वास्तु शास्त्र

वास्तू शांती मुहूर्त कीस लिए देखाजाता है?

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वास्तु शास्त्र दशदिशा

कब करें भूमि पूजन तथा गृह प्रवेश | वास्तू शांती ?

मनुष्य की तीन मूलभूत आवश्यकताएं होती है रोटी कपड़ा और मकान| इनमें मकान यानी घर के महंता सबसे अधिक है| प्रत्येक व्यक्ति का सपना होता है कि उसका स्वयं का एक अच्छा सा घर हो जहां वह अपने परिवार के साथ हंसी खुशी जिंदगी के दिन गुजार सके| ऐसे घर के लिए जिसमें सुख समृद्धि एवं शांति हो| के हम वस्तु की सहायता से और मुहूर्त विज्ञान की भी अन्य देखी ना करें| वास्तु अनुसार नक्शा तैयार होने पर शुभ मुहूर्त में निर्माण कार्य प्रारंभ करवाइए और शुभम मुहूर्त में ही गृह प्रवेश करें| कोई व्यक्ति अपने जीवन भर के परिश्रम से जो धन एकत्रित करता है, उसे अपना घर बनता है| यदि घर में किसी भी प्रकार का कोई दोष रह जाए तो घर मलिक को यह बात जीवन भर कचोटती रहेगी के उसने भवन निर्माण से पहले शास्त्रोक्त विधि का पालन नहीं किया इस कारण आज उसे कष्ट भोगने पढ़ रहे हैं अंतर यह अति आवश्यक है कि घर बनाने से पूर्व संपूर्ण शास्त्रोक्त विधि विधान का पालन किया जाए इससे हमारे घर पर आने वाले सभी संकट समाप्त हो जाते हैं| आईए जानते हैं कि भवन निर्माण से पूर्व तथा गृह प्रवेश से पूर्व किन-किन बातों रखना चाहिए|

भवन निर्माण की संपूर्ण प्रक्रिया में खोदना चौखट स्थापित करना एवं गृह प्रवेश सबसे महत्वपूर्ण रचना माने जाते हैं वास्तव में खोदना भवन निर्माण का प्रथम चरण है भवन की आयु एवं भवन में सुख दुख सफलता असफलता की स्थिति का प्रकृति जन्म निर्धारण खुदाई के समय ही हो जाता है| अतः स्थापना के समय दिशा एवं मुहूर्त का ध्यान रखना आवश्यक होता है|

भवन निर्माण कब करवाई? वास्तू शांती मुहूर्त | vastu shanti

भवन निर्माण हेतु कहा गया है कि जब शनिवार स्वाति नक्षत्र श्रावण मास, शुभ योग, सिंह लग्न, शुक्ल पक्ष एवं सप्तमी तिथि इनका योग एक साथ हो उसे मुहूर्त में कार्य आरंभ करना सर्वोत्तम है| लेकिन यह सातों योग कभी-कभी घटित होते हैं| किस मास में निर्माण आरंभ करने से क्या फल प्राप्त होता है देखें

  • मार्च-अप्रैल तनाव, रोग, पराजय, अवनति.
  • अप्रैल – मैं आर्थिक लाभ, शुभ
  • मैं- जून दारुण कष्ट
  • जून -जुलाई घर विपत्ति
  • जुलाई- अगस्त परिजनों के शुभ तथा वृद्धि
  • अगस्त सितंबर पारिवारिक कलह संबंध विच्छेद
  • अक्टूबर नवंबर समस्या जनक
  • नवंबर दिसंबर उन्नति संपन्नता और सुख
  • दिसंबर जनवरी संपन्नता लेकिन चोरी संभव
  • जनवरी-फरवरी अनेक लाभ लेकिन अग्निभय
  • फरवरी मार्च सर्वोत्तम सदैव लाभ

मांस सुनिश्चित कारण लेने के बाद राशिष्ठ सूर्य देखें
मेष शुभ एवं लाभकारी, वृषभ अति आर्थिक लाभ, मिथुन अनहोनी संभव, कर्क शुभ परिणाम, सिंह कार्य निर्विघ्न पूर्ण होगा, कन्या स्वास्थ्य की चिंता, तुला शांति एवं निरंतर कार्य, वृश्चिक संपत्ति में वृद्धि, धनु हानि संभव, मकर आर्थिक लाभ, कुंभ मूल्यवान आभूषण संग्रह, मीन स्वास्थ्य चिंता

तिथि कोई भी कार्य प्रतिपदा चतुर्थी अष्टमी नवमी चतुर्दशी एवं अमावस्या को नहीं करना चाहिए |

वृषभ मिथुन वृश्चिक और कुंभ का सूर्योदय उत्तम फल रहता है| वार सोमवार बुधवार एवं शुक्रवार मान्य है

