Ratn or Uparatna ग्रहोके रत्न ओर उपरत्न की पूरी जानकारी

रत्न

चौरासी रत्न तथा उपरत्न

रत्न और उपरत्न, वैसे तो रत्नों की संख्या बहुत अधिक है और यदि इसे दूसरे शब्दों के कहा जाए तो लगभग प्रत्येक पत्थर रत्न के बतौर प्रयोग किया जा सकता है, परन्तु भारतीय जौहरियों ने जिन रत्नों को मान्यता दी है, उनकी संख्या उन्होंने चौरासी निर्धारित की है। एक रोचक बात यह है कि रत्नों की संख्या चौरासी निर्धारित करने के बाद भी जौहरी चौरासी के फेर में पड़ जाने के डर से इस चौरासी की संख्या से इतने आतंकित रहते हैं कि अपने व्यापार में इस संख्या का कदापि व्यवहार नहीं करते। यदि चौरासी के भाव में उन्हें कोई सौदा करने को बाध्य करे तो वह इनकार कर देते हैं, जबकि पौने या सवा चौरासी में बेचने को वे सहर्ष तैयार हो जाते हैं। इसी तरह न तो वे किसी पुड़िया में चौरासी नगीने रखते हैं और न ही कदापि चौरासी रत्ती माल बेचते हैं। जौहरियों ने जो चौरासी रत्न व उपरत्न निर्धारित किये हैं वे रत्न इस प्रकार हैं 1. माणिक (Ruby ) – इसे अंग्रेजी में रूबी (Ruby), फारसी में याकूत, हिन्दी, मराठी, बंगाली व गुजराती में माणिक, अरबी में लाल बदख्शां, संस्कृत में माणिक्य व रवि रत्न आदि कहते हैं। यह गुलाब जैसे लाल रंग का पारदर्शक रत्न होता है। सबसे सुन्दर माणिक कबूतर के रक्त जैसे लाल रंग का होता है। चार या उससे अधिक कैरट का त्रुटिहीन, सुन्दर रंग वाला माणिक ऐसे ही हीरे की तुलना में दुगना या पांच गुना मूल्य प्राप्त करता है। आठ या दस कैरट के माणिक कम ही मिलते हैं। चौबीस रत्ती से अधिक वजन के माणिक को ‘लाल’ कहते हैं।
सबसे अच्छी श्रेणी का माणिक बर्मा में मिलता है। इसके अतिरिक्त श्रीलंका, थाईलैंड, अफगानिस्तान, काबुल, उत्तरी कैरोलिना, मोनटाना, हिन्द चीन, भारत तथा बैंकाक में ये पाए जाते हैं।

  1. हीरा (Diamond)–नौ रत्नों में इसका अपना एक विशिष्ट स्थान है तथा यह रत्नों का राजा कहलाता है। यह अंग्रेजी में डायमन्ड (Diamond), अरबी व फारसी में अलमास, संस्कृत में हीरक, वज्रमणि, अभेद्य तथा लैटिन में एडामन्टेन आदि कहलाता है।

शुद्ध रवेदार कार्बन को ही हीरा कहते हैं। यह माणिक को छोड़कर अन्य सारे रत्नों से अधिक मूल्यवान रत्न होता है तथा सफेद, पीले, गुलाबी, काले, लाल, नीले, बैंगनी व हरे रंगों में मिलता है। इसकी खदानें अंगोला, बोत्स्वाना, ब्राजील, सेन्ट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, घाना, हिन्दुस्तान, इन्डोनेशिया, आइवरी कोस्ट, लेसोथो, बोर्नियो, लीबिया, वैरिया, लीवोन, गायना, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिणी-पश्चिम अफ्रीका, यू० एस० एस० आर०, आस्ट्रेलिया, तनजानिया, वेनेजुएला, जायर, कांगो तथा इंग्लैंड इत्यादि देशों में पाई जाती हैं। संसार का सबसे बड़ा हीरा कुलिनन 530.2 कैरट का है। 3. नीलम (Blue Sapphire) इसको अंग्रेजी में सैफायर (Sapphire), हिन्दी व उर्दू में नीलम, बांग्ला में इन्द्रनील तथा संस्कृत में इन्द्रनील मणि, शनि रत्न तथा नील रत्न इत्यादि कहते हैं। यह पारदर्शक नीला कोरण्डम या एल्यूमीनियम आक्साइड होता है जो कि विशेषकर अमेरिका, श्रीलंका, भारत, चीन, थाईलैंड, काबुल, जावा, आस्ट्रेलिया तथा मोनटाना में पाया जाता है। सबसे उत्तम कश्मीरी नीलम होता है जो कि अलसी के फूल जैसे गहरे नीले रंग का होता है। इसका रंग नीला, मोर की गर्दन जैसा होता है तथा हल्के रंगों में भी मिलता है। पारदर्शक, लोचदार व चमकदार नीलम उत्तम माना जाता है। संसार का सबसे बड़ा निलम 1444 कैरट का है।

