राहू यंत्र के उपयोग से क्या फायदा होता है जानिए (adhikmas mahatmay) अध्याय २१ – धर्म शर्माची कथा

राहु यंत्र

राहू यंत्र

राहु वायु तत्व एवं मध्यम कद वाला ग्रह है। यह शरीर में मस्तिष्क त्वचा, रक्त तथा बात को प्रभावित करता है। इसके कुंडली में अशुभ होने पर कृमि रोग, मिरगी, उदर रोग, जहरीले जंतुओं का भय, कुष्ठ, कैंसर आदि होते हैं।

राहु का संबंध आकस्मिक लाभ तथा आकस्मिक शुभाशुभ घटनाओं से है, राहु व्यक्ति के जीवन में अस्थिरता लाता है। जीवन में स्थिरता न होने से व्यक्ति की उन्नति रूक जाती है। इसके प्रभाव से मानसिक उलझने शारीरिक अस्वस्थता रहती है। जिन व्यक्तियों के जीवन में बहुत प्रयास करने के पश्चात भी अस्थिरता बनी रहती उनको इस यंत्र के नित्य दर्शन, पूजन से नई चेतना जाग्रत होती है साहस तथा पराक्रम की वृद्धि होती है। विरोधियों की पराजय होती है।

rahu यंत्र

राहु ग्रह निर्बल, तथा अशुभ हो, अथवा राहु की महादशा / अंतर्दशा चल रही हो ऐसी स्थिति में इस यंत्र को श्रद्धा, विश्वास पूर्वक घर में स्थापित करके प्रतिदिन पूजन, दर्शन से शुभ फल की प्राप्ति होती है। परिश्रम करने के पश्चात भी यदि परिश्रम का पूर्ण फल न मिलता हो तथा बार-बार व्यवसाय में परिवर्तन करना पड़ता हो तो ऐसी परिस्थिति में इस राहू यंत्र की नित्य पूजा से मनोवांछित लाभ होता है।

श्री राहुयन्त्रम्

कोर्ट-कचहरी आदि के मामलों से होनेवाली परेशानी से वचन के लए यंत्र की घर पर नित्य विधिवत पूजा करने से अनिष्ट फल की शांति होती है। विशेष शीघ्र फल प्राप्ति के लिए यंत्र में अंकित मंत्र का नित्य एक माला जप करें।

श्री राहुयन्त्रम्

मंत्र: ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः राहवे नमः।

  • षष्ठी पूजन

    षष्ठी पूजन

    षष्ठी पूजन

  • Panchamukhi hanumankavach |॥ श्रीपञ्चमुखी हनुमत्कवचम् ॥

    Panchamukhi hanumankavach |॥ श्रीपञ्चमुखी हनुमत्कवचम् ॥

    Panchamukhi hanumankavach॥ श्रीपञ्चमुखी हनुमत्कवचम् ॥श्री हनुमान जी ऐसी देवता है जो हमेशा अपने भक्तों का संकट निवारण करके सब के ऊपर कृपा बरसाती है. श्री पंचमुखी हनुमान कवच पढ़ने से सभी भक्तों का कष्ट, दुख ,बाधा और अशोक परिणाम दूर होकर शुभ आशीर्वाद प्राप्त होता है.

  • Nakshatra

    Nakshatra

    Nakshatra क्या है 27 नक्षत्रों का गणित, कौन से नक्षत्र का क्या होता है असर अश्विनी, भरणी, कृतिका, रोहिणी, मृगशिरा, आद्रा, पुनर्वसु पुष्य, अश्लेशा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढा, उत्तराषाढा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती।

  • मुहूर्त के प्रकार: शुभ समय की पूरी जानकारी Muhurta-niti-niyam shubh-muhurat

    मुहूर्त के प्रकार: शुभ समय की पूरी जानकारी Muhurta-niti-niyam shubh-muhurat

    मुहूर्त के प्रकार: शुभ समय की पूरी जानकारी Muhurta-niti-niyam shubh-muhurat हम भारतीयों के लिए “मुहूर्त” शब्द बहुत खास होता है। जब भी कोई शुभ काम होता है – जैसे शादी, गृह प्रवेश, नया व्यापार शुरू करना, गाड़ी या मकान खरीदना, या घर में पूजा करना – हम सबसे पहले एक अच्छा मुहूर्त देखते हैं। लेकिन…

  • धन-वैभव के दाता शुक्र बदलेंगे चाल – इन राशियों की चमकेगी किस्मत! Venus, the giver of wealth and prosperity,

    धन-वैभव के दाता शुक्र बदलेंगे चाल – इन राशियों की चमकेगी किस्मत! Venus, the giver of wealth and prosperity,

    धन-वैभव के दाता शुक्र बदलेंगे चाल – इन राशियों की चमकेगी किस्मत! Venus, the giver of wealth and prosperity, is about to change its course—bringing luck and fortune to certain zodiac signs! 📅 13 अप्रैल 2025 से एक बड़ा ज्योतिषीय बदलाव होने जा रहा है। शुक्र ग्रह, जो प्रेम, पैसा, वैभव और रिश्तों के कारक…

  • सूर्यसिध्दांत Sury – sidhant काय असतो ?

    सूर्यसिध्दांत Sury – sidhant काय असतो ?

    सूर्यसिध्दांत तसेच बाणवृध्दीरसक्षयः म्हणजे नेमके काय ? सूर्यसिध्दांत Suryasidhant काय असतो ? ज्योतिषशास्त्राचा इतिहास हा ब्रम्हांडाच्या उत्पत्तीपासूनच सुरुहोतो व हे शास्त्र ब्रम्हांडाच्या अंतापर्यंत कायम राहील. ब्रम्हांडातीलअनेक ग्रह गोलांचे ज्ञान अजूनही मानवाच्या कक्षेपलिकडे आहे कारण आहेब्रम्हांड (अंतरिक्ष) अनंत आहे व मानवास खूपच मर्यादा आहेत. मताब्रम्हांड/अंतरिक्ष संदर्भातील अनेक प्रश्न अजूनही अनुत्तरीत आहेत.प्रत्यक्ष सूर्यदेवांनी ब्रम्हांडातील अनेक रहस्यांची उकल…

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *