जानिए आपकी कुंडली में केतु ग्रह 12 भाव में क्या फल देते है ?

केतु

केतु प्राय: एक छाया ग्रह माना जाता है शुभ फलदायक होता है | केतु जन्म पत्रिका में जिस ग्रह के साथ स्थित होता है उस ग्रह के प्रभाव से फल बढाता है | केतु प्रेम प्रेम संबंधों ,गलत विचारों , असंतोष , भय , कुंठाएं , कामुक स्वभाव , अनैतिक संबंधों , कर्कश वाणी , तीर्थयात्रा , संतानसुख , दुर्घटना , विलंब और भाधाओं का प्रतिनिधित्व करता है |

1. प्रथम स्थान में केतु का प्रभाव

स्वभाव

लग्न में स्थित केतु के प्रभाव से जातक दुखी, परिश्रमी और चिंतित होता है | जातक अल्पायु , चंचल स्वभाव एवं व्यवहार कुशल होता है | जातक एकांकी स्वभाव का होता है |

पूर्ण दृष्टी

केतु सातवे भाव को पूर्ण दृष्टी से देखता है | इसका प्रभाव अनिश्चित होता है |

मित्र / शत्रु राशी

मित्र व उच्च राशी में स्थित केतु के प्रभाव से जातक को अशुभ प्रभावों में कमी आती है | शत्रु व नीच राशी में स्थित केतु के प्रभाव से जातक कृतघ्न और दुष्ट होता है | जातक को नौकरी से बर्खास्त होने की संभावना रहती है |

भाव विशेष

जातक निरुत्साही और निराशावादी भावनाओं से परेशान होता है | जातक बुद्धिमान एवं तेज होता है |

2 . द्वितीय भाव में केतु का प्रभाव

स्वभाव

द्वितीय भाव में स्थित केतु के प्रभाव से जातक धनि, सुखी, एवं परिवार से प्रेम करने वाला होता है परंतु वह कर्कश स्वभाव का होता है | द्वितीय स्थान में केतु के प्रभाव से जातक को प्रचुर धन और सुख प्राप्त होता है |

मित्र / शत्रु राशी

मित्र व उच्च राशी में स्थित केतु के प्रभाव से जातक मृदुभाषी , अल्पभाषी और सफलता प्राप्त करता है | शत्रु व नीच राशी का केतु होने से जातक की कर्कश आवाज , आलोचनात्मक , निम्न कोटि के लोगों की संगती और दूसरों पर निर्भर होता है |

द्वितीय भाव विशेष

द्वितीय भाव में केतु की स्थिति से जातक को यह चिंता रहती है की शासन उसकी संपत्ति को जप्त न कर ले जातक मुख के रोगों से ग्रसित व परेशान रहता है |

3 . तृतीय भाव में केतु का प्रभाव

स्वभाव

तृतीय भाव में स्थित केतु के प्रभाव से जातक बुद्धिमान, साहसी , शत्रु नाशक , कामी , कार्यकुशल , दीर्घायु , यशस्वी , भाग्यशाली और भाईओं से लाभ पाने वाला होता है |

मित्र / शत्रु राशी

मित्र व उच्च राशी का केतु होने पर जातक में धैर्य , पराक्रम , दयालुता आदि गुण होते है | जातक को भाइयों से सहयोग प्राप्त होता है | शत्रु व नीच राशी का केतु होने पर जातक को अशुभ प्रभाव प्राप्त होते है | जातक मानसिक चिंताओं से त्रस्त होता है | जातक को भाइयों से सहयोग प्राप्त नहीं होता है | जातक को यात्रा में हानि होती है |

भाव विशेष

तृतीय स्थान में केतु के प्रभाव से जातक चंचल स्वभाव का होता है | जातक को तंत्र जगत में रूचि होती है एवं गुप्त विद्याओ के प्रति जागरुकता रहती है | जातक व्यर्थ की बाते करता है | जातक को वात संबंधी रोग भी होते है |

4. चतुर्थ भाव में केतु का प्रभाव

स्वभाव

चतुर्थ भाव में केतु का जातक स्वभाव से स्वत्रंत विचारों वाला होता है | चतुर्थ भाव में केतु की स्थिति से जातक चंचल, अत्यधिक बोलने वाला , कार्य को बिना किसी उत्साह के करने वाला होता है |

मित्र / शत्रु राशी

मित्र व उच्च राशी में हो तो अनायास ही धन प्राप्ति होती है | जातक को सुख प्राप्त होता है एवं जातक भवन – वाहन भी प्राप्त होते है | शत्रु व नीच राशी में होने पर पारिवारिक मतभेद , माता – पिता का पूर्ण सहयोग न होना , मित्रों द्वारा हानि इत्यादि अशुभ प्रभाव मिलते है |

