होरा कुंडली का फलादेश कैसे करे ? | Hora kundali fal.
होरा कुंडली में राशि के दो भाग करने पर हर विभाग 15 अंश का होगा । उसे होरा कहते है । इसका कारक ग्रह गुरु है । इस वर्ग से जातक की सम्पत्ति के बारे में तथा आर्थिक लाभों के बारे में जानकारी मिलती है। यह होरा वर्ग, कुंडली (जन्म) का धन भाव, लाभ स्थान तथा कारक ग्रह गुरु से जातक की सम्पत्ति का यथार्थ ज्ञान होता है ।
मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु तथा कुंभ राशि का प्रथम होरा (सिंह) सूर्य का होता है । (प्रथम होरा 0°-15°) और इन्ही राशियों में द्वितीय होरा (16° – 30°) कर्क का (चंद्र का) होता है । इस तरह सम राशि में प्रथम होरा, चंद्र का तथा द्वितीय होरा सिंह का ( सूर्य का) होता है। वृषभ, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर, मीन यह सम राशि कहलाती है । सूर्य तथा चंद्रमा के अतिरिक्त ग्रहों की राशियों को इसमें स्थान नही दिया गया है । होरा वर्ग से फलादेश होरा शब्द भाग्य विचार का पयार्चवाची है । मनुष्यों को धन अर्जित करने से यह होरा शास्त्र सहायता करता है। विषम राशियों में पूर्वार्ध 0-15° तक सूर्य की तथा आगे 15°-30° तक चंद्रमा की होरा होती है ।
सम राशियों में पूर्वार्ध में 0-15° तक चंद्रमा की तथा आगे 15°-30 तक सूर्य की होरा होती है । चंद्र होरा के स्वामी पितर एवं सूर्य की होरा के स्वामी देवता होते है । राशियां 1-15 _ 15-30 मेष वृषभ मिथुन कर्क सिंह कन्या तुला वृष्टि, धनु मकर कुंभ मीन सूर्य चंद्र सूर्य चंद्र सूर्य चंद्र सूर्य चंद्र सूर्य है ।विषम राशि में पहली होरा सूर्य की समझकर 5 राशि लिख ढी जाती है तथा उत्तरार्द्ध में 4 राशि लिखकर सभी ग्रहों को दोनों भागों में स्थापित कर देते है । जो जिस भाग में जाता है । इसी प्रकार सम राशि में पहली होरा चंद्रमा एवं दूसरी होरा सूर्य की लिखकर वर्ग कुंडली का निर्माण कियाजाता है ।
षोडश वर्ग होरा का फल
होरा वर्ग से सम्पवि मतान्तर से शील चरित्र सदसत् निर्माण की शक्ति व आचरण तथा विपत्ति का निर्णय किया जाता है। सभी ग्रह सूर्य की होरा में व सभी ग्रह चंद्र की होरा में हो तो शुभ है । सूर्य की होरा में चंद्र तथा चंद्र की होरा सूर्य हो तथा अधिक ग्रह सूर्य की होरा में हो तो धनी होता |
होरा में गुरु सूर्य मंगल ये तीनों सूर्य की होरा में रहने पर सूर्यवत फल देते है अर्थात पुरुष ग्रह होने से सूर्य होरा में स्व होरास्थ मान लिए जाते है। इसी तरह चंद्र होरा में चंद्रमा, शुक्र व शनि स्व होरास्थ है अर्थात चंद्र होरा शुक्र व शनि का भी होरा है। बुध प्रायः दोनों और स्व होरास्थ माना जाता है । समराशि में चंद्र होरा में तथा विषम राशि में सूर्य होरा में बुध स्व होरास्थ होता है ।
सूर्य अपनी होरा के प्रारंभ में विशेष फलपद्र होता है तथा होरा के अन्त में कम फल दे पाता है। चंद्रमा होरा के अन्त में विशेष फलपद्र व होरा के प्रारंभ में मध्यम फलप्रद या निष्फल होता है ।
चंद्रमा की होरा में जन्मा व्यक्ति निश्चित रुप से पितृलोक से आया है । वह पूर्वजों में से ही कोई है । जो पुनः इस परिवार में आया है । ऐसे व्यक्ति स्नेही स्वभाव के संवेदनशील सहृदय किसी का भी बुरा न चाहने वाला तथा विनम्र होता है। ऐसा जातक शांत सर्वगुण सम्पन्न सदा ही शांत चित्त स्थिर मति व मित्र तथा बन्धुओं का आदर करने वाला होता है । रत्न, धन, पत्नी व उदार मन से अपने मान व सम्मान की रक्षा करने वाला, अपने कर्तव्य में लगा हुआ तथा अनेक प्रकार के धन-धान्य का स्वामी होता है ।चंद्रमा की होरा लग्न में होने पर जातक विदेश में