  1. पन्ना (Emerald)– इसे अंग्रेजी में एमराल्ड (Emerald), हिन्दी

में पन्ना, फारसी में जमरूद, संस्कृत में मरकत मणि, हरिन्मणी, बुध रत्न, मराठी में पांचू रत्न, बांग्ला में पाना, कन्नड़ में पाचिपलई तथा गुजराती में पीलू कहते हैं। यह एक पारदर्शक व सुन्दर रत्न है तथा रंग में विशुद्ध रूप से हरा होता है। यह नीम की पत्ती जैसे रंग का भी होता है। चिकना, कमल के पत्ते की भांति स्वच्छ, सिरस के फूल जैसा हरी आभा वाला पन्ना सर्वश्रेष्ठ होता है। यह रत्न आस्ट्रेलिया, ब्राजील, कोलम्बिया, मिस्र, उत्तरी कैरोलिना, पाकिस्तान, दक्षिणी अफ्रीका, सेन्डवाना, दक्षिणी रोडेशिया और साइबेरिया (यू० एस० एस० आर०) में मिलता है।

  1. पुखराज ( Topaz.)– इसको उर्दू, हिन्दी व मराठी में पुखराज, फारसी में याकूत जर्द या याकूत अस्फर, कन्नड़ में पुष्पराज, गुजराती में पीलूराज, संस्कृत में पीतरक्त मणि, पुष्पराज, पुष्पराग, पीत रत्न व गुरु रत्न आदि कहते हैं। बर्मा की भाषा में यह आउटफिया कहलाता है

इसका रंग पीला, सुनहरा, सफेद, हरा, बैंगनी, लाल, शराबी पीला (Wine yellow), गुलाबी, हल्का नीला तथा भूरा होता है। यह रंगहीन भी उपलब्ध होता है। यह बर्मा, यूराल पर्वत, जापान, श्रीलंका, ब्राजील, भारत, तुर्किस्तान, ईरान, स्काटलैंड, दक्षिणी कैरोलिना, आयरलैंड, यू० एस० ए०, जर्मनी, कार्नवाल, मैक्सिको व कोलेरैडो में पाया जाता है। अमलतास के फूलों की तरह पीले रंग का पुखराज सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। संसार का सबसे बड़ा पुखराज 7725 कैरट का है। 6. मोती (Pearl) — इसे इंगलिश में पर्ल (Pearl), उर्दू व फारसी में मरवादीद, लैटिन में मार्गारिटा तथा संस्कृत में मुक्ताफल, मुक्ता, मौक्तिक और मुक्तक कहते हैं। मोती फारस की खाड़ी, अदन, श्रीलंका, बंसरा, तनावली, बगदाद, आस्ट्रेलिया, पेसिफिक महासागर व पनामा के द्वीप, जापान, लाल सागर,
भारत, वेनेजुएला, पालीनीशियन द्वीप समूह के समुद्री किनारे, आर्चीपेलेगो द्वीप समूह, दक्षिणी कैलिफोर्निया, मिसीसिपी, आयरलैंड, रूस, स्काटलैंड तथा जर्मनी आदि देशों में पाए जाते हैं।

  1. मूंगा (Coral)– यद्यपि मूंगा कोई पत्थर नहीं है फिर भी इसकी

गणना नौ मूल्यवान रत्नों में की जाती है। यह समुद्रों में रहने वाले एक प्रकार के जीवों द्वारा निर्मित होता है। इसे अंग्रेजी में कोरल (Coral), फारसी में मरजान, मराठी में पोले, तेलगू में प्रवालक, संस्कृत में प्रवाल, अंगारक मणि, विद्रुम कहते हैं। यह बर्मा में टाडा व चीन में सहूहोची के नाम से जाना जाता है।

  1. गोमेद (Zircon)– इसको उर्दू, संस्कृत, हिन्दी व मराठी में गोमेद मणि या गोमेदक, अरबी में हजार यमनी कहते हैं। इसे चीनी भाषा में पीसी तथा बर्मी भाषा में गोमोक कहते हैं। इसका रंग पीला, सुरमई, भूरा, नीला, नारंगी, लाल व हरा होता है

यह रंगहीन भी होते हैं। यह रत्न इन्डो-चायना, श्रीलंका, बर्मा, चीन, भारत, अरब, आस्ट्रेलिया, ब्राजील, फ्लोरिडा, मैडागास्कर, नार्वे, यू० एस० ए०, उत्तरी कैरोलिना, कनाडा, फ्रांस, रूस तथा दक्षिणी अफ्रीका आदि में पाया जाता है।

  1. लहसुनिया (Cat’s Eye) — इसे अंग्रेजी में कैट्स आई स्टोन (Cat’s eye Stone), हिन्दी में लहसुनिया, बंगाली में वैदूर्य मणि, सूत्र मणि, गुजराती में लसणियो, संस्कृत में विडालाक्ष, वैदूर्य तथा केतु रत्न कहते हैं।

