चंद्र यंत्र chandra yantra
चंद्र यंत्र
चंद्र जल तत्व, दीर्घ कद का ग्रह है। इसके अशुभ प्रभाव से मनोविकार, मूत्र विकार, पीलिया, नाक से संबंधित रोग, कफ, रक्तचाप, चेहरे से संबंधित रोग, जठर अग्नि का मंद होना स्त्रियों के संसर्ग से उत्पन्न रोग, अतिसार, क्षय रोग आदि होते हैं “चंद्रमामनसोजातः” वेदों के अनुसार चंद्रमा संपूर्ण प्राणियों के मन का कारक है। इसकी उत्पत्ति विराट पुरुष (परमेश्वर) के मन से हुई है। संपूर्ण जगत के प्राणियों के मन पर इसका प्रभाव पड़ता है, इसके अतिरिक्त चंद्रमा संपूर्ण वनस्पति औषधियों पर अमृतवर्षा करता है।
चंद्र यंत्र इस यंत्र की साधना विशेषतया मानसिक सुख शांति तथा आर्थिक समृद्धि के लिए की जाती है। इस यंत्र के नित्य
दर्शन से व्यक्ति का मन प्रसन्न रहता है जिससे व्यवहार में भी सरसता आती
है तथा जीवन में व्यक्ति अपनी मृदुल प्रकृति से सफल हो जाता है। अगर जन्मकुंडली में चंद्र ग्रह अल्पवली हो अथवा अशुभ हो या चंद्र ग्रह की दशा / अंतरदशा के समय इस यंत्र का नित्य पूजन करने से विशेष लाभ
होता है। मन बार-बार अशांत रहता हो तथा किसी कार्य में मन न लगता हो ऐसी परिस्थिति में इस चंद्र यंत्र के नित्य दर्शन पूजन से शांति प्राप्त होती है। शीघ्र लाभ के लिए इस यंत्र में अंकित मंत्र की नित्य एक माला जप करें।
मंत्र: ॐ श्रीं श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः।