प्राणायाम करनेका सही तरीका आपका जीवन बदल देगा | सूर्यभेदी प्राणायाम | how to do pranayam.
रोजाना कौन सा प्राणायाम करना चाहिए?
प्राचीन भारत के ऋषि मुनियों ने कुछ ऐसी सांस लेने की प्रक्रियाएं ढूंढी जो शरीर और मन को तनाव से मुक्त करती है। इन प्रक्रियाओं को दिन में किसी भी वक़्त खली पेट कर सकते है। देखते है कौन सी प्रक्रिया किस परिस्थिति में उपयोगी है :
अगर आपका मन किसी बात को लेके विचलित हो या आपका किसी की बात से अपना मन हठा ही नहीं पा रहे हो तोह आपको भ्रामरी प्राणायाम करना चाहिए। यह प्रक्रिया उक्त रक्तचाप से पीड़ित लोगो के लिए बहुत फायेदमंद है।
नाड़ियों की रुकावटों को खोलने हेतु कपालभाति प्राणायाम उपयुक्त है। यह प्रक्रिया शरीर के विषहरण के लिए भी उपयुक्त है।
अगर आप कम ऊर्जावान महसूस कर रहे है तो भस्त्रिका प्राणायाम के तीन दौर करे – आप खुद को तुरंत शक्ति से भरपूर पाएंगे।
अगर आप अपने कार्य पे ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे तो नदी शोधन प्राणायाम के नौ दौर करे और उसके पश्चात दस मिनट ध्यान करे। नाड़ी शोधन प्राणायाम दिमाग के दायिने और बाएं हिस्से में सामंजस्य बैठती है मन को केंद्रित करती है।
ध्यान दे – प्राणायाम हमारी सुक्ष्म जीवन शक्ति से तालुक रखती है। इसलिए इनको वैसे ही करना चाहिए जैसे आपकी योग कक्षा में सिखाया गया हो। इनके साथ प्रयोग करना उचित नहीं है।
सबसे अच्छा प्राणायाम कौन सा है? which pranayam is good to do.
भस्त्रिका प्राणायाम | bhastrika pranayam.
भस्त्रिका का मतलब है धौंकनी। इस प्राणायाम में सांस की गति धौंकनी की तरह हो जाती है। यानी श्वास की प्रक्रिया को जल्दी-जल्दी करना ही भस्त्रिका प्राणायाम कहलाता है। bhastrika pranayam.
विधि: पद्मासन या फिर सुखासन में बैठ जाएं। कमर, गर्दन, पीठ एवं रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए शरीर को बिल्कुल स्थिर रखें। इसके बाद बिना शरीर को हिलाए दोनों नासिका छिद्र से आवाज करते हुए श्वास भरें। फिर आवाज करते हुए ही श्वास को बाहर छोड़ें। अब तेज गति से आवाज लेते हुए सांस भरें और बाहर निकालें। यही क्रिया भस्त्रिका प्राणायाम कहलाती है। हमारे दोनों हाथ घुटने पर ज्ञान मुद्रा में रहेंगे और आंखें बंद रहेंगी। ध्यान रहे, श्वास लेते और छोड़ते वक्त हमारी लय ना टूटे।
लाभ व प्रभाव: इस प्राणायाम के अभ्यास से मोटापा दूर होता है। शरीर को प्राणवायु अधिक मात्र में मिलती है और कार्बन-डाई-ऑक्साइड शरीर से बाहर निकलती है। इस प्राणायाम से रक्त की सफाई होती है। शरीर के सभी अंगों तक रक्त का संचार भली-भांति होता है। जठराग्नि तेज हो जाती है। दमा, टीवी और सांसों के रोग दूर हो जाते हैं। फेफड़े को बल मिलता है, स्नायुमंडल सबल होता है। वात, पित्त और कफ के दोष दूर होते है। इससे पाचन संस्थान, लीवर और किडनी की मसाज होती है।
