कालसर्प योग काय आहे? kalsarpa yog

जन्म कुंडली तथा होरा कुंडली का महत्व कैसे देखे, उदाहरण के साथ | How to read Hora kundali

प्रत्येक राशि में दो होरा होती है । इससे पहले राशियों को दो भागों में विभाजित करना चाहिये । ये दो विभाजन सम एवं विषम राशियों के है। मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु एवं कुंभ राशियां विषम है क्योंकि उनका क्रम क्रमश: 1, 3, 5, 7, 9 एवं 11 है । इसी प्रकार वृषभ, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर एवं मीन राशियां सम राशि है क्योंकि उनका क्रम क्रमश: 2, 4, 6, 8, 10 एवं 12 है ।

अब होरा जानने के लिए पहले सम राशि के आधार पर गणना करते है । यदि कोई ग्रह सम राशि में 0 अंश से 15 अंश के मध्य हो तो वह चंद्रमा की होरा में होगा । इसी प्रकार यदी कोई ग्रह सम राशि में 15 से 30 अंश में स्थित हो तो वह सूर्य की होरा में स्थित होगा ।

इसी प्रकार यदि कोई ग्रह विषम राशि में 0 अंश से 15 अंश के मध्य स्थित हो तो वह सूर्य की होरा में होगा । इसी प्रकार यदि कोई ग्रह 15 से 30 अंश में स्थित हो तो वह चंद्रमा की होरा में स्थित होगा ।

उदाहरण पत्रिका 1 (श्री राम कुमार)

श्री राम कुमार का जन्म 3 अक्टूबर 1973 को रात्रि 3 बजकर 20 मिनिट पर इंदौर में हुआ । उनकी पत्रिका के ग्रह स्पष्ट निम्न है।

ग्रहराशीअंश
लग्नसिंह05:16:12
सूर्यकन्या17:02:29
चंद्रधनु11:18:38
मंगलमेष14:20:25
बुधतुला08:00:05
गुरुमकर08:50:31
शुक्रवृश्चिक00:18:55
शनीमिथुन11:05:42
राहूधनु08:46:24
केतूमिथुन08:46:24

अब श्री राम कुमार की होरा कुंडली उपर दिये हुए ग्रह के आधार पर निम्न प्रकार से बनेगी ।
लग्न

लग्न सिंह

अर्थात विषम राशि है तथा लग्न का अंश 5 है । इस प्रकार लग्न विषम राशि में 0 अंश से 15 अंश के अंदर स्थित है । नियमानुसार विषम राशि के 0 अंश से 15 अंश में सूर्य की होरा होती है। निम्न दि हुई पत्रिका में सूर्य को लग्न में स्थापित निम्न प्रकार से किया जाता है ।

सूर्य

कन्या अर्थात सम राशि में स्थित है । सूर्य के अंश 17 :02:29 है । सम राशि में स्थित ग्रह यदि 15 से 30 अंश के मध्य स्थित हो तो उसकी सर्य की होरा होती है । अर्थात सूर्य को सूर्य की सिंह राशि में निम्न प्रकार से स्थापित किया जा सकता है ।

चंद्रमा

चंद्रमा धनु अर्थात विषम राशि में स्थित है । चंद्रमा के अंश 11:18:38 है। विषम राशि में स्थित ग्रह यदि 0 से 15 अंश के मध्य स्थित हो तो उसकी सर्य की होरा होती है । अर्थात चंद्रमा को सूर्य की सिंह राशि में निम्न प्रकार से स्थापित किया जा सकता है।

मंगल

मेष अर्थात विषम राशि में स्थित है । मंगल के अंश 14:20:25 है । विषम राशि में स्थित ग्रह यदि 0 से 15 अंश के मध्य स्थित हो तो उसकी सूर्य की होरा होती है । अर्थात मंगल को सूर्य की सिंह राशि में निम्न प्रकार से स्थापित किया जा सकता है ।

बुध

बुध तुला अर्थात विषम राशि में स्थित है । बुध के अंश 08:00:05 है । विषम राशि में स्थित ग्रह यदि 0 से 8 अंश के मध्य स्थित हो तो उसकी सूर्य की होरा होती है । अर्थात बुध को सूर्य की सिंह राशि में निम्न प्रकार से स्थापित किया जा सकता है।

गुरु

गुरु मकर अर्थात सम राशि में स्थित है । गुरु के अंश 08:50:03 है । विषम राशि में स्थित ग्रह यदि 0 से 15 अंश के मध्य स्थित हो तो उसकी चंद्रमा की होरा होती है । अर्थात गुरु को चंद्रमा की कर्क राशि में निम्न प्रकार से स्थापित किया जा सकता है ।

शुक्र

शुक्र वृश्चिक अर्थात सम राशि में स्थित है । शुक्र के अंश 00:18:55 है । सम राशि में स्थित ग्रह यदि 0 से 15 अंश के मध्य स्थित हो तो उसकी चंद्रमा की होरा होती है। अर्थात शुक्र को चंद्रमा की कर्क राशि में निम्न प्रकार से स्थापित किया जा सकता है।

शनि

शनि मिथुन अर्थात विषम राशि में स्थित है । शनि के अंश 11:05:42 है । विषम राशि में स्थित ग्रह यदि 0 से 15 अंश के मध्य स्थित हो तो उसकी सूर्य की होरा होती है । अर्थात शनि को सूर्य की सिंह राशि में निम्न प्रकार से स्थापित किया जा सकता है ।

राहु

राहु धनु अर्थात विषम राशि में स्थित है। राहु के अंश 08:46:24 है । विषम राशि में स्थित ग्रह यदि 0 से 15 अंश के मध्य स्थित हो तो उसकी सूर्य की होरा होती है । अर्थात राहु को चंद्रमा की सिंह राशि में निम्न प्रकार से स्थापित किया जा सकता है |

केतु

केतु मिथुन अर्थात विषम राशि में स्थित है । केतु के अंश 08:46:24 है । विषम राशि में स्थित ग्रह यदि 0 से 15 अंश के मध्य स्थित हो तो उसकी चंद्रमा की होरा होती है । How to read Hora kundali | होरा कुंडली का महत्व कैसे देखे, उदाहरण के साथ

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