धन लाभ पाता है । ऐसा जातक बाल्यवस्था में अत्यधिक धनी मध्यवस्था में सम तथा वृद्धावस्था में धन की कमी पाने वाला होता. है ।
सूर्य की होरा में जन्म पाने वाला जातक देव लोक से आया है । देवता शुभ फल देने में सहज होते है । ऐसा जातक आध्यात्मिक व दिव्य गुणों से युक्त महत्वाकांक्षी, आत्मभिमानी सम्पन्न तथा अधिकार प्रिय होता है। धर्म, कर्म व उपासना के मार्ग में यह जातक चलकर पुनः देवत्व प्राप्त कर सकता है ।
यह जातक बचपन में विशेष सुखी नही होता । बाल्यावस्था कष्टो में बीतती है । किंतु जातक मध्यावस्था उपरांत अपने भुजबल से धन अर्जित करता है । यदि सूर्य अशुभ प्रभाव में हो तो मुंह की बीमारी होती है ।
विभिन्न राशिगत होरा में फल
प्रथम होरा (0 – 15 अंश)
मेष
प्रथम हीरा तथा जन्म लग्न के मेष में जन्मा व्यक्ति वाला, कठोर हृदय, चौडे जबडे, उन्नत वक्ष स्थल, लाल नेत्र उन्नतिशील व अनैतिक कार्य से लाभ कमाकर धनी होता है।
वृषभ प्रथम होरा तथा जन्म लग्न के वृषभ में जन्मा व्यक्ति सौम्य, साहसी, कामुक, बडी आंखो वाला, चौड़ा माथा, मजबूत हड्डियो वाला, चौड़ी छाती से युक्त तथा देखने में सुंदर होता है ।
मिथुन प्रथम होरा तथा जन्म लग्न के मिथुन में जन्मा व्यक्ति बुद्धिमान, धनी, अनेक कलाओं का ज्ञाता, मध्यम देह युक्त, मुलायम बाल वाला सुघड नासिका से युक्त होता है ।
कर्क प्रथम होरा तथा जन्म लग्न के कर्क में जन्मा बालक चपल, अशांत, चालाक, तीक्ष्ण बुद्धि वाला कृतघ्न होता है। उसकी देह पुष्ट व सभी अंग समानुपाती होते है । उसका रंग किंचित सांवला होता है ।
सिंह प्रथम होरा तथा जन्म लग्न के सिंह में जन्मा जातक साहसी, कपटी, धीर, वीर, लंबी चौड़ी पुष्ट देह वाला तथा सुखी होता है । उसकी आंखे लालिमा युक्त होती है ।
कन्या प्रथम होरा तथा जन्म लग्न के कन्या में जन्मा जातक प्रभावशाली, सुंदर, कुशलवक्ता, संगीत प्रेमी, विनम्र, व्यवहार कुशल, सुंदर नारियों में आसक्त, श्रेष्ठ गायक,भाग्यशाली तथा आकर्षक व्यक्तित्व का धनी होता है।
तुला प्रथम होरा तथा जन्म लग्न के तुला में जन्मा जातक गोल मुख, उन्नत नासिका, सुन्दर आंखे, पुष्ट व सुदृढ़ लंबा शरीर, मजबूत हड्डी वाला, धनी, यशस्वी व सम्पन्न होता है ।
वृश्चिक प्रथम होरा तथा जन्म लग्न के वृश्चिक में जन्मा जातक साहसी तथा उत्साही होता है। ऐसा जातक संघर्ष प्रिय, वीर, जुझारु योद्धा, कामी व धनी भी होता है ।
धनु प्रथम होरा तथा जन्म लग्न के धन में जन्मा जातक बडे मुंह, तीखे नैन नक्श व विशाल वक्ष स्थल वाला होता है। जातक बचपन में ही अपने माता-पिता से बिछुड जाता है। ऐसा जातक निष्ठावान व तपस्वी भी होता है ।
मकर प्रथम होरा तथा जन्म लग्न के मकर में जन्मा जातक भाग्यशाली, धनी, अच्छे भोजन का शौकीन, सांवले रंग का, छोटी नासिका, हिरण सरीखी आंखों वाला, आकर्षक व्यक्तित्व का धनी व सम्पन्न होता है ।
कुंभ प्रथम होरा तथा जन्म लग्न के कुंभ में गुणी, सुरुचि, सम्पन्न, वीर, सुसंस्कृत, सज्जन, अच्छी पत्नी व निष्ठावान मित्र पाने वाला होता है ।
मीन प्रथम होरा तथा जन्म लग्न के मीन में छोटे कद का, पुष्ट, मजबूत शरीर वाला, चौड़ी छाती, चौड़ा माथा व चौड़े मुख वाला होता है। जातक वीर, पराक्रमी, यशस्वी, अपने काम काज दक्ष तथा आकर्षक व्यक्तित्व का धनी होता है । द्वितीय होरा (15-30 अंश)