भाव विशेष

चतुर्थ भाव में केतु की स्थिति से जातक को वाहन, जमीन व जायदाद का सुख प्राप्त होता है | जातक की माता का जातक से प्रेम रहता है | जातक कार्यो को टालते जाता है | जातक में उत्साह की कमी रहती है |

5 . पंचम भाव में केतु का प्रभाव

स्वभाव

पंचम भाव में स्थित केतु के प्रभाव से जातक सुखी, भाग्यशाली और उन्नति की ओर बढता है | जातक को विवादास्पद विषयों में लाभ होता है |

मित्र / शत्रु राशी

मित्र व उच्च राशी में केतु की स्थिति से जातक को विद्या एवं संतान के क्षेत्र में शुभ प्रभाव प्राप्त होते है | शत्रु व नीच राशियों में होने से जातक को संतान सुख में न्यूनता होती है | जातक की कन्याएं अधिक होती है एव पुत्र कम होते है | जातक की संतान आज्ञाकारी भी नहीं होती है |

भाव विशेष

पंचम भाव में स्थित केतु की स्थिति से जातक को अधिक विलासिता पूर्ण जीवन से हानि हो सकती है | जातक की शिक्षा अच्छी होती है | जातक का दुष्ट स्वभाव होता है |

6 . छठवे भाव में केतु का प्रभाव

स्वभाव

छठवे भाव में स्थित केतु के प्रभाव से जातक अपने उद्देश्यों का निर्धारण कर कार्य करता है | जातक का स्वास्थ्य मध्यम होता है | वह बचपन में दुखी होता है और कष्ट पाता है |

मित्र / शत्रु राशी

मित्र व उच्च राशी में स्थित षष्ठ भाव में केतु के शुभ प्रभाव से जातक परिवार एवं समाज द्वारा आदरणीय होता है | जातक कर्जहिन होता है | शत्रु व नीच राशी में केतु के होने पर जातक को अशुभ फल प्राप्ति होती है | जातक के परिवारजनों और मित्रों से संबंध ख़राब होते है | जातक शत्रुओं से परेशान रहता है |

भाव विशेष

षष्ठ भाव में स्थित केतु सभी प्रकार के अनिष्टों को समाप्त करता है एवं जातक को सुखी बनाता है | किंतु जातक रोगी होता है एवं रोगों के कारण परेशान रहता है | जातक झगडालू प्रवृत्ति का होता है | जातक अपने ज्ञान और विद्वता से सम्मान प्राप्त करता है | जातक वाद – विवाद में हमेशा सफल होता है एवं उसका शत्रु पराजित होता है |

7 . सप्तम भाव में केतु का प्रभाव

स्वभाव

सातवे स्थान में केतु के प्रभाव से जातक व्यवसायी होता है एवं धन संबंधी कार्यो से लाभ प्राप्त करता है | वह धन व पत्नी से लाभ प्राप्त करने वाला होता है |

मित्र / शत्रु राशी

मित्र व उच्च राशी में स्थित केतु के प्रभाव से जातक को आकस्मिक धन लाभ होता है | जातक की पत्नी समझदार होती है | शत्रु व नीच राशी का सप्तम भाव में केतु होने पर जातक को दाम्पत्य सुख में हानि रहती है | जातक का दुखी वैवाहिक जीवन होता है |

भाव विशेष

सप्तम भाव में केतु की स्थिति से जातक को चोरी का भय होता है | जातक को समझदार पत्नी मिलती है एवं जातक को अपनी पत्नी से सुख प्राप्त होता है |

8. अष्टम भाव में केतु का प्रभाव

स्वभाव

अष्टम भाव में स्थित केतु के प्रभाव से जातक खेलों में प्रतिभा का प्रदर्शन करता है | जातक नौकरी में सफल होता है एवं कुशल कार्यकर्त्ता माना जाता है |

मित्र / शत्रु राशी

मित्र व उच्च राशी में केतु के होने पर जातक प्रसिद्ध, शासकीय सेवा एवं शासन से धन लाभ प्राप्त करने वाला होता है | शत्रु व नीच राशी में केतु होने पर जातक को धोखे से हानि की संभावना होती है | अचानक दुर्घटना से जातक को कष्ट हो सकता है | प्रियजनों से जातक को अलगाव होता है |

भाव विशेष

अष्ठम भाव में केतु के प्रभाव से जातक चालाक , बुद्धिहीन एवं बुद्धि का दुराचारी कार्यो में उपयोग करने वाला होता है | जातक में ओज नहीं होता है जातक स्वयं की स्त्री की प्रगति से द्वेष करता है जातक के पेट में विकार होते होते है और वह गुप्त रोगों से ग्रस्त होता है |