सावधानियां: उच्च रक्तचाप, हृदय रोगी, हर्निया, अल्सर, मिर्गी स्ट्रोक वाले और गर्भवती महिलाएं इसका अभ्यास ना करें।
विशेष: अभ्यास से पहले 2 गिलास जल अवश्य लें। शुरू-शुरू में आराम लेकर अभ्यास करें। ज्यादा लाभ उठाना हो तो इसे योग गुरु के सान्निध्य में ही करें।
प्राणायाम योग कैसे किया जाता है? pranayam सूर्यभेदी प्राणायाम
हमारे देश में तीन प्रकार की ऋतुएं होती है। सर्दी, गरमी और बरसात । जिसमें कि सर्दी के मौसम का आगमन होने वाला है। सर्दी के मोसम में प्रत्येक व्यक्ति को जुकाम, खांसी, कफ शरीर में अकडन आदि की शिकायत अधिकतर रहती है। मनुष्य की इन शारीरिक सम्बन्धी समस्याओं को करने दूर के लिए प्राणायाम बहुत उपयोगी है। इन प्राणायाम में सूर्य भेदी प्राणायाम सर्दी के मौसम में सबसे उपयोगी है।
प्राणायाम किस तरहसे करना चाहिय ? pranayam kaise kare
विधि – सर्वप्रथम किसी ध्यानात्मक आसन में बैठें। कमर | मेरूदंड सीधा करें। बायां हाथ ज्ञान मुद्रा में रखें व दायें हाथ की सहायता से दायीं नासिका से नियंत्रित गति श्वास लें । फिर कुंभक करे, जालंधर बंध लगाएं। फिर धीरे जालंधर बंध हाथ में, नियंत्रित गति से रेचक करें। यह सूर्य भेदी प्राणायाम हुआ। इसी तरह बार बार प्राणायाम करें। लाभ-
1. यह प्राणायाम बुढापा तथा मृत्यु को दूर करता है।
2. इससे कफ दोष दूर होता है।
3. इस प्राणायाम से मोटापा कम होता है।
प्राणायाम करते वक्ता ये सावधानियां रखे –
1. जिन्हे पित्त ज्यादा बनता हो। वे इस प्राणायाम को न करें।
2. सूर्य भेदी एक शक्तिशाली प्राणायाम है। इसका अभ्यास एक कुशल मार्गदर्शक के मार्गदर्शन में ही करें।
3. भोजन के बाद यह प्राणायाम कभी न करें।
4. गरमियों में इस प्राणायाम का अभ्यास न करें।
आत्मा के प्रकाश से मन आत्मरूप हो जाता है। यह अवस्था मनुष्य का अन्तिम ध्येय है।
अतः अमावस्या आध्यात्मिक दृष्टिकोण से मन के आत्मरूप हो जाने को दर्शाती हुई ज्योतिष शास्त्र अर्थ की गरिमा को प्रकट करती है। उपरोक्त विवेचन से आपने देखा होगा कि मन के लिए अमावस्या से बढ़ कर और कोई महत्पूर्ण दिन आध्यात्मिक दृष्टिकोण से नहीं है।
मौलिक और आर्थिक दृष्टि से सूर्य और चन्द्रमा का सामिप्य भले ही शुभ फल प्रद न हो परन्तु आध्यात्मिक दृष्टि कोण से अमावस्या से अच्छा और कोई प्रतीक नहीं हो सकता।
एक और स्थिति भी है जबकि चन्द्रमा उच्च होता है वह अपनी शुभमय अवस्था में होता है। जब जब चन्द्रमा वृष राशि में तृतीया अंश में स्थित होता है, इस स्थिति में भी चन्द्रमा सूर्य के नक्षत्र में होता है। कृतिका सूर्य का नक्षत्र होने से ही तो, चन्द्रमा को उच्चता प्रदान करता है क्योंकि सूर्य (आत्मा) को प्राप्त किये बिना मन की गति नहीं।