द्वितीय होरा तथा जन्म लग्न के मेष में जन्मा जातक सौम्य, तीव्र बुद्धि वाला, चतुर, आलसी, बडी देह वाला तथा सुंदर आंखों से युक्त होता है । जातक के पाव की अंगुलियां शुष्क व खुरदरी होती है ।
वृषभ जन्मा द्वितीय होरा तथा जन्म लग्न के वृषभ में जातक उदार बडा किंतु पतली कमर व सुंदर बालो से युक्त होता है ।
मिथुन – द्वितीय होरा तथा जन्म लग्न के मिथुन में जन्मा जातक कर्मशील, सौम्य प्रकृति वाला, कामी, सुंदर, प्रभावशाली वक्ता तथा व्यवहार कुशल होता है ।
कर्क द्वितीय होरा तथा जन्म लग्न के कर्क में जन्मा जातक विशाल वक्ष स्थल वाला, पुष्ट देही, क्रोधी व द्यूत प्रेमी होता है । वह पर्यटनशील व घुमक्कड स्वभाव वाला होता है ।
सिंह – द्वितीय होरा तथा जन्म लग्न के सिंह में जन्मा जातक बढिया व स्वादिष्ट पकवानों का प्रेमी, पुष्ट देह वाला, सुंदर वस्त्र पहनने वाला तथा जीवन का पूरा आन्नद लेने वाला होता है। जातक दृढ़ मैत्री वाला, उदार, स्त्रियों के प्रति सहज आकर्षित होने वाला व धार्मिक आयोजनो के लिए दान देने वाला होता है । जातक जन कल्याण के कार्यों में रुचि लेता है एवं प्रतिष्ठित व्यक्ति होता है ।
कन्या द्वितीय होरा तथा जन्म लग्न के कन्या में जन्मा जातक रुचि लेता है एवं छोटे कद वाला, उभरी हुई नसों वाला, धर्म शास्त्र का मर्मज्ञ, कुशल लेखक, विद्वान, अनेक भाषाओं का ज्ञाता, समाज में सम्मान पाने वाला तथा समाज में प्रतिष्ठित होता है । जातक विवादस्पद आचरण करने वाला, अन्य जनो के कार्यों में लगा तथा जीवन में उतार-चढाव देखने वाला भी होता है ।
तुला द्वितीय होरा तथा जन्म लग्न के तुला में जन्मा जातक गोल आंखो वाला तथा घने व घुंघराले बाल वाला होता है । जातक घर या एक ही स्थान पर ठहरना पसंद करता है। जातक को अनेक स्त्रोतो से धन लाभ होता है । जातक धनी व सम्पन्न होता है।
वृश्चिक – द्वितीय होरा तथा जन्म लग्न के वृश्चिक में जन्मा जातक लंबा, चौडा, पुष्ठ देही, चमकीली आंखों वाला, अन्य जन की सेवा करने वाला, ऋण से ग्रस्त तथा अनेक मित्रो से युक्त होता है । ऐसा जातक नेत्र रोग से भी पीडित होता है ।
धनु – द्वितीय होरा तथा जन्म लग्न के धनु में जन्मा जातक विद्वान, प्रभावशाली, उत्कृष्ठ वक्ता, उदार, यशस्वी व भाग्यवान होता है । जातक बडी भुजाओ वाला, लंबा व सुंदर नेत्री से युक्त होता है ।
मकरद्वितीय होरा तथा जन्म लग्न के मकर में जन्मा जातक लंबा, सांवला, अधिक बाल युक्त व आलसी होता है। जातक अल्प बुद्धि वाला साहसी व लडने -भिडने को तत्पर रहता है। लंबी दूरी की यात्रा तथा साहस पूर्ण कठिन कार्य करने में जातक की विशेष रुचि होती है।
कुंभ – द्वितीय होरा तथा जन्म लग्न के कुंभ में जन्मा जातक कंजूस, आलसी, असत्यवादी, कपटी, दुखी व बेईमान होता है। जातक एक ही स्थान पर ठहरना पसंद करता है। जातक दुबला पतला, ताम्रवर्णी तथा चमकीले नेत्रो वाला होता है ।
मीन द्वितीय होरा तथा जन्म लग्न के मीन में जन्मा जातक विद्वान, बुद्धिमान, चतुर, प्रतिभाशाली, काम-काज में दक्ष, प्रभावशाली, कुशल वक्ता, राजा द्वारा प्रशसित तथा उदार दाता होता है । उसकी नासिका उंची व नेत्र सुंदर होते है। वह दाम्पत्य जीवन में सुखी होता है ।
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