जानिए आपकी रशिअनुसार बुध भगवान का आपकी कुंडली में प्रभाव !!

मेष : –

मेष राशी का स्वामी मंगल है | मंगल बुध से शत्रुता का भाव रखता है | बुध मंगल से समता का भाव रखता है | मंगल क्रूर व तामसिक गृह है और बुध बुद्धि का कारक गृह है | इसलिए जब मंगल बुद्धि पर बैठता है तो बुद्धि को मलिन करता है | बुध के मेष राशी पर स्तिथ होने से जातक का शरीर कृष होता है | जातक चतुर एव सत्यप्रिय होता है | जातक खाने-पिने का शौक़ीन होता है | जातक चंचल , दुष्ट-बुद्धि एव कलह प्रिय होता है |

वृषभ : –

वृषभ राशी का स्वामी शुक्र होता है | बुध व शुक्र मित्र है इसलिए वृषभ राशी बुध की मित्र राशी कहलाएगी | वृषभ राशी पर बुध के स्थित होने के शुभ प्रभाव से जातक गुणवान, अनेक कलाओ का जानकार धनवान तथा बुद्धिवान होता है | जातक विद्वान् , गंभीर एव चतुर भी होता है | जातक का शास्त्रों का ज्ञाता होता है | जातक की वाणी मोहित कर देने वाली मिठास होती है | जातक विलासी व काम कला में निपुण होता है | जातक सुखी होता है | जातक अपनी स्त्री,पुत्र एव परिवार से परम स्नेह रखता है |

मिथुन : –

मिथुन राशी का स्वामी बुध स्वयं है | मिथुन राशी बुध की स्वराशी होती है जिसके शुभ प्रभाव से जातक अच्छा वक्ता , लेखक एव विद्वान् होता है | जातक अपने क्षेत्र में यशस्वी व ऐश्वर्यशाली होता है | जातक शास्त्रों का ज्ञाता होता है | ऐसे जातक मीठी बातो से काम बनाने वाले होते है | जातक को संतान संबंधि चिंता होती है |

कर्क : –

कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा होता है। चंद्रमा बुध से मित्रता का भाव रखता है। किंतु बुध चंद्रमा से शत्रुता का भाव रखता है। कर्क राशि में बुध के स्थित होने से जातक कला व संगीत में रूचि रखता है। जातक हास्यप्रिय एवं विनोदी स्वभाव का होता है। जातक बहुत ज्यादा बोलता है । जातक अच्छा कार्यकर्ता व परिश्रमी होता है। अपने परिश्रम से जातक सफलता व प्रसिद्धि पाता है । प्रायः जातक परदेश में निवास करता है । जातक कामी व परस्त्रीरत होता है। जातक लेखन तथा काव्य द्वारा द्रव्योपार्जन करने वाला होता है।

सिंह : –

सिंह राशि का स्वामी सूर्य है। सूर्य व बुध मित्र है इसलिए सिंह राशि बुध की मित्र राशि होगी। सिंह राशि में बुध के स्थित होने से जातक दुष्ट बुद्धि व झूठ बोलने वाला होता है । जातक मिथ्याभाषी होता है । जातक बुद्धिहीन और स्त्री को सुख देने वाला होता है। जातक मानसिक रूप से चिंतित, भ्रमणशील तथा उदार प्रवृत्ति वाला होता है। ऐसे जातक दूसरों की उन्नति को देखकर दुःखी होते है।

कन्या : –

कन्या राशि का स्वामी स्वयं बुध होता है। बुध कन्या राशि के 15 अंश तक उच्च का होता है। 15अंश से 20 अंश तक मूलत्रिकोण राशि का होता है एवं 20 अंश से 30 अंश तक स्वराशि का होता है । कन्या राशि में बुध के स्थित होने से शुभ प्रभाव से जातक अच्छा वक्ता होता है। जातक मधुर भाषी व सुखी होता है। जातक क्षमावान, विद्वान व समझदार होता है। कविता, साहित्य व लेखन में जातक की विशेष रूचि होती है। संपादन के कार्य में भी जातक निपुण होता है। ऐसा जातक उन्नतिशील, सदाचारी, गुणी एवं नीतिवान होता है।

