सूर्य यंत्र Surya yantra
सूर्य यंत्र
ब्रह्माड में सूर्य ही सर्वोपरि ग्रह है जिसके इर्द गिर्द सभी सितारे ग्रह और नक्षत्र घूमते हैं। पृथ्वी के सभी जड़ और चेतन पदार्थों पर इसकी रश्मियों का प्रभाव पड़ता है मौसम, वनस्पति, मानव सभी सूर्य किरणों से प्रभावित होते हैं डॉक्टरों और वैज्ञानिकों की मान्यता है कि उगते हुए सूर्य को जल के माध्यम से देखने पर नेत्र रोगों को दूर करने में सहायता मिलती है। इसके अशुभ होने पर नेत्र रोग, अस्थि रोग, हृदय रोग, पित्त रोग, ज्वर, मूर्च्छा, चर्म रोग, रक्त स्राव आदि हो सकते हैं।
“सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्च” वेदों के अनुसार सूर्य संपूर्ण जगत की आत्मा है। सूर्य का हमारे आध्यात्मिक जीवन तथा भौतिक जीवन से घनिष्ठ संबंध है। जीवन में अच्छी आयु- आरोग्यता इसी ग्रह की कृपा से प्राप्त होती है। shoot youtube towy i इस यंत्र को सूर्य ग्रह की शुभता के लिए विशेष रूप से घर में स्थापित करके साधना की जाती है। सामान्यतः इस यंत्र के नित्य दर्शन मात्र से ही लाभ । जाता है। सूर्य की कृपा से साधक व्यक्ति में आत्म-विश्वास की वृद्धि होकर सर्वत्र यश, सुख, धन की प्राप्ति होती है।
सूर्य ग्रह अगर कुंडली में अशुभ या कमजोर स्थिति में हो अथवा सूर्य ग्रह की महादशा / अंतरदशा चल रही हो तो आंख में किसी न किसी प्रकार की पीड़ा या हड्डी संधी रोग होने की संभावना रहती है। ऐसे में इस यंत्र के पूजन से विशेष शांति प्राप्त होती है। आत्म विश्वास में कमी हो, मन बार-बार कुठित रहता हो, अधिक परिश्रम करने पर भी उत्तम फल न मिलता हो ऐसी स्थिति में इस यंत्र के नत्य दर्शन पूजन से लाभ मिलता है।
मंत्र:
ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ।
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ।
ॐ सूर्याय नम: ।
ॐ घृणि सूर्याय नम: ।