त होती है। जातक की रूचि आध्यात्म, तंत्र मंत्र और गुप्त विद्याओं में होती है।
पूर्ण दृष्टि
अष्ठम स्थान पर स्थित शुक्र की पूर्ण दृष्टि द्वितीय भाव पर पड़ती है। जिसके प्रभाव से जातक परिवार का सुख और धन धान्य को प्राप्त करता है। जातक क्रोधी एवं निर्दयी भी होता हैं
मित्र/शत्रु राशि
स्व, मित्र एवं उच्च राशियों में अष्टम भाव जातक को सुखी, धनी तथा सहज बनाता है। जातक का जीवन साथी उसे पूरा सहयोग करता है। जातक दीर्घायु होता है । शत्रु व नीच राशि का शुक्र होने पर जातक को आर्थिक और शारीरिक कष्ट होते है। जातक को व्यवसाय में अव्यवस्था तथा अस्थिरता होती है।
भाव विशेष
अष्टम भाव स्थित शुक्र के प्रभाव से जातक ज्योतिष विद्या के प्रति अध्ययनरत रहता है। जातक मनस्वी होता है। जातक का परस्त्री से संबंध व आर्कषण रहता है। अष्टम शुक्र जातक को निर्दयी, रोगी एवं दुखी बनाता है। जातक की पर्यटन में विशेष रूचि होती है।
9. नवम भाव में शुक्र का प्रभाव
स्वभाव
नवम भाव में स्थित शुक्र के प्रभाव से जातक आस्तिक, गुणी और मनोरंजन प्रिय होता है। वह यशस्वी, प्रतिभाशाली, उदार एवं सबके प्रति सहानुभूति रखता है। जातक आशा वादी और सर्वसुख प्राप्त करने वाला होता बुद्धिमान, चंचल और भाग्यशाली होता है।
पूर्ण दृष्टि
नवम भाव में स्थित शुक्र की तृतीय स्थान पर पूर्ण दृष्टि के प्रभाव से जातक महत्वाकांक्षी, अधिक बहनों वाला, सुखी तथा पराक्रमी होता है।
मित्र / शत्रु राशि
स्व, मित्र एवं उच्च राशियों में स्थित शुक्र जातक के लिए शुभफलदायक होता है। जातक का विवाह के बाद भाग्योदय होता है । व्यवसाय के लिए महिलाओं से जातक का विशेष सहयोग प्राप्त होता है। शत्रु एवं नीच राशिगत नवम शुक्र जातक को भाग्यहीन बनाता है। जातक को सुख प्राप्त नहीं होता है।
भाव विशेष
जातक नवमस्थ शुक्र के प्रभाव से अत्यंत आशावादी, उच्चाधिकारीयों का कृपापात्र और सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत करने वाला होता है। जातक का भाग्य पूर्ण रूप से उसका साथ देता है। नवमस्थ शुक्र के प्रभाव जातक को भाग्य से पत्नी एवं संबंधियों द्वारा धन प्राप्त होता है। विदेश से व्यापारिक संबंधों से विशेष लाभ होता है। कलात्मक और साहित्यिक क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है। जातक आस्तिक, दयालु, गुणी एवं तीर्थ यात्राएं करता है।
10. दशम भाव में शुक्र का प्रभाव
स्वभाव
दशम भाव में स्थित शुक्र के प्रभाव से जातक विद्वान और तर्क वितर्क में कुशल होता है। जातक मात पितृ भक्त, धार्मिक कार्यो में रूचि रखने वाला, विलासी, भाग्यशाली, पराक्रमी, गुणी, दयालु, न्यायप्रिय, धनी और संपत्ति से युक्त होता है।
पूर्ण दृष्टि
चतुर्थ स्थान में स्थित शुक्र की पूर्ण दृष्टि चतुर्थ भाव पर पड़ती है जिसके प्रभाव से जातक सुखी होता है। जातक को माता का उत्तम सुख व कृपा प्राप्त होती है। जातक उन्नत प्रकार के भवन व वाहन का सुख प्राप्त होता है।
मित्र/शत्रु राशि
स्व, मित्र और उच्च राशि में स्थित शुक्र के प्रभाव से जातक की उन्नति होती है। स्त्रियों से विशेष कर माता से जातक को धन की प्राप्ति होती है । स्त्री राशि में होने पर जातक का भाग्योदय विवाह के बाद होता है। जातक स्वयं के व्यवसाय से लाभ प्राप्त करता है। शत्रु व नीच राशि का शुक्र स्त्रियों द्वारा धनहानि है। जातक कई प्रकार के व्यवसाय करना पसंद करता है। सभी व्यवसायों में जातक को सफलता प्राप्त नहीं होती है। जातक के पिता से तनावपूर्ण संबंध होते है।