तुला : –

तुला राशि का स्वामी शुक्र है। शुक्र बुध का नैसर्गिक मित्र है इसलिए तुला राशि की मित्र राशि होगी जिसके शुभ प्रभाव से जातक चतुर, अच्छा वक्ता व व्यापार में दक्ष होता है। जातक शिल्पकला में रूचि रखता है। तुला राशि में बुध होने पर जातक का बड़ा कुटुंब होता है एवं वह अपने कुटुंब का पूरा ध्यान रखता है। जातक उदार एवं मधुरभाषी भी होता है। जातक धनवान एंव कुशल स्त्रियों के संपर्क में आने से सुखी होता है।

वृश्चिक : –

वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल है। मंगल बुध से समता का भाव रखता है एवं बुध मंगल से मित्रता का भाव रखता है। मंगल क्रूर व तामसिक ग्रह है जबकि बुध बुद्धि व विद्वता का द्योतक है इसलिए बुध के वृश्चिक राशि पर हैं होने से बुध के शुभ प्रभाव नष्ट हो जाते है एवं जातक दूराचारी व क्रूर होता है। जातक व्यसनी, मूर्ख तथा विपत्तियों से घिरा हुआ होता है। ऐसे जातक पराए घर में रहना पसंद करते है। जातक आलसी प्रवृत्ति होने से धन हानि उठाने वाला होता है। जातक शारीरिक कष्ट पाने वाला एवं खर्चीला होता है। ऐसे जातक प्रायः सेवक प्रवृत्ति और नौकरी करने वाले होते है। इन्हें किसी भी प्रकार का व्यवसाय लाभ नहीं देता । जातक को जुएं, सट्टे, शेयर में रूचि होती है व प्रायः वह इनमें हानि उठाता हैं एवं ऋणी होता है ।

धनु : –

धनु राशि का स्वामी गुरु है। बृहस्पति बुध का नैसर्गिक शत्रु है एवं बुध गुरू से समता का भाव रखता है। इस प्रकार बुध धनु राशि में सम राशि का कहलायेगा । बुध के धनु राशि पर स्थित होने से जातक प्रमाणिक बात बोलने वाला व स्पष्ट वक्ता होता है । धनु राशि में बुध स्थित हो तो जातक धनवान, कला राशि कुशल, कुल में श्रेष्ठ और स्वअर्जित धन का स्वामी तथा कुटुंब भाग्यशाली होता है। जातक दानी व उदार होता है। जातक अपने कार्य में कुशल होता है। जातक अपनी विद्वता के कारण प्रसिद्ध होता है। जातक लेखक, सम्पादक व अच्छा वक्ता होता है। जातक उच्च कोटि की सफलता प्राप्त करता है।

मकर : –

मकर राशि का स्वामी शनि होता है। शनि व बुध मित्र होते है। मकर राशि बुध के प्रभाव से जातक शत्रुओं से भयभीत एवं डरपोक होता है। जातक मूर्ख व मिथ्याभाषी होता है। जातक दूसरों की सेवा करने वाला होता है। जातक धनहिन व ऋणी होता है। जातक परिश्रमी किंतु दूषित चरित्र वाला होता है। जातक कुलहीन होता है। जातक दुष्ट बुद्धि एवं व्यसनी होता है। जातक बुरे कार्यो में धन खर्च करता है।

कुंभ : –

कुंभ राशि का स्वामी शनि होता है। शनि व बुध मित्र होते है। कुंभ राशि में स्थित बुध के प्रभाव से जातक कुटुंबयुक्त होता है। जातक की उत्तम वाक शक्ति किन्तु दुर्बल होता है । जातक घर में कलह करने वाला व धर्महीन होता है। जातक दीन होने पर शत्रुओं द्वारा पीड़ित तथा संकटों से ग्रस्त होता है । जातक पराधीन तथा अल्पधनी होता है। ऐसा जातक युवा अवस्था में धनवान होता है।

मीन : –

मीन राशि का स्वामी गुरू होता है। गुरू व बुध एक दुसरे से समता का भाव रखते है इसलिए मीन राशी बुध की सम राशि होगी । मीन राशि में बुध के प्रभाव से जातक सदाचारी व स्वाभिमानी होता है। जातक मीठा बोलने वाला_ व विद्वान होता है। जातक अपनी वाणी से दूसरों को शीघ्र प्रसन्न कर लेता है। जातक सहनशील व भाग्यवान होता है। जातक प्रवास में सुख प्राप्त करता है। जातक धन संग्रह करने में निपुण होता है। जातक अपने कार्य में महारत हासिल करता – है। जातक ब्राह्मणों का पूजन करने वाला होता है।

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