Rashi fal 2024 2023 2022

सिंह राशी-leo

सिंह राशी, राशी चक्र की पाचवी रास है| सिंह राशी में मघा, पूर्वा,उत्तरा नक्षत्र का 1 चरण मीला कर सिंह रास बनती है। सिंह राशी अग्नि तत्व की है, सिंह राशी का चिन्ह सिंह कि

|

दशहरा–विजयादशमी–dussehra

दशहरा (विजयादशमी) श्रीराम भगवान् जब 14 वर्ष वनवास भुगत रहे थे तब श्रीराम भगवान् ने सभी राक्षसोका वध किया आखिर में अति शक्ति शाली रावण राक्षसोके राजा बचे थे इस लिए श्रीराम रावण के भूमि सीमा पर रहने लगे तब शुर्पनका रावण की बहन श्रीराम का भव्यतेज देखकर प्रभावित हुई और श्रीराम के साथ विवाह…

Rashi fal 2024 2023 2022

कर्क राशी

[wpdts-date] कर्क राशी, राशी चक्र की चौथी रास है| कर्क राशी में पुनर्वसू नक्षत्रका 1 चरण, पुष्य, आश्लेषा नक्षत्र मीला कर कर्क रास बनती है। कर्क राशी जल तत्व की है, कर्क राशी का चिन्ह केकड़ा कि प्रतिकृति है| कर्क राशी का स्वामी चंद्र देव है, चंद्र देव गतिशील ग्रह होने के कारण व्यक्ति का…

Rashi fal 2024 2023 2022

मिथुन राशी–gemini

मिथुन राशी-gemini, राशी चक्र की तीसरी रास है| मिथुन राशी में मृग नक्षत्रके 2 चरण, आर्दा, पुनर्वसू के 3 चरण मीला कर मिथुन रास बनती है। मिथुन राशी वायु तत्व की है, मिथुन राशी का चिन्ह जुडवा व्यक्ति यो कि प्रतिकृति है|

Rashi fal 2024 2023 2022

वृषभ राशि (Vrishabh Rashi)

वृषभ राशि (Vrishabh Rashi) की सम्पूर्ण जानकारियाँ लक्षण : मध्यम कद, प्रायः मोटा शरीर, चैउ़ा मस्तक, मोटी गर्दन, सुन्दर आकर्षक चेहरा, बड़े कान और आंखें चैड़ कंधे, गठीला शरीर, गेहंआ रंग, सफेद दांत, भारी जांघे, घुंघराले बाल, कमर या बगल में मस्सा। अन्य गुण: प्रेमपूर्ण व्यवहार, सौंदर्य, संगीत और कला में रूचि होती है। loading……

नवरात्री — Navaratri

या वर्षी नवरात्र दिनांक 17- ओक्टोम्बर- 2020 रोजी वार:- शनिवार पक्ष:- आश्विन शुल्क पक्ष तिथि :- प्रतिपदा पासुन नवरात्रीची श्रीघट स्थापना होत आहे. दरवर्षी प्रमाने याही वर्षी नवरात्री,अश्विन शुद्ध प्रतिपदा ते अश्विन शुद्ध नवमी हा देवी उपासनेचा काळ, म्हणजेच नवरात्र उत्सव काळ होय. नवरात्रित घरोघरी घट स्थापना केली जाते. नवरात्रीत देवीपुढे अखंड दिप लावला जातो….

कुलदेवी के आशीर्वाद क्यों जरूरी हैं ?

कुलदेवी के आशीर्वाद क्यों जरूरी हैं ? विषय बहुत महत्वपूर्ण हैं । इस विषय को समझते वक़्त सभी साधना , कुण्डलिनी , श्रीविद्या , दसमहाविद्या जो भी कोई साधना आप कर रहे हो , सब एक बाजू रखें । क्योंकि कुलदेवी की कृपा का अर्थ है , सौ सुनार की एक लोहार की , बिना…

ग्रंथ सारणिका

अध्याय ३१ – ग्रंथ सारणिका सत मुनी शौनकादिक ऋषींना म्हणाले, “नारायणांनी नारदाला ‘अधिकमास माहात्म्या’च्या अनेक कथा सांगितल्या. काही कथा भगवान विष्णूंनी लक्ष्मीला सांगितल्या. श्रीकृष्णाने पांडवांना “अधिकमास माहात्म्य’ सांगितले. त्या सर्व कथा व्यासांनी लिहून ठेवल्या. ते बृहन्नारदीय पुराण, पद्मपुराण यातील कथा मी तुम्हांला सांगितल्या त्या ‘अधिकमास माहात्म्य’ ग्रंथाची थोडक्यात माहिती म्हणजे सारणिका अशी आहे पहिल्या अध्यायात…