यह भी कोई साधारण बात नहीं कि संसार की बहुत सी आध्यात्मिक विभूतियों ने अमावस्या को प्राण त्यागे मानो उनका मन उस समय आत्मा में लीन हो गया । (सूर्य चन्द्रमा में जब मिला) महर्षि दयानन्द की मृत्यु उसी रोज हुई थी। तीर्थंकर महावीर स्वामी ने भी इसी रोज निर्वाण प्राप्त किया था। स्वामी रामतीर्थ की तो बात ही निराली है क्योकि उनका जन्म अमावस्या को उनका सन्यास अमावस्या को और उनकी जल समाधि भी अमावस्या को ही हुई।
इस प्रकार दीपावली केवल मात्र दिये जलाकर और मिठाई खाकर बिता देने वाला दिन नहीं है। इस पर यदि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से विचार किया जाये तो हमें मालूम होगा कि मन और आत्मा के कई भेदों को प्रकट कने वाला दिन है-दीपावली ।
इस पर्व का एक उद्देश्य देश के स्वास्थ्य को श्रेष्ठ करना भी है। वर्षा ऋतु में धूप की कमी तथा विशुद्ध जलभाव के कारण वायु मण्डल में रोग कीटाणु व्याप्त हो जाते है। मच्छरों की बहुतायत से मलेरिया आदि रोग विशेष रूप से फैलते है और नागरिकों का स्वास्थ्य अपने स्वाभाविक स्तर से निम्न हो जाता है। कार्तिक में शरद ऋतु अपने पूर्ण विकास पर होती है। अब तक लोग प्रायः घरों से बाहर खुले में सोते थे। परन्तु अब घरों में सोने की ऋतु आरम्भ हो गई। अतः यह परमावश्यक है कि उन घरों को साफ स्वच्छ किया जाये। इस अवसर पर लोग अपने घरों को स्वच्छ करते है। गन्दगी आदि हानिकारक तत्वों को दूर किया जाता है। दीप गुंज से प्राप्त होने वाला प्रकाश तथा उष्णता वर्षाजन्य रोग कीटाणुओं के विनाश में सर्वथा समर्थ होते है।
इस सत्य से इन्कार नहीं किया जा सकता कि उपासना में अद्भुत शक्ति है। जीवन की किसी भी कष्टमय स्थिति से छुटकारा पाने के लिये पूर्ण निष्ठा के साथ इस का मनन कर देखिये- आपको विश्वास हो जायेगा। आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
प्राणायाम करनेसे क्या लाभ होगा?
प्राण शक्ति की मात्रा और गुणवत्ता बढ़ाता है।
रुकी हुई नाड़िया और चक्रों को खोल देता है। आपका आभामंडल फैलता है।
मानव को शक्तिशाली और उत्साहपूर्ण बनाता है।
मन में स्पष्टता और शरीर में अच्छी सेहत आती है।
शरीर, मन, और आत्मा में तालमेल बनता है।
प्राणायाम कैसे किया जाता है?
प्राणायाम भारतीय संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण है। इसे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। यदि आप भी अपने शरीर, मन और आत्मा को स्वस्थ बनाना चाहते हैं, तो प्राणायाम करना शुरू करें।
प्राणायाम के लाभ.
प्राणायाम शरीर के साथ-साथ मन और आत्मा को भी स्वस्थ रखने के लिए बहुत फायदेमंद होता है। कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि प्राणायाम से शरीर के अंगों में ऑक्सीजन की सही मात्रा प्रदान की जा सकती है। इससे शरीर के रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। मानसिक रूप से प्राणायाम से मन को शांति, सुस्तता और सकारात्मकता मिलती है। आध्यात्मिक रूप से प्राणायाम से आत्मा के समृद्धि और स्वयं के घेरे से उद्धार से सम्बन्धित शक्तियों को जागृत किया जा सकता है।
प्राणायाम कैसे किया जाता है
प्राणायाम करने के लिए आपको एक शांत महौल में बैठकर, समान ध्यान और समझ के साथ बाइसेप्डी शिविरों को समाप्त करना होगा। नीचे दिए गए तरीकों का पालन करके आप प्राणायाम कर सकते हैं।
सांस फूंकना (पूरक)
इस विधि में, आपको नाक से अंदर साँस लेना होता है और फिर देर तक होटों से साँस अंदर रखना होता है। इस प्रक्रिया को कुछ सेकंड के लिए अवरुद्ध रखें। इसे कई बार दोहराएं।
बाहर साँस फूंकना (रिलेक्स करें)
इस मुद्रा में, आपको नाक से साँस फूंकना होता है और फिर अधिक देर तक सांस ऊपर के होटों से चलती रहनी चाहिए। इस प्रक्रिया को कुछ सेकंड के लिए अवरुद्ध रखें। इसे कई बार दोहराएं।
ध्यान और मंत्र जप
आपको नाक से सांस लेना होता है और उसे ठीक राशि पर ठहराना होता है। अब अपने मन के साथ साफ़ समझ रखें और एक मंत्र को दोहरायें। इसे करने से आपके मन में शांति, सुकून और शक्ति संचारित हो सकते हैं।
प्राणायाम के नुकसान
प्राणायाम करने से पहले एक विशेषज्ञ से परामर्श लेना बेहतर होगा। अगर आप नहीं जानते कि कैसे प्राणायाम करना है, तो आप गले का दर्द, हस्तमैथुन, मांसपेशियों में दर्द या अन्य समस्याओं का सामना कर सकते हैं।
प्राणायाम बहुत फायदेमंद हैं अगर अपने खुद को स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो प्राणायाम समझे और अपने जीवन में योग शामिल करें। ज्यादा समझने के लिए आप एक शिक्षक से संपर्क कर सकते हैं जो आपको प्राणायाम करने का सही तरीका बताएगा।
सबसे अच्छा प्राणायाम कौन सा है? which pranayam is best to do fitness?
विभिन्न प्राणायाम के अनुसार, सबसे अच्छा प्राणायाम अवश्य ही अनुदित प्राणायाम है। इसे ओम अथवा उज्जयी प्राणायाम भी कहा जाता है। अनुदित प्राणायाम आवाज के साथ मुख से किया जाने वाला एक श्वसनप्रणाली है, जिसमें सीने को फुलाने वाला स्पंदन महसूस किया जाता है।
अनुदित प्राणायाम करने से श्वसन प्रणाली मजबूत होती है और रक्त को संचारित करने में मदद मिलती है। साथ ही इसके लाभों में एक अधिकतम मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्ति शामिल है, जो खून के ओक्सीजन स्तर को बढ़ाता है। इसके लाभों में से कुछ निम्न हैं:
स्वास्थ्य के लिए लाभदायक – अनुदित प्राणायाम करने से हमारे मस्तिष्क को शांति मिलती है और स्थिति में एकाग्रता आती है। यह शांति और एकाग्रता हमारे शरीर को प्राप्त होने वाले ऑक्सीजन के निर्माण में मदद करती है, जिससे हमारा स्वास्थ्य सुधारता है।
मानसिक संतुलन – अनुदित प्राणायाम एक मानसिक अभ्यास है जो ध्यान और शांति के अनुभव को बढ़ाता है। यह मानसिक संतुलन को सुधारता है और स्थानिक और भावनात्मक तनाव से निपटने में मदद करता है।
फिजिकल फिटनेस – अनुदित प्राणायाम एक अच्छा व्यायाम है जो हमारे श्वसन प्रणाली को मजबूत करता है और श्वसन से सम्बंधित रोगों से बचाने में मदद करता है।
उच्च जागरूकता – अनुदित प्राणायाम करते समय जागरूकता की स्थिति आती है जो मानसिक कठिनाइयों के समाधान में मदद करती है।
अनुदित प्राणायाम हमेशा एक शिक्षक के नेतृत्व में किया जाना चाहिए, ताकि आप सही तरीके से इसे कर सकें। कुछ लोगों के लिए यह प्राणायाम सूखी और ताकतवर स्वर से जुड़ा होता है, जो आसानी से बढ़ाई जा सकती है।
अत: अनुदित प्राणायाम एक अच्छा चयन है जो स्वास्थ्य के लाभों और मानसिक संतुलन के साथ-साथ शरीर को फिट रखने में मदद करता है। प्राणायाम को नियमित रूप से करना बेहतर होगा, ताकि इसके लाभ सदैव दृष्टिगोचर रहें।
8 प्राणायाम कौन कौन से हैं?
