जानिए आपकी राशी अनुसार शुक्र भगवान आपकी कुंडली में प्रभाव !!

मेष : –

मेष राशी का स्वामी मंगल होता है | मंगल व शुक्र एक दुसरे से सम भाव रखते है | जहा मंगल तामसिक , क्रूर व ब्रम्हचारी ग्रह है वही शुक्र सात्विक शुभ एव विलासी है | इसलिए शुक्र के मेष राशी पर स्थित होने से जातक दुराचारी होता है | ऐसा जातक परायी स्त्री से आसक्त ओता है जिसके कारण जातक कलंकित होता है | जातक झगडालू स्वभाव का भी होता है | जातक झूठ बोलता है एव विश्वास पात्र नहीं होता |

वृषभ : –

वृषभ राशी का स्वामी स्वय शुक्र होता है इसलिए वृषभ शुक्र की स्वराशी होगी | वृषभ राशी में स्थित शुक्र के प्रभाव से जातक गौर वर्ण वाला तथा सुंदर होता है | जातक अनेक शास्त्रों का ज्ञाता होता है | ऐसा जातक परोपकारी व सदाचारी होता है | जातक मुक्त हस्त से शुभ कार्यो के लिए दान करता है | जातक ऐश्वर्यवान एव प्रसिद्ध होता है | जातक कला में निपुण एव पर्यटन का शौकीन होता है | जातक अत्यंत धनवान शत्रु रहित एव सुखी होता है |

मिथुन : –

मिथुन राशी का स्वामी बुध है | बुध व शुक्र एक दुसरे के मित्र है इसलिए मिथुन राशी में शुक्र मित्र राशी का होगा | शुक्र के मिथुन राशी पर स्थित होने के प्रभाव से जातक सज्जन होता है | जातक कला में रूचि रखता है एव चित्रकला में निपूण होता है| जातक की साहित्य के प्रति भी विशेष रूचि होती है | जातक लोक हितैषी होता है एव दुसरो का कल्याण करने में तत्पर रहता है | जातक मधुर भाषी भी होता है |

कर्क : –

कर्क राशी का स्वामी चन्द्रमा होता है | शुक्र चन्द्रमा से वैर भाव रखता है जबकि चन्द्रमा शुक्र से सम भाव रखता है | इसलिए शुक्र कर्क राशी में शत्रु राशी का होता है | शुक्र के कर्क राशी में स्थित होने से जातक सुंदर होता है | जातक सुख और धन प्राप्ति करने के प्रति प्रयासरत रहता है | धर्म के प्रति जातक की प्रगाढ आस्था रहती है | जातक ज्ञानी व नितिज्ञ होता है | जातक दूसरो से धन व अन्य वास्तु लेने की कामना रखता है | जातक डरपोक स्वभाव का भी होता है | जातक अभिमानी होता है एव उसे छोटी-छोटी बातो पर घमंड आता है | जातक चिंताग्रस्त व शोकाकुल भी होता है |

सिंह : –

सिंह राशि का स्वामी सूर्य है। सूर्य व शुक्र नैसर्गिक शत्रु है इसलिए सिंह राशि में शुक्र शत्रु राशि का होता है । शुक्र के सिंह राशि मे स्थित होने से जातक चिंताग्रस्त व दुखी होता है। जातक को उसकी पत्नी द्वारा धन की प्राप्ति होती है। ऐसे जातक की पत्नी ऊंचे कुल की होती है। जातक उपकारी होता है। जातक शिल्पकला में रूचि व दक्षता हासिल करता है।

कन्या : –

कन्या राशि का स्वामी बुध है । कन्या राशि में शुक्र नी का होता है। इसलिए नीच फल प्रदान करता है। कन्या राशि में शुक्र के स्थित होने से जातक रोगी होता है। जातक नीच कर्म करने वाला होता है। जातक व्यापार मे अनुचित तरीके से धन प्राप्त करता है जिसके कारण जातक को धन हानि होती है। जातक कई बार जुएं व सट्टे में धन हानि करता है। जातक दुखी, अतिकामी होता है तथा निर्बल, वीर्यदोष युक्त एवं विचित्र विचारधारा वाला होता है। जातक प्रेम में असफल होता है |