इसका रंग सेब जैसा हरा, पीला, धानी तथा भूरा होता है। प्रत्येक रत्न में बिल्ली की आंख की तरह सूत पड़ता है। इसका रंग स्याही सफेदी लिए हुए भी होता है। क्योंकि इसकी चमक बिल्ली की आंख जैसी होती है इसलिए ही इसको कैट्स आई या बिल्ली की आंख कहते हैं। यह भारत, बर्मा, श्रीलंका, अफ्रीका, चीन, ब्राजील, उत्तरी अमेरिका तथा युराल पर्वत में पाया जाता है।

  1. उपल (Opal)—यह लगभग सभी रंगों में प्राप्त होता है। प्रायः

यह सफेद, नीला, पीला, सुरमई, काला, भूरा, लाल व हरा आदि रंगों में उपलब्ध होता है जिस पर लाल, नीले तथा अन्य बहुत-से इन्द्रधनुषी, आभायुक्त, चमकदार, जगमगाते रंगों के सितारे जैसे मालूम पड़ते हैं। संसार का सबसे बड़ा उपल एक लाख 77 हजार कैरट का है। ‘उपल’ एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ बहुमूल्य पत्थर होता है। संसार में यह ओपल के नाम से जाना जाता है। इसको जलगर्भक, उपलय, कुर्बुरमणि, ओपल, मन्मथाश्मा तथा तुषार भी कहते हैं। यह रत्न आस्ट्रेलिया, होन्डरास (Honduras), मैक्सिको, नेवेडा ne (Nevada), ईडाहो (Idaho), हंगरी, चेकोस्लोवाकिया, न्यू साउथ वेल्ज, श्रीलंका, बर्मा, यू० एस० ए० तथा कैलिफोर्निया में पाया जाता है।

  1. वैक्रान्त या तुरमली (Tourmaline) – यह विभिन्न रंगों जैसे— लाल, गुलाबी, हरा, नीला, काला, पीला आदि में या फिर रंगहीन मिलता है। इसके रंगों का बहुरंगापन इसमें मिले रासायनिक यौगिकों के आधार पर होता है। इसकी खदानें भारत, श्रीलंका, मैडागास्कर, दक्षिण-पश्चिम अफ्रीका, साइबेरिया, एल्बाद्वीप, दक्षिणी कैलिफोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका आदि देशों में पाई जाती हैं।
  2. मरगज (Jade) इसको उर्दू में मरगज, फारसी में संगे सम तथा चीनी भाषा में यू कहते हैं। यह रत्न भी कई रंगों में मिलता है। पन्ना जैसा हरा, हरापन लिए सफेद, सेब जैसा हरा, सफेद, हल्का नीला, बैंगनी, बनफशी तथा काले रंगों में उपलब्ध होता है।

चीन में इसको अति मूल्यवान एवं पवित्र रत्न माना जाता है। चीनी माताएं इस रत्न को इसलिए पहनती थी क्योंकि उनका विश्वास था कि इससे स्तन में दूध का प्रवाह बढ़ता है। मरगज सर्वाधिक अपर बर्मा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त इसके प्राप्ति स्थान तिब्बत, दक्षिणी चीन, यूनान, मैक्सिको, दक्षिणी अमेरिका, तुर्किस्तान, साइबेरिया व न्यूजीलैंड हैं।

  1. नरम (Spinal Ruby)- यह रक्तवर्ण में हल्की गुलाब जैसी कांति वाला या श्यामपन लिए हुए बहुत साफ नरम पत्थर होता है। यह विभिन्न रंगों, जैसे, गहरा लाल, गहरा हरा, गुलाबी, पीला, नारंगी, लाल, बैंगनी, नीला व घास जैसा हरा भी होता है। यह रत्न श्रीलंका, बर्मा, थाईलैंड, भारत, मैडागास्कर, आस्ट्रेलिया, अफगानिस्तान, ब्राजील, न्यूजर्सी तथा न्यूयार्क में पाया जाता है।
  2. बेरुज (Aquamarine)—यह पारदर्शक समुद्री नीला या सफेद और समुद्री हरा होता है। इसके प्राप्ति स्थान ब्राजील, साइबेरिया, मैडागास्कर, संयुक्त राज्य, कोलेरैडो, एल्वा द्वीप, आयरलैंड, युराल पर्वत, कैलिफोर्निया, उत्तर कैरोलिना, भारत व श्रीलंका हैं। 243 पौंड का एक बेरुज मणिभ (Crystal) ब्राजील में प्राप्त हुआ था। 15. फिरोजा (Tourquaise) इसका रंग आसमानी या नीलापन

लिए हरा होता है। इसके प्राप्ति स्थान ईरान (नेशापुर, शीराज, करमान), संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, कैलिफोर्निया, तिब्बत, ऐरीजोना, न्यू मैक्सिको, साइबेरिया व नेवाडा आदि हैं।

