गणेश चतुर्थी गणेश स्थापना पूजा

|| श्री गणेश प्रसन्न ||

“वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥”

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गणेश पूजा विधि: गणेशोत्सव के दौरान गणपति स्थापना की सम्पूर्ण विधि

गणेश स्थापना के दौरान गणेश जी की पूजा विशेष महत्त्व रखती है। गणपति बप्पा को घर में स्थापित करने के लिए सही विधि का पालन करना जरूरी होता है ताकि भगवान गणेश की कृपा बनी रहे। यहां पर हम गणेश स्थापना और पूजा की सम्पूर्ण विधि बता रहे हैं, जिसे आप गणेशोत्सव के दौरान घर या मंडल में आसानी से कर सकते हैं।

1. गणेश प्रतिमा की तैयारी:

  • सबसे पहले गणेश जी की प्रतिमा लाएं, जो मिट्टी से बनी हो, पर्यावरण के अनुकूल हो।
  • गणपति प्रतिमा को आसन पर स्थापित करें। लाल या पीले वस्त्र से स्थान सजाएं।

2. स्थापना का शुभ मुहूर्त:

  • पंचांग या ज्योतिषी से शुभ मुहूर्त जानें, ताकि गणेश स्थापना शुभ समय में हो।
  • सुबह के समय या प्रदोष काल में गणेश स्थापना करना अधिक शुभ माना जाता है।

3. पूजन सामग्री:

पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री रखें:

  • गणेश जी की मूर्ति
  • लाल कपड़ा, फूल, पत्ते (विशेषकर दूर्वा), चंदन, अक्षत (चावल)
  • नारियल, सुपारी, पान के पत्ते, धूप, दीप, कपूर
  • मोदक या लड्डू (गणेश जी का प्रिय भोग)

4. गणेश स्थापना विधि:

  1. स्थान शुद्धि: जहां गणपति की स्थापना करनी है, उस स्थान को गंगाजल या साफ पानी से शुद्ध करें।
  2. आसन: गणेश प्रतिमा को आसन पर लाल या पीले वस्त्र पर स्थापित करें।
  3. प्रतिमा स्नान: गणेश जी की प्रतिमा को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और गंगाजल) से स्नान कराएं।
  4. वस्त्र और आभूषण: गणेश जी को वस्त्र अर्पित करें और उन्हें फूलों से सजाएं।
  5. संकल्प: पूजा के आरंभ में संकल्प लें, जिसमें भगवान गणेश का आवाहन और पूजन की इच्छा प्रकट करें।

गणेश पूजा विधि में भगवान गणेश की पूजा मंत्रों के साथ की जाती है, जिससे भक्त भगवान गणेश की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। यहां आपको सरल गणेश पूजा विधि मंत्रों के साथ दी जा रही है:

1. गणेश स्थापना:

  • मंत्र:
    “ॐ गं गणपतये नमः”
    (इस मंत्र का 11 या 21 बार जाप करें)
    गणेशजी की मूर्ति को स्थापित करें, उन्हें लाल कपड़े या पीले वस्त्र पर रखें, और दूर्वा, फूल और अक्षत चढ़ाएं।

2. आचमन और प्राणायाम:

  • मंत्र:
    “ॐ केशवाय नमः” (पानी से हाथ धोएं)
    “ॐ नारायणाय नमः” (पानी पिएं)
    “ॐ वासुदेवाय नमः” (हाथ और पैर धोएं)
    इसके बाद प्राणायाम करें।

3. ध्यान और आवाहन:

  • मंत्र:
    “ॐ गणानां त्वा गणपतिं हवामहे, कविं कवीनामुपमश्रवस्तमम्। ज्येष्ठराजं ब्रह्मणां, ब्रह्मणस्पत आ न: शृण्वन्नूतिभि: सीद सादनम्॥”
    (भगवान गणेश का ध्यान करें और उनके आवाहन के लिए यह मंत्र पढ़ें)

4. षोडशोपचार पूजा (16 उपचार):