भाव विशेष
दशमस्थ शुक्र जातक के राज्य भाव में वृद्धि करता है। व्यापार व व्यवसाय में स्त्रियों से व स्त्रियों द्वारा लाभ होता है। जातक को व्यवसाय में अपनी माता से भी सहायता होती है। सौंदर्य प्रसाधन, अभिनय, इत्यादि संबंधी कार्यो में जातक को विशेष सफलता प्राप्त होती है।
11. ग्याहरवें भाव में शुक्र का प्रभाव
स्वभाव
ग्याहरवें स्थान में शुक्र के प्रभाव से जातक पुत्रवान, जातक गुणवान, धनवान, यशस्वी, प्रभावशाली, उदार, कलाप्रिय और मित्रों से युक्त होता है। जातक ईश्वर से प्रीति रखने वाला और भौतिक जीवन में सफल होता है।
पूर्ण दृष्टि
एकादश स्थान पर शुक्र की पूर्ण दृष्टि पंचम स्थान पर पड़ती है जिसके प्रभाव से जातक संतान और विद्या से परिपूर्ण और कई पुत्रों का पिता होता है। जातक गुणवान होता है ।
मित्र/शत्रु राशि
मित्र, स्व व उच्च राशि का शुक्र जातक के लिए उन्नति दायक और आय को बढ़ाने वाला होता है। जातक की आय व खर्च दोनों ही अधिक होती है तथा अनुशासित जीवन व्यतीत करता है। शत्रु व नीच राशि में शुक्र होने से आय ओर यश दोनों में न्यूनता होती है। जातक अनावश्यक खर्च करता है। मित्रों से जातक को हानि उठानी पड़ती हैं।
भाव विशेष
एकादश भाव स्थित शुक्र जातक को स्थिर लक्ष्मीवान बनाता है। जातक धनवान, परोपकारी एवं लोकप्रिय होता है। जातक विलासी एवं कामी भी होता है। जातक को पूर्ण सुख प्राप्त होता है। जातक के कर्म क्षेत्र में महिला पक्ष का विशेष सहयोग मिलता है जिससे आय के क्षेत्र में विशेष उन्नति होती है। ग्याहरवें स्थान में स्थित शुक्र के प्रभाव से जातक कला के विभिन्न क्षेत्रों से धनार्जन करता है । लेखन, कविता पाठन, व्यग्यकार, नाटक तथा अभिनय में रूचि रखने वाला होता है। प्रायः अभिनेता, अभिनेत्री, फिल्म निर्माता तथा इस क्षेत्र से संबद्ध लोगों की पत्रिका में एकादश शुक्र होता है। श्वेत वस्तुओं तथा रत्नों के व्यापार से भी जातक को लाभ होता है।
12 . द्वादश भाव में शुक्र का प्रभाव
स्वभाव
द्वादश भाव में स्थित शुक्र के प्रभाव से जातक को अत्यंत विलासी पर भाग्यशाली बनाता है। जातक मनोरंजन और स्त्रियों पर व्यय करता है। जातक अत्यंत धनी होता है। साहसी और नित्य नये कार्य करना चाहता है।
पूर्ण दृष्टि
द्वादश भाव स्थित शुक्र की पूर्ण दृष्टि छठे स्थान पर पड़ने से जातक भाग्यशाली एवं शत्रुओं पर विजय पाने वाला होता है। जातक गुप्त रोगी और वीर्य विकार से युक्त होता है।
मित्र / शत्रु राशि
मित्र, स्व व उच्च राशि का शुक्र शुभ फलदायक होता है। धन यश और अन्य सुख प्राप्त होता है। शत्रु व नीच राशि में शुक्र होने पर जातक गरीब, कामी, व्यवसायी, दुर्बुद्धि और स्वार्थी होता हैं। उसकी आय से व्यय अधिक होता है। अतः वह जीवन में कई प्रकार के कष्ट उठाता है।
भाव विशेष
द्वादश भाव में स्थित शुक्र के प्रभाव से जातक राजा से समान उच्च अधिकार प्राप्त करता है। धन, मान सम्मान आदि प्रचुर मात्रा में जातक को प्राप्त होता है। जातक क्षणिक आवेश में बिना सोचे समझें कार्य करता है अतः मानसिक तनाव होते है। जातक विशेष रूप से कला सम्बंधी विषय में जातक विशेष रूचि रखता है। जातक व्यसनी होता है। जातक कटुभाषी, अविश्वासी एवं आलसी होता है।
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