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बालों की समस्या क्यों ? ravan sahinta upay |


गंजापन आयुर्वेद में इन्द्रलुप्त के नाम से जाना जाता है। पाश्चात्य चिकित्साशास्त्र
गंजेपन (इन्द्रलुप्त) को वंशानुगत रोग मानता है। एलोपैथी चिकित्सा पद्धति में ऐसी
कोई दवा नहीं जो गंजापन का इलाज कर दे। इस रोग के लिए वही दवा सफल है
जो सीधे बालों की जड़ों को प्रभावित कर सके। आयुर्वेद में इस रोग का मूल कारण
वात एवं पित्त के प्रदेशषण को माना है, अतः हमें चिकित्सा भी उन्हीं के आसपास
खोजनी चाहिए।

आयुर्वेद में एक जंगली फल जिसे अरुष्कर कहते हैं इसके सेवन से मूत्र की
मात्रा बढ़ती है तथा अधिक स्वेद लाने से त्वचा में बनी बालों की जड़ों (हेयर की
लिकिन्स) को उत्तेजित रक्त प्रवाह बढ़ाती है तथा बालों के पुनर्जीवन में अपना
महत्त्वपूर्ण योगदान करती है। अरुष्कर के योगों का इन्द्रलुप्त रोग में विशेष स्थान है।
लेप-चमेली के पत्ते, कनेर की जड़ एवं लता करंज के बीज के कल्क से तैल निकालकर सिर पर लेप करें।


भांगरा एवं बेरी के पत्तों का रस निकालकर सिर पर लेप करें।
हाथी दांत की भस्म और रसौत को मिलाकर बकरी के दूध में पीसकर लेप
करने से गंजापन शीघ्र खत्म होता है।

सर्वोत्तम दवा-सेहुड़ का दूध, आक का दूध, भांगरा, कलिहारी, बकरी का
मूत्र, गौ मूत्र, चौटनी की जड़ तथा इन्द्रायण एवं सफेद सरसों का शुद्ध तेल मिलाकर
गंजे सिर पर लेप करने से गंजापन आश्चर्यजक ढंग से गायब होने लगता है। यह
आयुर्वेद की सर्वोत्तम औषधि है। इसका इस्तेमाल कम-से-कम साल भर लगातार
सुबह-शाम दोनों वक्त किया जाए तो गंजापन गारंटी के साथ दूर किया जा सकता
है।

औषधि-असष्करामृत औषधि को प्रात:-सायं 6 माशा से 1 तोला की मात्रा
का सेवन लगातर 60 दिनों तक करने से गंजापन दूर होता है। इसके सेवन काल में शीतल
फलों का सेवन करना चाहिए तथा दूध, चावल देशी घी का पथ्य आवश्यक है।
नरसिंह चूर्ण-इसका प्रात:- सायं 6 माशा से 1 तोला दूध के साथ सेवन करने
से गंजापन दूर हो जाता है।
भृंगराज रसायन-प्रातः- सायं नित्य सेवन करने से गंजापन समाप्त होता है।

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