तुला : –

तुला राशि का स्वामी स्वयं शुक्र है । तुला राशि के 10 अंश तक शुक्र मूल त्रिकोण में होता है। शेष 10 अंश से 30 अंश तक शुक्र स्वराशि का होता है । स्वयं की राशि में स्थित होने से शुक्र के शुभप्रभाव प्राप्त होते है। शुक्र के तुला राशि में स्थित होने से जातक सुंदर, रूपवान, तीखे नैननक्श वाला तथा लंबे कद वाला होता है। जातक कार्यदक्ष व विलासी होता है । जातक प्रायः परदेश में सुख प्राप्त करता है। जातक की कला के प्रति विशेष रूचि होती है एवं वह विभिन्न कलाओं में पारंगतता प्राप्त करता है। जातक बुद्धिमान एवं सुखी होता है। जातक को यश की प्राप्ति होती है। शुक्र तुला राशि में हो तो जातक मिलनसार, उदार, काव्य एवं कला प्रेमी होता है।

वृश्चिक : –

वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल है। मंगल व शुक्र एक दूसरे से सम भाव रखते है। जहां मंगल तामसिक, क्रूर व ब्रह्मचारी ग्रह है वहीं शुक्र सात्विक, शुभ एवं विलासी है। इसलिए शुक्र के वृश्चिक राशि पर स्थित होने से जातक कुकर्मी होता है | जातक झगडालू , व्यसनी एवं कलाप्रिय होता है। जातक का पूजा-पाठ में विश्वास कम होता है। जातक भाव से क्रोधी होता है। जातक दरिद्र, ऋणी व दुखी होता है। जातक स्वयं की स्त्री से द्वेष भावना रखता है। जातक गुप्त रोगी होता है।

धनु : –

धनु राशि का स्वामी गुरू होता है। यह देवताओं के गुरू है व शुक्र देत्यों के गुरू है। इस आधार पर गुरू व शुक्र एक दूसरे के विपरीत दल में है किंतु दोनों शुभ व श्रेष्ठ ग्रह है इसलिए शुक्र के धनु राशि में होने से जातक सुंदर व पुण्यवान होता है। जातक विद्वान एवं सुखी होता हैं तथा स्वयं के परिश्रम से धन प्राप्त करता है और उस धन का शुभ व पुण्य कार्यो में व्यय करता है। शुक्र धनु राशि में हो तो जातक उच्च पद को प्राप्त करता है। जातक का उत्तम स्वभाव होता है ।

मकर : –

मकर राशि का स्वामी शनि होता है। शनि शुक्र का परम मित्र है किंतु जहां शुक्र शुभ व सात्विक ग्रह है वहीं शनि क्रुर व तामसिक ग्रह है इसलिए शुक्र के मकर राशि में स्थित होने से जातक धनवान बलहीन व दुखी होता है। जातक कृपण होता है सम्मान प्राप्त करता है। जातक मिथ्याभाषी एवं चतुर बुद्धि वाला होता है।

कुंभ : –

कुंभ राशि का स्वामी शनि होता है। शनि शुक्र का परम मित्र है किंतु जहां शुक्र शुभ व सात्विक ग्रह है वहीं शनि क्रूर व तामसिक ग्रह है इसलिए शुक्र के कुंभ राशि में स्थित होने से जातक चिंताशील व रोगी होता है। जातक का मन मलीन होता है। जातक धर्म के विरूद्ध कार्य करता है। जातक अन्य स्त्री विशेषकर अपनी उम्र से बड़ी स्त्री के प्रति आसक्त रहता है। जातक आलसी व व्यसनी होता है। कार्य को आरम्भ करके उसे बीच में ही छोड़ देने वाला होता है |

मीन : –

मीन राशि का स्वामी गुरु है। शुक्र मीन राशि में उच्च राशि का होता है इसलिए शुभ प्रभाव देता है। शुक्र के मीन राशि में होने से जातक स्वस्थ्य होता है। जातक शांत व अपने कार्य में दक्ष होता है। जातक सोना, चांदी, आभूषण इत्यादि के व्यापार में सलंग्न रहते हुए सफलता प्राप्त करता है। जातक धनवान एवं सुखी होता है। जातक कई सम्पत्तियों का मालिक होता है। शुक्र मीन राशि में स्थित हो तो जातक संगीत प्रिय, विद्वान एवं शिल्पज्ञ होता है। जातक व्यापार कुशल तथा कृषि विशेषज्ञ होता है।

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