  1. जबरजद्द (Peridot)—इसे हरितमणि भी कहते हैं। यह हरे पीले (धानी) रंग का पारदर्शक आभायुक्त रत्न है तथा लाल सागर के पश्चिमी किनारे पर सेंट जॉन द्वीप, बर्मा, ऐरीजोना, नावें व न्यू मैक्सिको में पाया जाता है।
  2. अकीक (Agate)– यह बहुत से रंगों (लाल, काला, सफेद, हरा, पीला व मटियाला) में मिलता है। इस पर समानान्तर लहरदार धारियां होती हैं। किन्हीं अकीकों में यह धारियां न होकर वैसे ही विभिन्न रंगों के धब्बे जैसे पाए जाते हैं तथा इसमें मोम जैसी चमक व चिकनाहट होती है। यह दक्षिणी ब्राजील, जर्मनी, भारत, सिसली, संयुक्त राज्य, इंग्लैंड, डेनमार्क, रोम व संसार के समस्त देशों में किसी न किसी मात्रा में पाया जाता है।
  3. कहरुवा (Amber) — इसको तृणाकर्ष, तृणकान्त तथा वृक्षनिर्यासमणि भी कहते हैं। यह भी मूंगे की तरह कोई पत्थर नहीं है बल्कि यह एक प्रकार की राल होती है जो नरम पारदर्शक तथा
    अपारदर्शक दोनों प्रकार की होती है। इसका रंग लाल, पीला, सफेद, गहरा भूरा, नीलाहट लिए लालीयुक्त तथा हरापन लिए हुए भी होता है। प्राय: यह शहद की तरह भूरा ही प्राप्त होता है। इसमें काफूर की तरह की गंध आती है। यह सिसली, बाल्टिक सागर की तट भूमि, रूमानिया, थाईलैण्ड, जापान, अमेरिका, रूस, बर्मा, ब्राजील, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, ईस्ट इण्डीज, पेरू, मैडागास्कर, मोशका तथा संसार के अन्य भागों में भी किसी-न-किसी मात्रा में उपलब्ध होता है।
  4. तामड़ा (Garnet) यह रत्न पत्थर गहरा लाल, भूरा, सुनहरी, पीला, सफेद, हल्का हरा व काला आदि रंगों में मिलता है। इसके प्राप्ति स्थान उत्तरी भारत, श्रीलंका, रूस, ब्राजील, चेकोस्लोवाकिया, अलास्का, स्विट्जरलैंड तथा दक्षिणी अफ्रीका है।
  5. कुरंड (Corundum)– यह गुलाबी, नीला, सफेद, हरा, मटियाला लाल, रंगहीन, भूरे रंग के विभिन्न शेड्स, पीला व बैंगनी आदि रंगों में उपलब्ध होता है इसकी खदानें भारत, बर्मा, श्रीलंका, थाईलैंड, यूराल, मोनटाना, उत्तरी कैरोलिना, आस्ट्रेलिया, संयुक्त राज्य, जार्जिया, हेलेना, ट्रांसवाल, यूनियन आफ साउथ अफ्रीका तथा कनाडा में हैं। इस पत्थर पर घिसकर रत्न तैयार किए जाते हैं तथा इसकी साण भी बनाई जाती है।
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  1. कटैला (Amethyst)—यह बैंगनी या बनफशी रंग का पारदर्शक रत्न होता है। गरम करके इसका रंग परिवर्तित किया जा सकता है। इसके प्राप्ति स्थान ब्राजील, उरुग्वे (Uruguay), दक्षिणी अमेरिका, साइबेरिया, श्रीलंका, भारत, मैडागास्कर, ईरान, मैक्सिको, चैकोस्लोवाकिया, मायन (Maine) न्यूहैम्पशायर, उत्तरी कैरोलिना, न्सलिवानिया, नोवास शिया, बर्मा और जर्मनी हैं।
  2. दाना-ए-फरहंग (Malachite) इसका रंग पिस्ते की तरह हरा, पन्ने की तरह हरा या घास जैसा हरा होता है। इसकी विशेषता यह है कि इस पर प्राकृतिक रूप से ही गुर्दे की आकृति बनी होती है। इसीलिए यह गुर्दा पत्थर या किडनी स्टोन (Kidney Stone) भी कहलाता है। यह एक प्रकार से गुर्दे के दर्द की अचूक दवा माना जाता है। इसको दर्द के
    स्थान पर बाँधने रात को भिगोकर प्रातः उस पानी को पी लेने से गुर्दे का दर्द बन्द हो जाता है। ऐसा होने का कारण शायद यह है कि इसमें तांबे का अंश अत्यधिक होता जो कि त्वचा के सम्पर्क में आकर किसी प्रकार की विशेष प्रतिक्रिया करता है जिसके परिणामस्वरूप दर्द बन्द हो जाता है। इसके कई प्रकार के डेकोरेशन पीस भी बनाए जाते हैं। लेनिनग्राद (रूस) के एक गिरजाघर में तो इसके बड़े-बड़े खम्भे लगे हुए हैं। इसके प्राप्ति स्थान यूराल पर्वत यू०एस०एस०आर०, क्यूबा, अमेरिका, फ्रांस, चिली, दक्षिण-पश्चिम अफ्रीका, काटांगा, बेल्जियम कांगो, रोडेशिया, ऐरीजोना, आस्ट्रेलिया और न्यूमैक्सिको हैं।
  3. सुनेहला (Citrine)—यह सोने के रंग की तरह का चमकदार हल्का पीला पारदर्शक रत्न है। यह संसार के लगभग सभी देशों में प्राप्त होता है। इसे गोल्डन क्वार्टज भी कहते हैं।
  1. एलेग्जेन्ड्राइट (Alexendrite) — इस रत्न को यह नाम रूस के एलेग्जेन्डर द्वितीय ने दिया था। यह रत्न गिरगिट की तरह रंग बदलता है। रात में बिजली के प्रकाश यह नीली लाल झलक मारता हुआ नजर आता है तो सूर्य के प्रकाश में विलक्षण हरा मिश्रित बैंगनी हो जाता है। यह एकसाथ कई रंग प्रदर्शित करता है अर्थात् इसको विभिन्न कोणों से देखने पर इसमें अलग-अलग रंग नजर आते हैं। इसके रंगों का बहुरंगापन इसमें विद्यमान वेनाडियन तत्व के कारण होता है। इसके वास्तविक रंग का वर्णन नहीं किया जा सकता। यह बहुत अल्प मात्रा में पाया जाता है इसीलिए इसको नकली बनाते हैं। इसके प्राप्ति स्थान यूराल पर्वत, श्रीलंका तथा अफ्रीका है।
  2. धुनैला (Smoky Quartz)—यह धुएं जैसे काले, पीले या भूरे रंग का चमकदार, पारदर्शक रत्न होता है। रत्नों के अतिरिक्त इससे कीमती धूप के चश्मे भी बनाए जाते हैं। इसके प्राप्ति स्थान स्विट्जरलैंड, यू० एस० ए०, उत्तरी कैरोलिना तथा मायन हैं।
  3. लाजवर्त (Lapis Lazuli)—आजकल इस नाम से जाना जाने वाला यह रत्न प्राचीन काल में नीलम कहलाता था। यह मोर की गर्दन जैसा नील वर्ण का अपारदर्शक रत्न होता है। इसमें यहां-वहां सोने की
    तरह की जगमगाहट वाले धब्बे होते हैं। यह लेजुराइट, कैल्साइट, पाइरॉक्जिन (Pyroxene) तथा अन्य सिलिकेटस व पायराइट का मिश्रण होता है। इसके प्राप्ति स्थान उत्तरी पूर्वी अफगानिस्तान, साइबेरिया और चिली हैं।
  4. फिटक- स्फटिक (Rock Crystal) यह कांच की तरह आरपार दिखने वाला स्वच्छ एवं कठोर पत्थर होता है। इसे प्राकृतिक बिल्लौर भी कहा है। हजारों वर्ष तक जिन स्थानों बर्फ गिरती रही और जमती रही वहां रासायनिक प्रतिक्रिया द्वारा सबसे नीचे की जिस बर्फ ने पत्थर का रूप धारण किया वही फिटक-स्फटिक कहलाती है। यदि हम इसके नीचे कोई रंगीन वस्तु रखकर देखें तो वह हमें श्वेत ही दिखाई देगी। सर्वोत्तम फिटक- स्फटिक मैडागास्कर द्वीप का होता है। यह आल्पस, ग्रीस, ब्राजील, मैडागास्कर के द्वीप, जापान, कश्मीर, भारत, चीन, नेपाल तथा मुस्लिम देशों में मिलता है। संसार का सबसे बड़ा फिटक- स्फटिक 7 सितम्बर 1958 को यू० एस० एस० आर० की यूराल खान से प्राप्त किया गया था जिसका वजन 17 टन था।
  5. सुलेमानी ( Onyx) – यह काले रंग का सफेद डोरे वाला पत्थर होता है। अन्य कुछ रंगों में भी मिलता है। यह सिन्धु नदी, नर्मदा, सुलेमान पर्वत तथा कश्मीर में प्राप्त होता है। रत्नों के रूप में प्रयोग होने के अतिरिक्त यह सजावटी सामान बनाने के काम भी आता है।
  6. गौदन्ता या चन्द्रमणि (Moon Stone) इसका नाम गौदन्ता पड़ने का कारण इसका गाय के दांतों की तरह पीला होना है। इसके चमकदार टुकड़े व डलियां प्राप्त होती हैं। इसमें सूत भी पड़ते हैं। चांद के प्रकाश में देखने पर ऐसा लगता है जैसे इसमें पानी भरा हुआ है। यह श्रीलंका, बर्मा, स्विट्जरलैंड, ब्राजील, अमेरिका तथा भारत में मिलता है।
  7. यशब (Jasper) यह काले, हरे, लाल, सफेद, भूरे, नीले, पीले मटियाले रंगों का एक अपारदर्शक रत्न है तथा बर्मा, ईरान, मिस्र, तिब्बत, चीन, मैक्सिको, लद्दाख, उत्तरी अमेरिका, सिसली, जर्मनी व लाल सागर में प्राप्त होता है।
  8. काकर नीली (Sodalite)- यह नीलम जाति का नरम और कुछ जर्दी लिए हुए रत्न होता है। इसका रंग नीलम से मिलने के बावजूद यह गुण और मूल्य में उससे बहुत ही कम होता है। नीलम के साथ ही प्रायः प्राप्त होता है। 32. पितौमिया (Blood Stone) —यह लाल रंग के छींटों वाला हरे रंग का गुम पत्थर होता है। पहले यह सेंट स्टीफन्ज स्टोन कहलाता था। यह साइबेरिया, भारत, हैब्रिडेस (Hebrides) द्वीप में मिलता
  1. संगे सितारा (Gold Stone) इस गेरूवे रंग के रत्न में सोने के समान छींटे चमकते हैं। यह नकली बनाया जाता है क्योंकि असली पत्थर इतना सुन्दर नहीं होता। पिघले हुए शीशे में तांबे का चूर्ण मिलाकर इस पत्थर को तैयार किया जाता है। अधिकतर यह इटली में बनाया जाता है।
  2. पनघन (A Variety of Agate or Sard Pebble) – सफेद रंग का अति सुन्दर चिकना, कोमल व चमकदार पत्थर पनघन के नाम से जाना जाता है। इसके बीच में पानी कैद होता है जो कि हिलाने से हिलता हुआ दिखाई देता है। प्राय: यह खिलौने आदि बनाने के काम में आता है। ऐसा ही एक अति सुन्दर एवं बड़ा पत्थर भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉक्टर जाकिर हुसैन को रूस के राष्ट्रपति द्वारा भेंट स्वरूप दिया गया था, जो कि अब भी उनके संग्रहालय में देखा जा सकता है। यह पत्थर काले रंग का तथा कुछ हरापन लिए हुए भी मिलता है।
  3. जहर मोहरा (Serpentine) – यह हरा पीला मिश्रित होता है। इसके प्याले व खरल आदि भी बनाए जाते हैं। ऐसा कहा जाता है। कि इसके प्याले में यदि विषैला पदार्थ डाला जाए तो वह विषहीन हो जाता है। इसको पानी में घिसकर पिया जाता है और अगर इसको पीने के बाद कोई कड़वी चीज खाएं तो उसका कड़वापन महसूस नहीं होता। यह भारत, तिब्बत व खुरासान में प्राप्त होता है।
  4. सोना मक्खी या स्वर्ण माक्षिक (Bismuth) इसका रंग हल्की लाली लिए चांदी जैसा सफेद होता है। इसके प्राप्ति स्थान नार्वे, स्वीडन, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया, बोलीविया, कनाडा व यू० एस० ए० हैं।
  5. मृतांगार (Jet)—यह कोयले का ही एक प्रकार है। यह कठोर होता है। इस पर पालिश अच्छी आती है। यॉर्कशायर (इंग्लैंड) में वहीं से प्राप्त जेट या फिर स्पेन से आयात किए हुए जेट से विभिन्न वस्तुएं बनाई जाती हैं। रत्नों के रूप में भी यह लोकप्रिय है।
  6. तुरसावा (A Kind of Zircon)- यह गोमेद से बहुत अधिक मिलता-जुलता होता है। ऋतुओं के अनुसार इसके रंग बदलते रहते हैं। सर्दी में लाल, गर्मी में सफेद व वर्षा ऋतु में यह पीले रंग में परिवर्तित होता रहता है। इसका रंग समुद्री पानी जैसा, आभायुक्त श्वेत, लाल, हल्का पीला, हरा, गुलाबी रंग में पीलापन लिए, काली आभा वाला या हरी और सफेद आभा वाला होता है। यह भारत में विन्ध्य और हिमालय पर्वत के क्षेत्रों, श्रीलंका, थाईलैंड (स्याम), अरब (मदीना) फारस, ईराक तथा बर्मा में पाया जाता है।
  7. काला चार लाईन (Diopside)—यह एकदम काला या फिर हल्का काला होता है। इसमें मून स्टोन की तरह सूत पड़ता है, जो छह कोणों का सितारा बनाता है, परन्तु बिल्कुल काले रंग में क्रास चार लाइनों का बनता है। इसीलिए इसको काला चार लाईन कहते हैं। इसका नाम ब्लैक स्टार भी है।
  8. चीते की आंख (Tiger eye) इसका रंग चीते की आंख की तरह का चमकीला पीला होता है और इसमें उसी रंग का सूत पड़ता है।