  1. आसन समर्पण (गणपति को आसन दें):
  • मंत्र:
    “ॐ गं गणपतये नमः। आसनं समर्पयामि॥”
  1. पाद्य (पैर धोने का जल अर्पण):
  • मंत्र:
    “ॐ गं गणपतये नमः। पाद्यं समर्पयामि॥”
  1. अर्घ्य (हाथ धोने का जल):
  • मंत्र:
    “ॐ गं गणपतये नमः। अर्घ्यं समर्पयामि॥”
  1. आचमन (पीने के लिए जल):
  • मंत्र:
    “ॐ गं गणपतये नमः। आचमनीयं समर्पयामि॥”
  1. स्नान (अभिषेक):
  • मंत्र:
    “ॐ गं गणपतये नमः। स्नानं समर्पयामि॥”
  1. वस्त्र (वस्त्र अर्पण):
  • मंत्र:
    “ॐ गं गणपतये नमः। वस्त्रं समर्पयामि॥”
  1. अभूषण (आभूषण अर्पण):
  • मंत्र:
    “ॐ गं गणपतये नमः। आभूषणं समर्पयामि॥”
  1. गंध (चंदन अर्पण):
  • मंत्र:
    “ॐ गं गणपतये नमः। गंधं समर्पयामि॥”
  1. अक्षत (चावल अर्पण):
  • मंत्र:
    “ॐ गं गणपतये नमः। अक्षतान् समर्पयामि॥”
  1. पुष्प (फूल अर्पण):
    • मंत्र:
      “ॐ गं गणपतये नमः। पुष्पाणि समर्पयामि॥”
  2. धूप (धूप अर्पण):
    • मंत्र:
      “ॐ गं गणपतये नमः। धूपं समर्पयामि॥”
  3. दीप (दीपक अर्पण):
    • मंत्र:
      “ॐ गं गणपतये नमः। दीपं समर्पयामि॥”
  4. नैवेद्य (भोग अर्पण):
    • मंत्र:
      “ॐ गं गणपतये नमः। नैवेद्यं समर्पयामि॥”
  5. ताम्बूल (पान अर्पण):
    • मंत्र:
      “ॐ गं गणपतये नमः। ताम्बूलं समर्पयामि॥”
  6. आरती (आरती करें):
    • मंत्र:
      “जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।”
  7. प्रदक्षिणा (परिक्रमा करें):
    • मंत्र:
      “ॐ गं गणपतये नमः। प्रदक्षिणा समर्पयामि॥”

5. गणेश स्तुति:

  • मंत्र:
    “वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥”
    (भगवान गणेश से सभी कार्यों में विघ्न दूर करने की प्रार्थना करें)

6. गणेश मंत्र जाप:

  • मंत्र:
    “ॐ गं गणपतये नमः”
    (इस मंत्र का 108 बार जाप करें)

7. गणेश आरती:

  • आरती:

    सुखकर्ता दुःखहर्ता
    सुखकर्ता दुःखहर्ता, वार्ता विघ्नाची।
    नूरवी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची॥
    सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची।
    कंठी झळके माळ मुक्ताफळांची॥ १॥
    जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ति।
    दर्शनमात्रे मन: कामना पुरती॥ १॥
    रत्नखचित फरा तूज गुणेश्वरा।
    कुरुपाळू ते महा अंबेश्वरा॥
    फळ चढ़ावे सकल गुणरूप चांरा।
    आपुलिया सर्व कांपा तू कृपा करा॥ २॥
    जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ति।
    दर्शनमात्रे मन: कामना पुरती॥ २॥
    हे गणराया सरस्वती आसरा।
    इकडे नाडा त्या दुष्टाच्या पापांच्या॥
    तू असा अमुचा गोविंदा।
    जगातील नमस्कार वंदना॥ ३॥
    जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ति।
    दर्शनमात्रे मन: कामना पुरती॥ ३॥
    प्रथम सुखकर्ता गणराज तुम हर्ता।
    मंगलमूर्ति, तुजवी घरी घरां गाता॥
    विघ्न नाहींची सारा॥
    करुणा तुझी सदा ठेविता कृपा केल्याची॥ ४॥
    जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ति।
    दर्शनमात्रे मन: कामना पुरती॥ ४॥