नक्षत्र रोहिणी मृगशिरास उत्तरा फाल्गुनी हस्तक चित्र स्वाति अनुराधा उत्तर धनिष्ठा सत्याभिषा उत्तर भाद्रपद रेवती अश्विन आगरा पुनर्वसु एवं श्रवण इत्यादि 16 नक्षत्र में से किसी भी नक्षत्र पर निर्माण कार्य प्रारंभ करना श्रेयस्कर होगा| | गृह निर्माण में मुहूर्त विज्ञान का अपना अस्तित्व है| जिसे नकारा नहीं जा सकता इसलिए भवन निर्माण में वस्तु एवं ज्योतिष एक दूसरे के बिना अपूर्ण रहे मुहूर्त के लिए कुशल विद्वान ज्योतिषी का मार्गदर्शन ले|

खोजना किस दिशा में प्रारंभ करें भूखंड में राहु सूर्य के उपस्थित मानी जाती है |
खुदाई का कार्य भूखंड के उसे स्थान से प्रारंभ करना शुभ माना जाता है जिधर सूर्य और राहु की पूछ होती है यदि खुदाई का कार्य भूखंड के ऐसे स्थान में प्रारंभ किया गया हो जहां सूर्य और राहु का मुख है तो भवन निर्माण में बधाई आती है| राहु सूर्य का मुख और पूछ भूखंड की किस दिशा भाव में स्थित है इसे आप नीचे दिए गए लेख से समझ सकते हैं|

सूर्य जब सीमा कन्या तुला राशि में होता है तब सूर्य राहु का मुख भूखंड के ईशानी दिशा की ओर तथा पूछ आग्नेय दिशा की ओर होती है उसे समय नींव खुदाई का कार्य अज्ञेय या दिशा से ईशान्य की ओर प्रारंभ करना चाहिए इस प्रकार सूर्य एवं वृश्चिक धनु वह मकर राशि में होता है तब सराहु सूर्य का मुख वायव्य तथा पूछ ईशान्य दिशा में होती है| इसकी खुदाई ईशान से वायुग्या की ओर प्रारंभ करनी चाहिए| सूर्य जब कुंभ मीन मेष राशि में होता है | तब राहु सूर्य का मुख्य नृत्य एवं पूछ वायवाया दिशा में होती है| इस समय खुदाई वायु दिशा से नृत्य की ओर करनी चाहिए| सूर्य जब वृषभ मिथुन व कर्क राशि में होता है तब राहु सूर्य की पूछ नैरत्यय एवं मुख आग्नेय दिशा की ओर होता है| उसे समय खुदाई का प्रारंभ नहीं नृत्य से अग्नि की ओर करना चाहिए|
इस प्रकार उचित समय पर सही दिशा से खुदाई प्रारंभ करने से आपका बनने वाला घर अति शुभ बनेगा निर्माण के पश्चात आती है गृह प्रवेश|

गृह प्रवेश शास्त्र के अनुसार किस प्रकार किए जाते हैं?

महर्षि वशिष्ठ के मत से नए घर में प्रवेश करने को संपूर्ण गृह प्रवेश कहते हैं और अग्नि आदि के जलने टूटने के बाद जो घर बना हो उसमें जो गृह प्रवेश होता है उसे द्वंद्वान्ह कहते हैं|
गृह आरंभ के लिए कह गए नक्षत्र तथा वार के समय सूर्य उत्तरायण में हो तो एट पत्थर मिटटी के घर में प्रवेश करना शुभ होता है घास फूस ग्रह में कभी भी दिन भर में प्रवेश किया जा सकता है| जिस नक्षत्र पर पाप ग्रह हो और जो नक्षत्र पाप ग्रहों से दुरुस्त हो यह सब उपयुक्त त्रिवेद प्रवेश में त्याज्य होते हैं| निरंतर वृद्धि के लिए शुक्ल पक्ष में प्रवेश श्रेष्ठ माना गया है|

भवन निर्माण के बाद वास्तु शांति की पूजा से अपने ग्रह को पूर्णतः शुद्ध करके हमारे बनने वाले मिट्टी पत्थर से बनने वाले घर को वास्तु शांति से शुद्ध करके हमारे घर में सदा सर्वदा सुख शांति और समाधान रहे हमारे घर में लक्ष्मी का निवास रहे और हमारी सदैव वृद्धि हो सभी कार्य सफल हो इस लिए हम वास्तु शांति करते हैं और वास्तु शांति यानी कि गृह प्रवेश यह हमें शुभ दिन देखकर वास्तु शांति का मुहूर्त देखकर ही हमारे घर में प्रवेश करना चाहिए|
प्रवेश करते समय हमारे घर के सभी भगवान आपके हाथ में लेकर और मुख्य द्वार पर हमारे घर की लक्ष्मी के माथे पर कलश लेकर प्रवेश करें तो अत्यंत शुभकारी और शुभ मुहूर्त पर प्रवेश करने से हमारे घर में सदा सर्वदा सुख शांति समाधान का अनुभव होता है| इसलिए हमें घर यानी की वास्तु निर्माण के समय मुहूर्त यानी तिथि वार नक्षत्र योग और कारण का विचार करना चाहिए| शुभ मुहूर्त पर बनने वाला घर हमारे लिए हमेशा सुख शांति और हमारी वृद्धि उसे घर में हमेशा होते रहे इसलिए मुहूर्त देखना अत्यंत महत्वपूर्ण है|

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