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तृतीय भाव में सूर्य का प्रभाव |bhav sury bhagvan
जानिए आपकी कुंडली मे सूर्य भगवान का स्थान किस भाव मे है | सूर्य आपके कुंडली मे स्थित हो कर कैसे फल देता है ? स्वभाव तृतीय भाव में स्थित सूर्य के प्रभाव से जातक यशस्वी, रचनात्मक मनोवृत्ति वाला, सूर्य प्रतापी और पराक्रमी होता है। वह सदैव दूसरों की सहायता के लिए तत्पर रहता है।…
श्री पांडुरंगाष्टकम्
श्री पांडुरंगाष्टकम् महज्ञायोगपीठे तटे भीमरथ्या। वरं पुंडरीकाय दातुं मुनिद्रैः ।। समागत्य तिष्ठतमानंदकंदं । परब्रम्हलिंगं भजे पांडुरंगम् ।।१।। तडिद्वससं नीलमेघवभासं। रमामंदिरं सुंदर चित्प्रकाशम् ।। वरं त्विष्टिकायां समन्यस्तपादं। परब्रम्हलिंगं भजे पांडुरंगम् ।।२।। प्रमाणं भवाब्धेरिंद मामकानां। नितंब: कराभ्यां धृतो येन तस्मात् ।। विधातुर्वसत्यै धृतो नाभिकोशः। परब्रम्हलिंगं भजे पांडुरंगम् ।।३।। स्फुरत्कौस्तुभालंकृतं कंठदेशे। श्रिया जुष्टकेयूरकं श्रीनिवासम् ।। चिवं शान्तमीड्यं…
कालसर्प योग काय आहे? kalsarpa yog
कालसर्प योग काय आहे?स्पष्ट कालसर्प योगाचे योगावयोगया जगात जेव्हा कुठलाही प्राणी ज्यावेळी जन्म घेतो ती वेळ त्या प्राण्याच्या सर्व जीवनासाठी अत्यंत महत्त्वाची मानल्या जाते. कारण त्या एका क्षणाच्या आधारे ज्योतिष शास्त्राच्या मदतीने त्याच्या संपुर्ण जीवनाचा एक असा आलेख तयार केल्या जाऊ शकतो, ज्यामध्ये त्याच्या जीवनातील वेळो वेळो घडणाऱ्या शुभ व अशुभ घटनांच्या विषयी वेळेच्या आधीच जाणता येऊ शकते.
नवग्रहों के उपाय | Navagrah ke upay
भगवान सूर्य सिंह राशि के स्वामी हैं। इनकी महादशा छ वर्ष की होती है सूर्य की
Vastu
भवन में सबसे पहले दीवारो की ओर ध्यान देना चाहिए। दीवार सीधी, प्रत्येक कोण ६० डिग्री का होना चाहिए। कमरों में रोशनी हवा का पूरा ख्याल रखते हुए खिड़कियों एवं सामान रखने के लिए आलमारी आदि का निर्माण करना चाहिए। भवन में विभिन्न कक्षों की वास्तु अनुरूप स्थिति निम्नलिखित स्थिति में होना चाहिए।
एकादशी माहात्म्य
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