चीते की आंख की तरह दीखने के कारण ही इसे टाइगर आई कहा जाता है। इसका नाम दरियाई लहसुनिया भी है।

  1. उदक या तेल मणि-यह पत्थर कड़वे तेल की तरह रंग का होता है। यदि इसको आग के पास रखा जाए तो यह सोने के समान रंग में चमकने लगता है।
  2. सूर्याक्षमा (Sunstone)—इसका रंग पीला या लाल होता है और देखने में दहकता हुआ अंगारा जैसा होता है। इसको अंगार मणि, संगे आतश, सूर्य रत्न व ओलिगोक्लेज भी कहते हैं। इसकी चमक-दमक का कारण इसमें विद्यमान आयरन ऑक्साइड है। इसके प्राप्ति स्थान साइबेरिया व नावें हैं।
  3. लालड़ी (Spinal)—यह रत्न सफेद, लाल, नीला, हरा, भूरा तथा काला आदि रंगों में मिलता है। इसकी खदानें श्रीलंका, अफगानिस्तान, थाईलैंड, आस्ट्रेलिया, मैडागास्कर, भारत, न्यूयार्क, ब्राजील, न्यूजर्सी तथा अपर बर्मा आदि देशों में हैं।
  4. रातरतुवा (Jasper) यह मांस या गेरू के समान लाल रंग का होता है। चमकीला व अपारदर्शक पत्थर होता है। प्राय: अकीक के साथ ही निकलता है और कार्नेलियन (Comelion) भी कहलाता है। कुछ जौहरी एक अन्य गेरूवे रंग के पत्थर को भी रतवा कहते हैं। यमन में अच्छी श्रेणी का रतुवा पाया जाता है।
  5. सींगली (Mysore Star)-इसे मंसूरी माणिक भी कहते हैं और यह होता भी माणिक जाति का ही रत्न है। स्याही और सुख मिश्रित गुम पत्थर है। इसमें बनने वाला सितारा छह कोणों वाला होता है। 46. संगी – यह सभी रंगों, जैसे—सफेद, काला, लाल, हरा, पीला
  6. और मटमैला आदि में प्राप्त होता है तथा चमकदार एवं चिकना रत्न है।

