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सूर्य शांति के उपाय , उपाय करनेसे आपको सूर्य ग्रहसे शुभ फल मिलेगा और कोन सा उपाय अपने करना चाहिय?

सूर्य शांति के उपाय , या उपाय करनेसे आपको सूर्य ग्रहसे शुभ फल मिलेगा और कोनसा उपाय अपने करना चाहिय?

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  • आपके कुंडली में सूर्य द्वितीय भाव में स्थित हो तो नारयल , तेल, बादाम, धर्म स्थान अर्धात मंदिर में रविवार को दान करना चाहिय.
  • यदि सूर्य सप्तम स्थान में स्थित हो तो ग्रहस्थ जीवन तथा संतान पर अशुभ प्रभाव पड़ता है | जातक को जमीन में ताम्बे के चौकोन टुकड़े दबाना लाभप्रत होगा | अथवा मीठा मुहमे डालकर या पानी पीकर काम आरंभ करना चाहिय | इसके अतिरिक्त गाय की सेवा करना लाभप्रत होगा |
  • सूर्य भगवान की प्रसन्नता केलिय श्री हरी (विष्णु भगवान ) की पूजा करना चाहिए | हरिवंश पूराण का पाठ करे | भगवान विष्णु की ह्रदय से उपासना करना बहुत हितकारक होगा|
  • सूर्य भगवान की प्रसन्नता के लिए रविवार का व्रत रखे |उपवास में एक वक्त मीठा भोजन केवल रात्रि में ही करे उपवास में कोइसा भी नमक कदापि न खाए तथा क्रोध न करे |
  • सूर्य की प्रसन्नता के लिय अपने चरित्र को ठीक रखे अर्थात गलत कार्य से दुरी बनाये |
  • तम्बा गेहू का दान करे | ताम्बे की अंगूठी दाहिने हाथ में धारण करे |
  • माणिक रत्ना सोनेकी अंगूठी में बनाकर अनामिका में धारण करे |
  • प्रतिदिन सूर्य भगवान को जल चढाए | ताम्बे के कलशसे जल चढाए तथा जल में गूढ़ डालिए |
  • सूर्य नमस्कार नित्य करे या सूर्य भगवान को बारह बार साष्टांग दंडवत प्रणाम करे |

रत्न एवं वस्त्र का दान

सूर्य द्वारा पीड़ित जातक (व्यक्ति) यदि सूर्य के रत्ना माणिक का विधि पूर्वक एवं विनम्रता से सुयोग्य पात्र का दान करे तो अनुकूल प्रभाव जातक को प्राप्त होता है |

दोष रहित रत्न को गंगाजल से शुद्धि क्र गंधाक्षत से पूजित करे तथा ॐ घृणी: सूर्याय: नम: मंत्र के 108 जप करे और धारण करे

आरोग्य प्राप्ति हेतु

सूर्य ग्रह से पीड़ित जातक इलायची, मुलेठी , केसर , खस, देवदारु मेंसिल तथा लाल पुष्प का रस in सबको थोडीसी सम्मिलित मात्रा में मिलाए और उससे सूर्य का धन करके रविवार के दिन इस जलसे स्नान करे तो जातक की सूर्य की पीड़ा का शमन हो जाता है |

सूर्य शांति का अन्य उपाय

जिन जातक की पत्रिका में सूर्य बलहीन या अनिष्टकारक हो उन्हें हरिवंश पुराण का श्रावण करने से विशेष शुभ फल की प्राप्ति होती है |

सूर्य पूजा का फल

त्रिसंध्यंर्चयेत सूर्य स्मरेद भक्त्या तू यो नर: | न स पश्यंती दरिद्रं जन्मजन्मनि चार्जुन || ( आदित्यह्रदय)

भगवान श्री कृष्ण कहते है की हे अर्जुन जो मनुष्य प्रात: मध्यान्ह और सायंकाल में सूर्य की पूजा/संध्या और स्मरण करता है वह जन्म जन्मान्तर में कभी दरिद्री नही होता है | सदा धन धान्य से समृद्ध रहता है

ग्रहों के उपाय

स्तोत्र

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