रथसप्तमी तथा भगवान सूर्यकी महिमा दि. 19 फेब्रुवारी 2021
Ratha Saptami 2021
ब्रह्माजी बोले-हे रुद्र! माघ मासके शुक्ल पक्षकी षष्ठी तिथिको उपवास करके गन्धादि उपचारोंसे भगवान् सूर्यनारायणकी पूजाकर रात्रिमें उनके सम्मुख शयन करे। सप्तमीमें प्रात:काल विधिपूर्वक पूजा करे और उदारतापूर्वक ब्राह्मणोंको भोजन कराये। इस प्रकार एक वर्षतक सप्तमीको व्रतकर रथयात्रा करे। कृष्णपक्षमें तृतीया तिथिको एकभुक्त, चतुर्थीको नक्तव्रत, पञ्चमीको अयाचितव्रत*, षष्ठीको पूर्ण उपवास तथा सप्तमीको पारण करे। रथस्थ भगवान् सूर्यकी भलीभाँति पूजाकर सुवर्ण तथा रत्नादिसे अलंकृत तथा तोरण, पताकादिसे सुसज्जित रथमें सूर्यनारायणकी प्रतिमा स्थापित कर ब्राह्मणकी पूजा करके उसका दान कर दे। स्वर्णके अभावमें चाँदी, ताम्र, आटे आदिका रथ बनाकर आचार्यको दान करे। महादेव! यह माघसप्तमी बहुत उत्तम तिथि है, पापोंका हरण करनेवाली इस रथसप्तमीको भगवान् सूर्यके निमित्त किया गया स्नान, दान, होम, पूजा आदि सत्कर्म हजार गुना फलदायक हो जाता है। जो कोई भी इस व्रतको करता है,
वह अपने अभीष्ट मनोरथको प्राप्त करता है। सप्तमीके माहात्म्यका भक्तिपूर्वक श्रवण करने व्यक्ति ब्रह्महत्याके पापसे मुक्ति पा जाता है।
सुमन्तु मुनिने कहा – राजन्! इस पर रथयात्राका विधान बताकर ब्रह्माजी अपने लोकनी | चले गये और रुद्रदेवता भी अपने धाम चले गये। | अब आप और क्या सुनना चाहते हैं, यह बतायें।
राजा शतानीकने कहा – हे महाराज! सूर्यदेवके | प्रभावका मैं कहाँतक वर्णन करूँ। उन्हींके | अनुग्रहसे युधिष्ठिर आदि मेरे पितामहोंको सभी
प्रकारका दिव्य भोजन प्रदान करनेवाला अक्षय | पात्र मिला था, जिससे वनमें भी वे ब्राह्मणोंको संतुष्ट करते थे। जिन भगवान् सूर्यकी देवता, ऋषि, सिद्ध तथा मनुष्य आदि निरन्तर आराधना करते रहते हैं, उन भगवान भास्करके माहात्म्यको मैंने अनेक बार सुना है, पर उनका माहात्म्य सुनते-सुनते मुझे तृप्ति नहीं होती। जिनसे सम्पूर्ण विश्व उत्पन्न हुआ है तथा जिनके उदय होनेसे ही सारा संसार चेष्टावान् होता है, जिनके हाथोंसे
लोकपूजित ब्रह्मा और विष्णु तथा ललाटसे शंकर | उत्पन्न हुए हैं, उनके प्रभावका वर्णन कौन कर
सकता है? अब मैं यह सुनना चाहता हूँ कि जिन मन्त्र, स्तोत्र, दान, स्नान, जप, पूजन, होम, व्रत तथा उपवासादि कर्मोंके करनेसे भगवान् सूर्य प्रसन्न होकर सभी कष्टोंको निवृत्त करते हैं और संसार-सागरसे मुक्त करते हैं, आप उन्हीं उत्तम
मन्त्र, स्तोत्र, रहस्य, विद्या, पाठ, व्रत आदिको | बतायें, जिनसे भगवान् सूर्यका कीर्तन हो और जिह्वा धन्य हो जाय। क्योंकि वही जिह्वा धन्य है जो भगवान् सूर्यका स्तवन करती है। सूर्यकी आराधनाके बिना यह शरीर व्यर्थ है। एक बार भी सूर्यनारायणको प्रणाम करनेसे प्राणीका भवसागरसे उद्धार हो जाता है। रत्नोंका आश्रय मेरुपर्वत,
आश्चर्योंका आश्रय आकाश, तीर्थोंका आश्रय | गङ्गा और सभी देवताओंके आश्रय भगवान् सूर्य
हैं। मुने! इस प्रकार अनन्त गुणोंवाले भगवान् | सूर्यके माहात्म्यको मैंने बहुत बार सुना है। | देवगण भी भगवान् सूर्यकी ही आराधना करते हैं, यह भी मैंने सुना है। अब मेरा यही दृढ़ संकल्प है कि सम्पूर्ण प्राणियोंके हृदयमें निवास करनेवाले तथा स्मरणमात्रसे समस्त पाप-तापोंको | दूर करनेवाले भगवान् सूर्यकी भक्तिपूर्वक उपासना कर मैं भी संसारसे मुक्त हो जाऊँ।