Shani Yantra शनि यंत्र
शनि यंत्र
श्री शनियन्त्रम्
शनि वायु तत्व, दीर्घ कद का शुष्क ग्रह है। यह शरीर के स्नायु संस्थान, हड्डियों के जोड़ घुटने, पैर, मज्जा और बात को प्रभावित करता है। इसके अशुभ होने पर स्नायु रोग, जोड़ों में दर्द, अपचन, अपराधी प्रवृत्ति निराशाजनय मानसिक रोग आदि होते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि प्रतिकूल होने पर अनेक कार्यों में असफलता देता है, कभी वाहन दुर्घटना, कभी यात्रा स्थागित तो कभी क्लेश आदि से परेशानी बढ़ती जाती है ऐसी स्थितियों में ग्रह पीड़ा निवारक शनि यंत्र
की शुद्धता पूर्ण पूजा प्रतिष्ठा करने से अनेक लाभ मिलते हैं। यदि शनि की ढैया या साढ़ेसाती का समय हो तो इसे अवश्य पूजना चाहिए। श्रद्धापूर्वक इस शनि यंत्र की प्रतिष्ठा करके प्रतिदिन यंत्र के सामने सरसों के तेल का दीप जलायें। नीला, या काला पुष्प चढ़ायें। ऐसा करने से अनेक लाभ होगा। मृत्यु कर्ज मुकद्दमा, हानि, क्षति, पैर आदि की हड्डी बात रोग तथा सभी प्रकार के रोग से परेशान लोगों हेतु शनि यंत्र अधिक लाभकारी है। नौकरी पेशा आदि के लोगों को उन्नति शनि द्वारा ही मिलती अतः यह शनि यंत्र अति उपयोगी है, जिसके द्वारा शीघ्र ही लाभ पाया जा सकता है।
मंत्र: ॐ प्रां प्री प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
शनि यंत्र का चमत्कारिक प्रभाव : शनिवार को सायंकाल भोजपत्र या सादे कागज पर काली स्याही से निम्नलिखित शनि तैंतीसा यंत्र को हिन्दी के अंक लिखते हुए सावधानी व श्रद्धापूर्वक बनाएं।
यंत्र बनाते समय तांत्रिक शनि मंत्र ‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:’ का उच्चारण करते रहें।
इस विधि से 33 यंत्र लिखकर उन यंत्रों पर उड़द व काले तिल रखें तथा इन यंत्रों का धूप-दीप से पूजन करके काले कपड़े में रुपया-पैसा सहित बांधकर किसी शनि मंदिर में शनिदेव के चरणों में अर्पित करें। इस प्रकार का टोटका लगातार 3 शनिवार करें।
।।ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:।।
सभी प्रकार की शनि आराधनाओं के अंत में प्रार्थनास्वरूप शनि पीड़ा हर स्तोत्र पढ़ा जाना चाहिए।
ॐ सूर्यपुत्रो दीर्घदेहोविशालाक्ष: शिवप्रिय:।
मन्दचार प्रसन्नात्मा पीड़ा दहतु मे शनि:।।