हिमालय से निकली हुई नदियों द्वारा प्रायः प्राप्त किया जाता है। 47. जजेमानी (A Variety of Onyx ) – सुलेमानी जाति का रत्न है। इसका रंग पीली आभा वाला सफेद या भूरा होता है। इसमें काले डोरे होते हैं। यह नर्मदा नदी और सुलेमानी पर्वत पर मिलता है।

  1. आलेमासी (A Kind of Agate )—सफेद डोरे वाला भूरे तेलिया रंग का पत्थर होता है। यह भी सुलेमानी जाति का ही रत्न है तथा यह तीनों रत्न एक ही स्थान पर मिलते हैं।
  2. गौरी (A Kind of Agate)-अकीक से मिलता-जुलता लगभग सभी रंगों का धारियों वाला सख्त पत्थर होता है। इसकी खरल, रत्न तौलने के बाट तथा प्याले आदि भी बनाए जाते हैं। हिमालय की खानों में भी कभी-कभी मिलता है।
  3. संगे यहूद (Jews Stone) बेर के समान मटिया रंग, बलूती

आकृति का लम्बा, दोनों तरफ से नोकदार पत्थर होता है। इसे मूत्र व दमा

की बीमारी में घिसकर पीते हैं।

ratn रत्न
  1. संगे सिमाक (Prophry) मलिनता लिए लाल रंग पर श्वेत छींटों वाला, सख्त व गुम पत्थर होता है। इससे खरल बनाते हैं। 52. मकनातीस (Load Stone) —यह भूरे, काले या मटियाले रंग का होता है। इसे चकमक पत्थर भी कहते हैं। इसको आपस में रगड़ने से आग की चिंगारियां निकलती हैं।
  2. विद्रुम या संगे मूंगी – यह लाल, मूंगिया या सफेद रंग का हल्का, चिकना व छिद्र युक्त रत्न होता है। किसी-किसी पर गंदुमी छींटे भी नजर आते हैं।
  3. संगे सरमाही- सफेद या भूरे रंग का त्रिकोणाकार पत्थर है जो फारस की खाड़ी में अत्यधिक पाया जाता है। 55. संगे पन्नी- हरे रंग का, अंग में कोमल, रूखा तथा वजन में हल्का रत्न होता है। यह पन्ने का उपरत्न है।
  4. संगे मूसा (Jet) – यह काला संगमरमर होता है। रत्नों के अतिरिक्त खरल, प्याले व तश्तरियाँ आदि बनाने के काम आता है।
  5. दुर्रे नजफ (Door-E-Nazaf) or (Floor Stone) –धानी रंग का

गुम पत्थर होता है। फर्श बनाने के काम आता है। इस पर पालिश अच्छी

आती है।

  1. मूवे नजफ (Move-Najaf) or (Floor Stone)-सफेद पत्थर में बाल की तरह बारीक काली लाइनें होती हैं। यह भी फर्श के काम आता है।
  2. बांसी (Bamboo Stone) समुद्री हरा या काई रंग का मोटे पानी का नरम पत्थर होता है। इस पर पालिश अच्छी आती है। 60. दो पोस्ता (Sardonex) — इस सुन्दर पत्थर में सफेदा व भूरी समानान्तर या लहरदार धारियां होती है।
  3. अबरी (Abri)– काले व पीले रंग का बादली, संगमरमर की तरह का पत्थर होता है। खरल बनाने में प्रयोग किया जाता हैं। 62. ढेडी (A Kind of Marble)– काले रंग का सख्त अंग वाला अपारदर्शक पत्थर होता है जिसकी खरलें बनाई जाती हैं।
  4. लूधिया (A Kind of Marbel)- मजीठ की तरह लाल रंग का

गुम पत्थर होता है। प्रायः खरल बनाने के काम आता है। 64. दारचना (Braunite) कत्थई रंग पर पीले व धूमिल छींटे होते हैं। खरलें बनाने के काम भी आता है।

  1. गुदडी ( A variety of Marble)– यह फकीरों व संन्यासियों का रत्न कहलाता है। यह कई प्रकार के रंगों में मिलता है। 66. हदीद ( Eye Agate)- भूरापन लिए स्याही रंग का या मटियाले

रंग का भारी पत्थर होता है। इसकी मालाएं बनती हैं। 67. हजरते ऊद (Mazrat-e-ud)– मटियाले रंग का पत्थर होता है। मूत्राशय सम्बन्धी रोगों में इसका प्रयोग किया जाता है।

  1. अमलीया (A Variety of Marble)- काले रंग में गुलाबी झांई लिए हुए होता है। इसके खरल बनाये जाते हैं। 69. दान्तला (Achroite)-सफेद पानीदार, चिकना व पारदर्शक

रत्न हैं। दांतों सम्बन्धी रोग में प्रयोग किया जाता है।

  1. सिन्दूरिया (Pink Sapphire) (Group or गुलाबी रंग का कुछ सफेदी लिए पानीदार नरम Corundum) चमकदार रत्न होता है।
  1. मरियम- सफेद संगमरमर जैसा होता है। इसकी पालिश अच्छी होती है।
  2. डुर (Epidote) — गहरे कत्थई रंग का अपारदर्शक पत्थर होता है। इसके खरल भी बनते हैं।
  3. सींजरी ( Moss Agate)- यह अकीक की तरह अनेक रंगों का फूल-पत्तीदार पत्थर होता है।
  4. कसौटी (Basanite) के काम आता है। काले रंग का होता है तथा सोना जांचने
  5. हालन लरजा (Sand Stone) – यह गुलाबी रंग का होता है जिसको हिलाने से इसका रंग भी हिलता है।
  6. खारा (Tektites)–खरल बनाने के काम आने वाला हरापन लिए काला पत्थर होता है। 77. मकड़ा (Spider Stone) – हल्के काले रंग का होता है जिस

पर मकड़ी का जाल जैसा होता है। 78. कुदरत ( Kudrat)- सफेद व पीले छींटों वाला काला गुम पत्थर होता है। 79. सीवार (Sivar) – हरे रंग पर भूरे रंग की अपारदर्शक रेखा वाला रत्न है। 80. सीमरक (Prophyry) पीलापन लिए हुए लाल रंग का रत्न होता है।

  1. हवास (Hawas) –यह हरे रंग का कुछ सुनहरापन लिए हुए पत्थर होता है।
  2. रोमनी (Romni) — यह रत्न कुछ स्याही लिए गहरे लाल रंग का होता है। 83. मारबल (Marble)- अनेक रंगों का होता है। मूर्तियाँ बनाने के काम आता है।
  3. अम्बर (Ambar) अम्बर एक प्रसिद्ध और मूल्यवान सुगन्धित पदार्थ है जो हिन्द महासागर, निकोबार और अफ्रीका के समुद्र तटों पर पाया जाता है। इसमें कस्तूरी जैसी सुगन्ध होती है। ऐसा समझा जाता है कि आज से लगभग 10 लाख वर्ष पहले पृथ्वी पर जो भयंकर प्रकार के भूकंप आए थे उनमें कुछ विशेष जाति के वृक्ष भूमि के गर्भ में समा गए और यहां की गर्मी से इन वृक्षों से जो राल निकली उस पर कुछ अय प्रकार के रासायनिक परिवर्तन हुए और वह पत्थर जैसे ठोस रूप में आ गई। अम्बर वास्तव में रत्न न होते हुए भी रत्न विज्ञान के विशेषज्ञों ने इसे रत्न माना है।
Nav Ratna

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