9 . नवम भाव में केतु का प्रभाव

स्वभाव

नवम भाव में स्थित केतु के प्रभाव से जातक आत्मविश्वास से परिपूर्ण होता है | वह सामाजिक , धनि , साहसी और दूर – दूर की यात्रा करने वाला होता है |

मित्र / शत्रु राशी

मित्र व उच्च राशी में केतु के प्रभाव से जातक सर्वोत्तम सम्मान प्राप्त करता है वह विख्यात , अति बुद्धिमान एवं कला क्षेत्र में अपार सफलता प्राप्त करता है | शत्रु व नीच राशी में होने पर विपरीत प्रभाव मिलते है | प्राय: जातक को असफलता एवं पिता से दुःख मिलता है | जातक की व्यर्थ यात्राए होती है | जातक को कार्यक्षेत्र में अनेक बाधाए आती है |

भाव विशेष

नवम भाव में केतु के प्रभाव से जातक का परिश्रम व्यर्थ कार्यो में लगा रहता है जिसके कारण जातक को सफलता पाने में कठिनाईया होती है और उसे अपयश प्राप्त होता है | जातक सुख की अभिलाषा करता है एवं सुख पाने के प्रति प्रयासरत रहता है | जातक पराक्रमी होता है पर मित्रों की न्यूनता होती है |

10 . दशम भाव में केतु का प्रभाव

स्वभाव

दशम भाव में स्थित केतु के प्रभाव से जातक आत्मविश्वास से परिपूर्ण होता है | वह सामाजिक, धनि, साहसी और दूर – दूर की यात्रा करने वाला होता है |

मित्र / शत्रु राशी

मित्र व उच्च राशी में केतु के प्रभाव से जातक सर्वोत्तम सम्मान प्राप्त करता है वह विख्यात , अति बुद्धिमान एवं कला के क्षेत्र में अपार सफलता प्राप्त करता है | शत्रु व नीच राशी में होने पर विपरीत प्रभाव मिलते है | प्राय: जातक को असफलता एवं पिता से दुःख मिलता है | जातक की व्यर्थ यात्राएं होती है | जातक को कार्यक्षेत्र में अनेक बाधाए आती है |

भाव विशेष

दशम भाव में केतु की स्थिति से जातक को पिता का सुख प्राप्त होता है किन्तु जातक की उसके पिता से वैचारिक मतभेदता रहती है | जातक परिश्रम करता है जो की व्यर्थ होता है | जातक अभिमानी होता है एवं जातक का भाग्य उसका पूर्ण रूप से साथ नहीं देता है |

11 . एकादश भाव में केतु का प्रभाव

स्वभाव

एकादश भाव में स्थित केतु के प्रभाव से जातक धनी, प्रसिद्ध , उच्च अधिकारी सफलता और लाभ प्राप्त करने वाला होता है | वह अच्छे कर्म करता है और सर्वत्र आदर सम्मान प्राप्त करता है |

मित्र / शत्रु राशी

मित्र व उच्च राशी में केतु के स्थित होने से जातक को शुभ फल प्राप्त होते है | जातक को कम प्रयासों से अधिक सफलता प्राप्त होती है | शत्रु व नीच राशी में स्थित केतु के प्रभाव से पुत्र सुख में न्यूनता होती है | मित्रों से धोखा होता है और कई अवसर हाथ से निकलते है | जातक की आय के अर्जन में भी कठिनाईया होती है |

भाव विशेष

एकादश भाव में स्थित केतु अरिष्टनाशक होता है | जातक की स्थिर आमदनी होती है | जातक की जरूरते केतु के प्रभाव से पूर्ण होती है | ईश्वर की कृपा जातक पर सदैव होती है |

12 . द्वादश भाव में केतु का प्रभाव

स्वभाव

द्वादश भाव में स्थित केतु के प्रभाव से जातक सुंदर आँखों वाला , मृदुभाषी , सुरीले गले वाला , उच्च शिक्षा प्राप्त , राजा के समान कवी और साहित्यकार होता है |

मित्र / शत्रु राशी

मित्र व उच्च राशी में होने पर केतु के शुभ प्रभाव में वृद्धि होती है | जातक कार्यकुशल तथा भाग्यशाली होता है | शत्रु व नीच राशी का होने पर जातक अवैध संबंधो में लिप्त होता है | जातक अनैतिक कार्यो में धन का व्यय करता है |

भाव विशेष

द्वादश भाव में शुभ राशी में स्थित केतु को मोक्ष दायक माना जाता है जातक तंत्र व गुप्त विद्याओ के प्रचार प्रसार से धन अर्जित करता है | जातक चंचल एवं दूसरो पर विश्वास नहीं करता है जातक धूर्त होता है एवं लोगो को ठग कर व गुमराह कर धन अर्जित करता है | जातक अपने गुप्त शत्रुओ से परेशान रहता है |

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