8. प्रार्थना और विसर्जन:

पूजन के अंत में गणेश जी से सुख-शांति और समृद्धि की प्रार्थना करें। यदि आप मूर्ति विसर्जन कर रहे हैं, तो गणपति को अगले वर्ष फिर से आने के लिए प्रार्थना करें।

  • प्रार्थना मंत्र:
    “गणेशाय नमः, शांति और समृद्धि के लिए कृपा करें।”

यह गणेश पूजा विधि और मंत्र गणेश चतुर्थी या किसी भी शुभ अवसर पर भगवान गणेश की पूजा करने के लिए उपयुक्त हैं।

5. गणपति पूजन विधि:

गणेश पूजा के दौरान कई मंत्रों का उच्चारण किया जाता है जो पूजा को अधिक प्रभावशाली बनाते हैं। यहां पर कुछ प्रमुख गणपति मंत्र दिए जा रहे हैं जो आप पूजा के समय उच्चारित कर सकते हैं:

1. गणपति आवाहन मंत्र (भगवान गणेश को आमंत्रित करने का मंत्र)

“ॐ गणानां त्वा गणपतिं हवामहे, कविं कवीनामुपमश्रवस्तमम्। ज्येष्ठराजं ब्रह्मणां, ब्रह्मणस्पत आ न: शृण्वन्नूतिभि: सीद सादनम्॥”

अर्थ: हम भगवान गणेश का आवाहन करते हैं, जो ज्ञान के देवता, सभी कवियों में श्रेष्ठ, और बुद्धि के दाता हैं। हम उनकी कृपा चाहते हैं ताकि वह हमें समृद्धि प्रदान करें।


2. गणेश मूल मंत्र (गणेश जी के मूल मंत्र का जाप)

“ॐ गं गणपतये नमः”

अर्थ: इस मंत्र के जाप से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है। यह मंत्र सभी विघ्नों को दूर करने वाला और सफलता देने वाला है।


3. गणेश गायत्री मंत्र

“ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥”

अर्थ: हम भगवान एकदन्त (गणेश जी) का ध्यान करते हैं, जिनकी सूंड मुड़ी हुई है। हमें वे ज्ञान प्रदान करें और हमारी बुद्धि को शुद्ध करें।


4. गणपति स्तुति मंत्र

“वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥”

अर्थ: हे वक्रतुण्ड (मुड़ी हुई सूंड वाले), विशालकाय, सूर्य के समान तेजस्वी गणेश जी, आप मेरे सभी कार्यों को बिना विघ्न के संपन्न करें।


5. गणेश शक्ति मंत्र

“ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।”

अर्थ: इस मंत्र के द्वारा भगवान गणेश से शक्ति और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है, और यह मंत्र जीवन में सफलता और समृद्धि लाने वाला है।


6. गणेश विघ्न विनाशक मंत्र

“ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो दन्ति प्रचोदयात्।”

अर्थ: हम भगवान एकदन्त (गणेश जी) का ध्यान करते हैं, जो समस्त विघ्नों का नाश करने वाले हैं। हमें उनकी बुद्धि प्रदान हो।


7. गणपति अथर्वशीर्ष (संक्षिप्त पाठ)

गणपति अथर्वशीर्ष गणेशजी की महिमा का वर्णन करने वाला एक महत्वपूर्ण वैदिक ग्रंथ है। इसका पाठ गणेश भक्तों द्वारा गणेश चतुर्थी या किसी भी शुभ अवसर पर किया जाता है। यह भगवान गणेश की सर्वव्यापकता और उनके आदिदेव होने की पुष्टि करता है।

यहां गणपति अथर्वशीर्ष का संपूर्ण पाठ दिया गया है:

गणपति अथर्वशीर्ष

ॐ नमस्ते गणपतये।
त्वमेव प्रत्यक्षं तत्त्वमसि।
त्वमेव केवलं कर्ताऽसि।
त्वमेव केवलं धर्ताऽसि।
त्वमेव केवलं हर्ताऽसि।
त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि।
त्वं साक्षादात्माऽसि नित्यम्॥ 1 ॥

ऋतं वच्मि।
सत्यं वच्मि॥ 2 ॥

अव त्वं माम्।
अव वक्तारम्।
अव श्रोतारम्।
अव दातारम्।
अव धातारम्।
अवानूचानमव शिष्यम्।
अव पश्चात्तात्।
अव पुरस्तात्।
अवोत्तरात्तात्।
अव दक्षिणात्तात्।
अव चोध्वरतात्तात्।
अवाधरतात्तात्।
सर्वतो मां पाहि पाहि समन्तात्॥ 3 ॥

त्वं वाङ्मयस्त्वं चिन्मयः।
त्वमानन्दमयस्त्वं ब्रह्ममयः।
त्वं सच्चिदानन्दाऽद्वितीयोऽसि।
त्वं प्रत्यक्षं ब्रह्मासि।
त्वं ज्ञानमयो विज्ञानमयोऽसि॥ 4 ॥

सर्वं जगदिदं त्वत्तो जायते।
सर्वं जगदिदं त्वत्तस्तिष्ठति।
सर्वं जगदिदं त्वयि लयमेष्यति।
सर्वं जगदिदं त्वयि प्रत्येति।
त्वं भूमिरापोऽनलोऽनिलो नभः।
त्वं चत्वारि वाक्पदानि॥ 5 ॥

त्वं गुणत्रयातीतः।
त्वं अवस्थात्रयातीतः।
त्वं देहत्रयातीतः।
त्वं कालत्रयातीतः।
त्वं मूलाधारस्थितोऽसि नित्यम्।
त्वं शक्तित्रयात्मकः।
त्वां योगिनो ध्यायन्ति नित्यम्।
त्वं ब्रह्मा त्वं विष्णुस्त्वं रुद्रस्त्वमिन्द्रस्त्वमग्निस्त्वं वायुस्त्वं सूर्यस्त्वं चन्द्रमास्त्वं ब्रह्मभूर्भुवःस्वरोम्॥ 6 ॥

गणादिं पूर्वमुच्चार्य वर्णादींस्तदनन्तरम्।
अनुस्वारः परतरः।
अर्धेन्दुलसितम्।
तारेण ऋद्धम्।
एतत्तव मनुस्वरूपम्।
गकारः पूर्वरूपम्।
अकारो मध्यरूपम्।
अनुस्वारश्चान्त्यरूपम्।
बिन्दुरुत्तररूपम्।
नादः संधानम्।
सँहिता सन्धिः।
सैषा गणेशविद्या।
गणक ऋषिः।
निचृद्गायत्री छन्दः।
गणपतिर्देवता॥ 7 ॥

ॐ गं गणपतये नमः।

एकदन्ताय विद्महे।
वक्रतुण्डाय धीमहि।
तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्॥ 8 ॥

एकदन्तं चतुर्हस्तं पाशमङ्कुशधारिणम्।
रदं च वरदं हस्तैर्बिभ्राणं मूषकध्वजम्॥
रक्तं लम्बोदरं शूर्पकर्णकं रक्तवाससम्।
रक्तगन्धानुलिप्ताङ्गं रक्तपुष्पैः सुपूजितम्॥
भक्तानुकम्पिनं देवं जगत्कारणमच्युतम्।
आविर्भूतं च सृष्ट्यादौ प्रकृतेः पुरुषात्परम्॥ 9 ॥

एवं ध्यायति यो नित्यं स योगी योगिनां वरः॥ 10 ॥

न मोक्षि मोक्षदं तिं मोक्षदं करिष्यति।
एवं स गणपति विद्याम् मनुष्य मनुज्ञा।

6. विसर्जन:

  • 1.5, 3, 5, 7, या 10 दिनों तक गणपति की पूजा के बाद विसर्जन करें।
  • विसर्जन के दौरान भगवान गणेश से घर की सुख-शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।

इस विधि से गणेश जी की पूजा करने से वे प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। गणेशोत्सव के इस पावन पर्व पर भगवान गणेश आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाएं।

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