ज्ञान मुद्रा यह ऋषि मुनियों ने दिए वाली मनुष्य के जीवन में वरदान प्रदान करने वाली संपत्ति है
अंगूठे एवं तर्जनी अंगुली के स्पर्श से जो मुद्रा बनती है उसे ज्ञान मुद्रा कहते हैं।

- पदमासन या सुखासन में बैठ जाएँ।
- अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रख लें तथा अंगूठे के पास वाली अंगुली (तर्जनी) के उपर के पोर को अंगूठे के ऊपर पोर से स्पर्श कराऐं। 3. हाँथ की बाकि अंगुलिया सीधी व एक साथ मिलाकर रखें।
ज्ञान मुद्रा से सम्पूर्ण लाभ पाने के लिए साधक को चाहिए कि वह सादा प्राकृतिक भोजन करे। • मांस मछली, अंडा, शराब, धुम्रपान, तम्बाकू, चाय, काफ़ी कोल्ड ड्रिंक आदि का सेवन न करें।

उर्जा का अपव्यय जैसे- अनर्गल वार्तालाप, बात करते हुए या सामान्य स्थिति में भी अपने पैरों या अन्य अंगों को हिलाना, ईर्ष्या, अहंकार आदि उर्जा के अपव्यय का कारण होते हैं, इनसे बचें ।
मुद्रा करने का समय व अवधि:
• प्रतिदिन प्रातः, दोपहर एवं सांयकाल इस मुद्रा को किया जा सकता है । • प्रतिदिन 48 मिनट या अपनी सुविधानुसार इससे अधिक समय तक ज्ञान मुद्रा को किया जा सकता है। यदि एक बार में
वाले
48 मिनट करना संभव न हो तो तीनों समय 16-16 मिनट तक कर सकते हैं।
• पूर्ण लाभ के लिए प्रतिदिन कम से कम 48 मिनट ज्ञान मुद्रा को करना चाहिए। चिकित्सकीय लाभ:
• ज्ञान मुद्रा विद्यार्थियों के लिए अत्यंत लाभकारी मुद्रा है, इसके अभ्यास से बुद्धि का विकास होता है, स्मृति शक्ति व
एकाग्रता बढ़ती है एवं पढ़ाई में मन लगने लगता है।
• ज्ञान मुद्रा के अभ्यास से अनिद्रा, सिरदर्द, क्रोध, चिड़चिड़ापन, तनाव, बेसब्री एवं चिंता नष्ट हो जाती • ज्ञान मुद्रा करने से हिस्टीरिया रोग समाप्त हो जाता है।
है।

• नियमित रूप से ज्ञान मुद्रा करने से मानसिक विकारों एवं नशा करने की लत से छुटकारा मिल जाता है ।
• इस मुद्रा के अभ्यास से आमाशयिक शक्ति बढ़ती है जिससे पाचन सम्बन्धी रोगों में लाभ मिलता है। • ज्ञान मुद्रा के अभ्यास से स्रायु मंडल मजबूत होता है.
आध्यात्मिक लाभ

