प्रेम

आपने जीवन मे प्रेम जरूर होता है | किसिका School प्रेम होता है, या Collage प्रेम होता है | या जॉब दोने साथ करते है , उसी समय प्रेम (Love) हुवा . ए सभी व्यक्ति के जीवन में होता है | हम जिसे प्रेम करते है उसीसे शादी भी करना चाहते है |

  • भविष्य में हम साथ रहंगे क्या ?हमारी शादी होगि क्या ?
  • वहा मुझे प्रेम करता है क्या ?
  • उस के जीवन में मेरे अल्वा कोण है ?
  • हमारा relationship अच्छा रहेगा क्या ?
  • सभी Question का Answer हमें मिलते कितना अच्छा होगा ना !

यही हम देखा सकते है ज्योतिष astrology से देखा कर सभी प्रश्न का उत्तर हमें मिलेगा . astrology ज्योतिष विद्या के सयता लेखर हम जीवन में होने वाली सभी event को प्रेडीक्ट कर सकते है | ज्योतिष astrology से देखेंगे की हमारे सभी Question – Answer कैसे मिलेगा | आपभी आपनी कुंडली देखकर पता कर सकते है |

कुंडली से देखे प्रेम

देखने केलिय हमें हमारी जन्म कुंडली की आवश्कता है | आपकी जन्म कुंडली आपके जन्म दिनाक, जन्म वेळ, जन्म स्थान, से आपकी जन्म कुंडली बनेगी | यही जन्म कुंडली का चार्ट हमें हमहरे जीवन के बारे में बता येगा |

जन्म चार्ट में हम देखेगे पंचम भाव | यही पंचम भाव प्रेम सम्बन्ध से साडी बाते बतेये गा | सर्व प्रथम हम देखेंगे की पंचम भाव में राशी कोनसी है | उस राशी का र्वामी कोंसे राशी में भाव में स्थित है | राशी के स्वामी आपको पता नाही है तो यहाँ देखे |

राशी का स्वामी कोंसे भाव में वह यदि 6,8,12 इन भाव को छोड़ कर स्थित है | तो आपका प्रेम सम्बन्ध अच्छा रहेगा | उसी के साथ पंचम भाव में कोण स्थित है |

कुंडली से प्रेम / प्रेमी देखने केलिय लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  1. विवाह भाव: जन्म कुंडली में सातवें भाव(house) को विवाह भाव (life partner) कहा जाता है। यह भाव हमें विवाह योग और प्रेम विवाह (Love marriage) फॅमिली से marriage यहाँ भाव हमें बताएगा |
  2. शुक्र ग्रह: शुक्र ग्रह प्रेम, स्त्री और सौंदर्य का कारक ग्रह है। कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति प्रेम संबंध कैसे रहेगा और विवाह की स्थिति दर्शाता है |
  3. मंगल ग्रह: मंगल ग्रह ऊर्जा और प्रेम का कारक है। कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति से प्रेम संबंधों कैसे है या जानकारी हमें मिलती है | दोनों के बिचा वाद होता हैया नाही यह हमें मंगल ग्रह की कुंडली में स्थिथि दर्शाती है |
  4. राशि और नक्षत्र: हम सप्तम भाव देखरहे है तो हमें इस भाव में कोनसी राशी है और कोंसे ग्रह है और कोंसे नक्षत्र में स्थित है | उन नक्षत्र स्वामी भी हमें देखना होता है |
  5. विवाह योग : 7 th भाव (house) से विवाह देखा जाता है तो योग भी कुंडली में चाहिय | यह योग आपके कुंडली में है क्या कैसे देखे. इस भाव का स्वामी शभ गृह के साथ और सभ भाव में स्थित हो | अशुभ भाव 6/8/12/ अशुभ ग्रह
अशुभ भावशुभ भावशुभ ग्रहअशुभ ग्रह
62,5,7,11.गुरु ग्रहराहू ग्रह
83,4,9,10,चन्द्र ग्रहकेतु ग्रह
120शुक्र ग्रहशनि ग्रह ( देरी लेट है)

प्रेम कारक: पंचम भाव में

आपका प्रेम दर्शाने वाला भाव है ५थ 5 th house भाव आपका का सभी प्रकारसे प्रेम संबंध दर्शाता है | आपके प्रेम सम्बन्ध कितने होगे और साडी बाते | चलो भीर जानते है इसे कैसे देखा जाता है |

  1. पंचम भाव का स्वामी: पंचम भाव का स्वमी कोनसा ग्रह है | वह ग्रह जन्म जन्म कुंडली में कोंसे भाव में स्थित है | कोंसे राशी में स्थित है | जैसे की
  2. पंचम भाव में स्थित ग्रह: पंचम भाव में स्थित ग्रह प्रेम संबंधों की गुणवत्ता को निर्धारित करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि पंचम भाव में मंगल स्थित है, तो प्रेम संबंध में प्यार, जुनून और ऊर्जा हो सकती है।
  3. पंचम भाव की दृष्टि: पंचम भाव की दृष्टि अन्य भावों पर पड़ती है, जिससे प्रेम संबंधों की गुणवत्ता प्रभावित होती है। उदाहरण के लिए, यदि पंचम भाव की दृष्टि सप्तम भाव पर पड़ती है, तो प्रेम संबंध में विवाह और साथ निभाने की संभावना हो सकती है।
  4. पंचम भाव में राहु-केतु: यदि पंचम भाव में राहु-केतु स्थित हैं, तो प्रेम संबंधों में कुछ अनिश्चितता और परिवर्तन हो सकते हैं।
  5. पंचम भाव में शनि: यदि पंचम भाव में शनि स्थित है, तो प्रेम संबंधों में कुछ कठिनाइयां और चुनौतियां हो सकती हैं।

इन सभी बातों को ध्यान में रखकर, एक ज्योतिषी प्रेम संबंधों की गुणवत्ता और प्रकृति का अनुमान लगा सकता है।

रिलेशनशिप की स्थिति का आकलन

कुंडली में ग्रहों की स्थिति और उनके प्रभाव से रिलेशनशिप की स्थिति का आकलन किया जा सकता है। यहां कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जिन्हें ध्यान में रखा जाना चाहिए:

  1. सप्तम भाव: सप्तम भाव में स्थित ग्रह रिलेशनशिप की स्थिति को निर्धारित करते हैं। यदि सप्तम भाव में शुभ ग्रह स्थित हैं, तो रिलेशनशिप अच्छा रहेगा।
  2. विवाह भाव का स्वामी: विवाह भाव का स्वामी ग्रह रिलेशनशिप की स्थिति को निर्धारित करता है। यदि विवाह भाव का स्वामी शुभ ग्रह है, तो रिलेशनशिप अच्छा रहेगा।
  3. पंचम भाव: पंचम भाव में स्थित ग्रह प्रेम संबंधों की स्थिति को निर्धारित करते हैं। यदि पंचम भाव में शुभ ग्रह स्थित हैं, तो प्रेम संबंध अच्छा रहेगा।
  4. नवम भाव: नवम भाव में स्थित ग्रह रिलेशनशिप की स्थिति को निर्धारित करते हैं। यदि नवम भाव में शुभ ग्रह स्थित हैं, तो रिलेशनशिप अच्छा रहेगा।
  5. ग्रहों की दृष्टि: ग्रहों की दृष्टि रिलेशनशिप की स्थिति को निर्धारित करती है। यदि शुभ ग्रहों की दृष्टि रिलेशनशिप पर पड़ती है, तो रिलेशनशिप अच्छा रहेगा।

इन सभी बातों को ध्यान में रखकर, एक ज्योतिषी रिलेशनशिप की स्थिति का आकलन कर सकता है।

आपका रिलेशनशिप अच्छा रहेगा क्या?

इसका जवाब तो कुंडली के आधार पर ही मिल सकता है। यदि आपकी कुंडली में शुभ ग्रह स्थित हैं और उनकी दृष्टि रिलेशनशिप पर पड़ती है, तो आपका रिलेशनशिप अच्छा रहेगा। लेकिन यदि आपकी कुंडली में अशुभ

प्रेम विवाह की संभावना कुंडली में निम्नलिखित बातों से पता लगाया जा सकता है:

पंचम भाव: पंचम भाव प्रेम और रोमांस का भाव है। इस भाव में ग्रहों की स्थिति से प्रेम संबंधों के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

प्रेम कारक ग्रह: प्रेम कारक ग्रह जैसे शुक्र, मंगल और केतु प्रेम संबंधों के बारे में जानकारी प्रदान कर सकते हैं।

पंचम भाव के स्वामी: पंचम भाव के स्वामी की स्थिति से प्रेम संबंधों के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

पंचम भाव में ग्रहों की स्थिति: पंचम भाव में ग्रहों की स्थिति से प्रेम संबंधों के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। उदाहरण के लिए, पंचम भाव में शुक्र की स्थिति प्रेम संबंधों के लिए अनुकूल है, जबकि मंगल की स्थिति प्रेम संबंधों में उतार-चढ़ाव ला सकती है।

प्रेम योग: कुंडली में प्रेम योग की स्थिति से प्रेम संबंधों के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। प्रेम योग की स्थिति से प्रेम विवाह की संभावना का पता लगाया जा सकता है।

कुंडली मिलान: कुंडली मिलान से प्रेम विवाह की संभावना का पता लगाया जा सकता है। कुंडली मिलान में दोनों पक्षों की कुंडली का मिलान किया जाता है और फिर प्रेम विवाह की संभावना का पता लगाया जाता है।

इन सभी बातों का अध्ययन करके ज्योतिषी प्रेम विवाह की संभावना का पता लगा सकते हैं।

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