प्राणायाम योग का एक आवश्यक अंग है। यह हमारे श्वसन से संबंधित है और हमारे शारीरिक और मानसिक स्थिरता के लिए बहुत फायदेमंद है। यह हमें संचित ध्यान देने में मदद करता है और हमारी सक्रियता को बढ़ावा देता है। यहां हम आपको 8 प्रमुख प्राणायामों के बारे में बता रहे हैं:
कपालभाती: यह प्राणायाम श्वसन द्वारा होता है और इससे श्वसन की गति तेज होती है। यह कफ और वात रोगों को ठीक करता है।
अनुलोम-विलोम: इस प्राणायाम से हमारे श्वसन के दोनों नाक पर विना शुद्धि होती है। यह हमारी मानसिक स्थिति को मजबूत बनाता है।
भ्रामरी: यह हमारे श्वसन द्वारा होता है और इससे शांति और सक्रियता में ताजगी महसूस होती है।
उज्जायी: इस प्राणायाम से हम स्वस्थ तरीके से श्वसन करते हैं और इससे शांति की अनुभूति होती है।
शीतली: इस प्राणायाम से हम शीतल वातावरण में ध्यान करते हैं और इससे हमारी मानसिक स्थिति में शांति आती है।
उद्धयन: इस प्राणायाम के द्वारा हम श्वसन से कुछ स्थानों को ध्यान देते हुए गले की गोंड को फेंकते हैं। इससे हमारी मानसिक स्थिति में ताजगी महसूस होती है।
नाडी शोधन: यह हमारी नसें शुद्ध करता है और हमारी मानसिक स्थिति में ताजगी लाता है।
शवासन: इस प्राणायाम के द्वारा हम श्वसन के द्वारा हमारी शरीर और मन को शांत करते हुए संचित ध्यान करते हैं।
इन सभी प्राणायामों का अभ्यास करके हम अपने श्वसन को स्वस्थ बनाकर अपनी मानसिक और शारीरिक ताकत को बढ़ा सकते हैं।
सबसे पहले कौन सा प्राणायाम करते हैं? which pranayam first pranayam?
योग के विभिन्न रूपों में प्राणायाम एक महत्वपूर्ण अंग होता है। प्राणायाम करने से हम अपने श्वसन प्रणाली को संतुलित कर सकते हैं।
कुछ लोग सोचते हैं कि सभी प्राणायामों में से कौन सा सबसे पहले किया जाना चाहिए। हालांकि, यह अलग-अलग लोगों के लिए भिन्न हो सकता है।
अधिकांश लोग अपने योग सत्र की शुरुआत कंधों को गर्म करके श्वसन संबंधी अभ्यास से करते हैं। ऐसा करने से प्रणायाम के दौरान हमारी ध्यान श्वसन पर रहता है और हम शांतिपूर्ण अवस्था में आते हैं।
सामान्यतः लोग अपनी शुरुआत ‘अनुलोम-विलोम’ या ‘कपालभाती’ से करते हैं। अनुलोम-विलोम आसान होता है और हमारी श्वसन प्रणाली को संतुलित करता है। कपालभाती फिर से हमें श्वसन से जुड़े व्यायाम से गर्म करता है और हमें सक्रिय बनाता है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि आप किसी भी प्राणायाम से शुरुआत कर सकते हैं, लेकिन कभी-कभी आधुनिक योगाचार्यों द्वारा शिक्षित के आधार पर आपको अनुलोम-विलोम और कपालभाती की शुरुआत करने की सलाह दी जाती है।
उत्तम यह होगा कि आप किसी प्राणायाम शिक्षक से राय लें और उनसे अपने शुरुआत को संबंधित बताएं। उनके मार्गदर्शन में आप अपने दैनिक आयाम को संतुलित रख सकते हैं और अपने शारीरिक और मानसिक स्थिति को सजग बनाए रख सकते हैं।
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