• ज्ञान मुद्रा में ध्यान का अभ्यास करने से एकाग्रता बढ़ती है जिससे ध्यान परिपक्व होकर व्यक्ति की आध्यात्मिक प्रगति करता है।
• ज्ञान मुद्रा के अभ्यास से साधक में दया, निडरता, मैत्री, शान्ति जैसे भाव जाग्रत होते हैं। • इस मुद्रा को करने से संकल्प शक्ति में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि होती है।
वैभव गुरु डंख नांदेड…
मो.9960223870
सूर्यसिध्दांत Sury – sidhant काय असतो ?
सूर्यसिध्दांत तसेच बाणवृध्दीरसक्षयः म्हणजे नेमके काय ? सूर्यसिध्दांत Suryasidhant काय असतो ? ज्योतिषशास्त्राचा इतिहास हा ब्रम्हांडाच्या उत्पत्तीपासूनच सुरुहोतो व हे शास्त्र ब्रम्हांडाच्या अंतापर्यंत कायम राहील. ब्रम्हांडातीलअनेक ग्रह गोलांचे ज्ञान अजूनही मानवाच्या कक्षेपलिकडे आहे कारण आहेब्रम्हांड (अंतरिक्ष) अनंत आहे व मानवास खूपच मर्यादा आहेत. मताब्रम्हांड/अंतरिक्ष संदर्भातील अनेक प्रश्न अजूनही अनुत्तरीत आहेत.प्रत्यक्ष सूर्यदेवांनी ब्रम्हांडातील अनेक रहस्यांची उकल...
1000 Vishnu Sahastra Naame |
विष्णू सहस्रनाम म्हणजे भगवान श्री विष्णू च्या १,००० (एक हजार) नावांचे स्तोत्र होय. हे स्तोत्र पितामह भीष्मानी युधिष्ठिर ला सांगितले असा उल्लेख महाभारतात येतो. विष्णु सहस्रनामाची पाण्डुलिपि, ई. 1690महत्वस्तोत्रपाठश्री विष्णुसहस्त्रनाम स्तोत्रातील हजार नावे संपादन करा अ. क्र. नाम मराठी अर्थ१ विश्वम् सर्व विश्वाचे कारणरूप२ विष्णुः जो सर्वत्र व्याप्त आहे३ वषट्कारः ज्याचं उद्देशाने यज्ञात वशटक्रिया केली...
अन्तश्चेतना और स्वस्तिकासन: मानसिक शांति, ध्यान और आध्यात्मिक विकास के लिए सर्वश्रेष्ठ मार्ग
अन्तश्चेतना और स्वस्तिकासन: मानसिक शांति, ध्यान और आध्यात्मिक विकास के लिए सर्वश्रेष्ठ मार्ग अन्तश्चेतना: एक गहन आत्मिक शक्ति अन्तश्चेतना मानव जीवन की वह गूढ़ और शुद्ध शक्ति है, जो व्यक्ति को उसके वास्तविक स्वरूप और शाश्वत सत्य से जोड़ती है। जैसा कि पूर्व अध्याय में वर्णित है, मन्त्र की सिद्धि और उसकी शक्ति अन्तश्चेतना पर...
शनि व साडेसाती 2025 तुमच्या राशी वरती होणारा प्रभाव ?
shani dev sadesati 2025 शनिपालट व साडेसाती तुमच्या राशी वरती होणारा प्रभाव ?शनिपालट केव्हा ?साडेसाती म्हणजे काय ?..साडेसातीत काय काळजी घ्यावी. ? फाल्गुन कृष्ण.आमावस्या शनिवार २९ मार्च २०२५ रात्री ०९:४२ मी शनी मीन राशीत प्रवेश करीत आहेत
living Room as pre vastu | वास्तुनुसार living Room लिव्हिंग रूम/ड्रॉईंग रूम/हॉलची (दिवाणखाना) दिशा व रचना.
वास्तुनुसार living Room लिव्हिंग रूम/ड्रॉईंग रूम/हॉलची (दिवाणखाना) दिशा व रचना. लिव्हिंग रूम ही वास्तूतील सर्वात महत्त्वाची खोली समजली जाते. मगती मोठी असो वा छोटी असो. कारण ही खोली कुटुंबातील सर्व व्यक्ती एकत्र येण्याची living Room खोली. त्यासाठी लिव्हिंग रूम वास्तुशास्त्रानुसार योग्य ठिकाणी असल्यास खूप चांगले परिणाम वास्तूत दिसून येतात. कुटुंबातील व्यक्तींशी चर्चा करणे, गप्पागोष्टी करणे,...
5 पंचतत्त्वे/पंचमहाभूते आणि वास्तुशास्त्र: जीवनाचा समतोल साधणारे प्राचीन तत्त्वज्ञान | Panchatatve vastu shastra
पंचतत्त्वे/पंचमहाभूते आणि वास्तुशास्त्र: जीवनाचा समतोल साधणारे प्राचीन तत्त्वज्ञान Panchatatve vastu shastra मित्रांनो, हल्ली आपल्या कानावर पंचतत्त्वे/पंचमहाभूते हे शब्द नेहमीपडत असतात. मग काय आहेत ती पंचतत्त्वे व त्याचा काय परिणाम आपल्यावर वआपल्या वास्तूवर होतो, हे आपण या प्रकरणात बघणार आहोत. संपूर्ण सजीव सृष्टीचीनिर्मिती ही पंचमहाभूतांपासून झालेली आहे. आपले शरीर ज्या हाडामासापासूनबनलेले आहे ते देखील हे या...
हवन सामग्री या समिधा | hawan samida
हवन सामग्री या समिधा | hawan samida शांति कर्म हेतु...
Read Moreसुंदर दत्त गुरूंची कथा | Gurucharitra ki katha
गुरूचरित्राचे पारायण सोहळा करायचा आहे तर कथा/ story नाकी वाचा|...
Read Moreसंस्कृती क्या है ? hindu sanskruti
संस्कृती क्या है ? हिंदू संस्कृति क्या है क्या संस्कृति...
Read Moreश्री सुक्त फलश्रुती का महत्त्वाची आहे.
येथे श्रीसूक्ता च्या फलश्रुति बद्दल विवेचन आहे ते शांतपणे तन्मयताने...
Read More